Success Story: विदेश में पढ़ाई, गन्ने की खोई से करोड़ों की कमाई, 40 देशों में चलता है Pakka Limited का कारोबार... बिजनेसमैन Ved Krishna की कहानी जानिए

Pakka Limited: वेद कृष्ण (Ved Krishna) का जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ है. उन्होंने लंदन में पढ़ाई की और फैमिली बिजनेस को संभालने के लिए अयोध्या लौट आए. फिलहाल वो पैका लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट हैं और कंपनी का कारोबार 40 से ज्यादा देशों में फैला है. वेद बचपन से पायलट बनना चाहते थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था.

Ved Krishna
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं, जो अपने पुश्तैनी बिजनेस से जुड़े और उसे बुलंदियों पर पहुंचाया. अयोध्या में पैदा हुए वेद कृष्ण भी ऐसे ही शख्स हैं, जिन्होंने हायर एजुकेशन ब्रिटेन में रहकर हासिल की. लेकिन जब करियर शुरू करने की बात आई तो उन्होंने अपने पुश्तैनी बिजनेस को चुना. शुरुआत में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन एक बार सही रास्ता पकड़ा तो दुनिया में छा गए. आज उनकी कंपनी पैका लिमिटेड (Pakka Limited) का कारोबार 40 देशों में चलता है. चलिए आपको इस कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट वेद कृष्ण की कहानी बताते हैं.

पिता के कहने पर लंदन से लौटे अयोध्या-
वेद कृष्ण उत्तर प्रदेश के अयोध्या के रहने वाले हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई देहरादून के वैलहम ब्वॉयज स्कूल में हुई. इसके बाद फैमिली ने हायर एजुकेशन के लिए उनको इंग्लैंड भेज दिया. लंदन मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी से उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की. वेद का बचपन से पायलट बनने का सपना था. लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था. एक दिन उनके पिता का फोन आया और उन्होंने उनको घर लौटने को कहा. वेद कृष्ण उनकी बात को टाल नहीं पाए और लंदन से सीधे अयोध्या लौट आए.

पुश्तैनी बिजनेस को संभालने की कोशिश-
वेद कृष्ण साल 1999 में अयोध्या लौटे और अपने पुश्तैनी बिजनेस से जुड़ गए. वेद के पिता केके झुनझुनवाला ने साल 1981 में अयोध्या में एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई थी. इस फैक्ट्री में कागज का काम होता था. इस कंपनी का नाम यश पेपर्स रखा गया था. इस कंपनी में बादामी रंग का कागज बनाया जाता था. इसका इस्तेमाल लिफाफा बनाने में होता था. शुरुआत में कारोबार ठीक चल रहा था. लेकिन बाद में स्थिति खराब होने लगी. वेद कृष्ण इस बिजनेस को संभालने के लिए अयोध्या आए. लेकिन वो भी इसमें सफल नहीं हो पाए. वेद कृष्ण ने पिता की कंपनी बेचने की कोशिश भी की. लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली.

नेचर से लगाव से आया आइडिया-
अभी फैमिली बिजनेस को लेकर वेद कृष्ण ऊहापोह में थे, तभी उनको बहुत बड़ा झटका लगा. साल 2005 में उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद उन्होंने पुश्तैनी बिजनेस को फिर से खड़ा करने की कोशिश की. कई प्रयास किए, लेकिन हर बार नाकामी हाथ लगी.
वेद कृष्ण को बचपन से ही नेचर से जुड़ी चीजें पसंद थी. नेचर से इस लगाव की वजह से ही उनके दिमाग में एक आइडिया आया. उन्होंने यश पेपर्स को फ्लेक्जिबल और सस्टेनेबल पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी में बदल दिया. साल 2007-08 में कंपनी ने फूड ग्रेड पेपर बनाना शुरू कर दिया. ये नया आइडिया काम कर गया और कंपनी को नई पहचान मिली.

चक ब्रांड की शुरुआत-
जब कंपनी की पहचान बनने लगी तो वेद कृष्ण इसे और आगे ले जाने का प्लान बनाने लगे. उन्होंने एक कंपोस्टेबल टेबलवेयर बनाने का काम शुरू किया. इसके लिए उन्होंने एक नया ब्रांड चक (Chuk) शुरू किया. इसके तहत प्लास्टिक और थर्मोकोल के विकल्प के तौर पर गन्ने की खोई का इस्तेमाल किया और उससे पैकेजिंग मटेरियल, फूड कैरी प्रोडक्ट और फूड सर्विस मटेरियल बनाना शुरू किया. इस काम को सीखने के लिए वेद ने चीन और ताइवान की भी यात्रा की. उन्होंने वहां से 8 मशीनें मंगवाई. उन्होंने टीम बनाई और गन्ने की खोई से इको फ्रेडली उत्पाद बनाने लगे. इस पैकेजिंग प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी शुरू कर दिया.

40 से ज्यादा देशों में फैला कारोबार-
वेद की कंपनी को मैकडोनाल्ड जैसी एमएनसी से पैकेजिंग मटेरियल के ऑर्डर मिलते हैं. उनका कारोबार विदेशों तक में फैला है. कंपनी का एक्सपोर्ट 40 से ज्यादा देशों में हो रहा है. कंपनी का कारोबार मैक्सिको से लेकर मिस्र तक फैला है. इस कंपनी ने हाल ही में ग्वाटेमाला में फैक्ट्री लगाने की शुरुआत की है.

कंपनी का बदला नाम-
जब कंपनी का कारोबार बढ़ने लगा तो वेद कृष्ण ने सीईओ का पद छोड़ दिया. उन्होंने इस पद पर प्रोफेशनल को बिठाया. साल 2019 में कंपनी का नाम भी बदल दिया गया. यश पेपर्स की जगह पैका लिमिटेड कर दिया गया. कंपनी बॉम्बे एक्सचेंज में भी लिस्टेड है.

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