Rolex Watches: एक अनाथ लड़के की कहानी जिसने गरीबी से लड़ते हुए खड़ी की Rolex कंपनी, जानिए क्यों इतनी मंहगी होती हैं रोलेक्स की घड़ियां

हैंस जब बारह वर्ष के थे तो उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी. साल 1908 तक विल्सडॉर्फ घड़ियां बनाकर अपने नाम से नहीं बेचते थे. वो घड़ियों के पुर्जे बाहर से मंगवाते थे और फिर घड़ी बनाकर इसे जौहरी के हाथों बेचते थे.

Rolex Watches
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST
  • पत्नी का मिला साथ
  • बनाई पहली कलाई घड़ी

कपड़े पहनने से इतर अगर किसी को कुछ अलग शौक होता है तो वो होता महंगे जूते या घड़ियों का. मार्केट में आपको कई तरह की सस्ती से लेकर महंगी घड़ियां मिल जाएंगी. वैसे अगर आप घड़ियों के शौकीन नहीं भी हों तो कहीं न कहीं किसी न किसी से Rolex कंपनी के बारे में सुना ही होगा. फिर आगे आपने ये भी सुना होगा कि  Rolex Watch काफी महंगी होती हैं. जी हां, मार्केट में बिकने वाली घड़ियों में से रोलेक्स सबसे लग्जिरियस और महंगी घड़ियों में से एक है.

रोलेक्स दुनिया की बेहतरीन लक्जरी ब्रांडों में से एक है जिसे  अपनी बेहतरीन डिजाइन और क्वालिटी के लिए जाना जाता है. रोलेक्स की स्थापना हैंस विल्सडॉर्फ (Hans Wilsdorf) और अल्फ्रेड डेविस (Alfred Davis) ने 1905 में की थी और तब से यह दुनिया भर में पसंदीदा घड़ियों में से एक बनी हुई है.

कैसे हुई कंपनी की स्थापना
22 मार्च, 1881 को जर्मनी के कुलम्बैक में जन्मे हैंस विल्सडॉर्फ के पिता डेनियल फर्डिनेंड विल्सडॉर्फ एक हार्डवेयर स्टोर के मालिक थे. जब हैंस बारह वर्ष के थे तो उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी. उसके बाद, उन्हें जीवन में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्होंने गरीबी भी झेली. लेकिन, हैंस के चाचा और उनके भाई-बहनों ने उनकी काफी मदद की. पढ़ाई पूरी करने के बाद हैंस स्विट्जरलैंड चले गए और वहां एक मोती व्यापारी के यहां काम करने लगे. बाद में उन्होंने घड़ी बनाना सीखा. 19 साल की उम्र में विल्सडॉर्फ ने घड़ियों की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कुनो कोर्टेन नामक घड़ी बनाने वाली एक कंपनी से की जहां उनका काम ये देखना था कि घड़ियां सही समय बता रही हैं या नहीं? विल्सडॉर्फ ने यहीं से घड़ियों के बारे में विस्तृत जानकारी और इनके प्रोडक्शन के बारे सीखा. 

पत्नी का मिला साथ
हैंस विल्सडॉर्फ 1903 में एक नया जीवन शुरू करने के लिए लंदन पहुंचे. उन्होंने खुद के लिए एक महंगी प्रापर्टी खरीदने के लिए लाखों रुपये खर्च किए लेकिन उन्हें लूट लिया गया, जिसके बाद उन्हें घड़ी कंपनी में काम करना पड़ा. साल1905 में वह समय आया जब विल्सडॉर्फ ने दूसरों की नौकरी करने की बजाए खुद का कारोबार खड़ा करने के बारे में सोचा.

हैंस विल्सडॉर्फ की पत्नी ने उनकी सफलता में बहुत बड़ा हाथ निभाया क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी की मदद से लंदन में ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त की. इसी दौरान उन्होंने एक अनोखी कलाई घड़ी बनाने का सपना देखा. हालांकि, हैंस के पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी. लंदन में, वह एक व्यवसायी अल्फ्रेड डेविस से मिले, जिसे उनका विचार पसंद आया और उन्होंने हंस की योजनाओं में निवेश करने का फैसला किया. इसी साल उन्होंने अल्फ्रेड के साथ मिल कर लंदन में एक कंपनी खोली, जिसका नाम रखा गया विल्सडॉर्फ एंड डेविस कंपनी. 

कैसे पड़ा रोलेक्स नाम?
शुरुआत में हैंस विल्सडॉर्फ और अल्फ्रेड डेविस ने पॉकेट वॉच लॉन्च की. तीन साल के भीतर, ब्रांड को पूरे ब्रिटेन में पहचान मिलनी शुरू हो गई. कुछ समय बाद हैंस ने ब्रांड का नाम बदलने का फैसला किया.  हैंस ने 'रोलेक्स' शब्द गढ़ा क्योंकि उन्हें लगा कि इसका उच्चारण करना आसान है और इसे याद रखा जा सकता है.

बनाई पहली कलाई घड़ी
ये 1910 की बात है जब रोलेक्स ने अपनी पहली कलाई घड़ी का उत्पादन किया जिसे उसने वॉच ऑब्जर्वेशन ब्यूरो को प्रस्तुत किया. इसका उद्देश्य घड़ी की सटीकता का परीक्षण करना था जिसने रोलेक्स के प्रतिष्ठित परीक्षण को पास करते ही सभी को चौंका दिया. स्विस क्रोनोमीटर सर्टिफिकेट मिलने के बाद यह इतिहास की पहली कलाई घड़ी बन गई. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, सैनिकों ने अत्यधिक सुविधाजनक रोलेक्स घड़ियों का उपयोग करना शुरू किया. 20वीं शताब्दी के दौरान इस ब्रांड की लोकप्रियता में बेतहाशा वृद्धि हुई. इसने बाद में ऑयस्टर परपेचुअल (Oyster Perpetual),सी ड्वेलर (Sea Dweller),सबमरीनर (Submariner)और डेटजस्ट (Datejust)जैसे प्रतिष्ठित मॉडल पेश किए. इन जबरदस्त संग्रहों ने रोलेक्स को दुनिया में सबसे अधिक मांग वाले घड़ी ब्रांडों में से एक बना दिया है.

क्यों महंगी होती है रोलेक्स की घड़ी?
Rolex की लैब में घड़ियों पर जितनी बारीकी से काम होता है ऐसा काम दुनिया ही दुनिया में किसी और घड़ी पर होता हो. एक से बढ़कर एक उपकरणों और पेशेवर कारीगर की मदद से रोलेक्स ने मैकेनिकल घड़ियां बनानी शुरू कीं. एक तरफ जहां बाजार में मिलने वाली आम घड़ियों में 316 एल स्टील का प्रयोग होता है, वहीं रॉलक्स अपनी घड़ियों के लिए 940 एल स्टील का इस्तेमाल करता है. वहीं घड़ी के डायल में व्हाइट गोल्ड का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा घड़ी में जिन नंबरों का इस्तेमाल किया जाता है वो स्पेशल कांच के प्लेटिनम से तैयार किए जाते हैं. इसमें बेजेल सेरेमिक यानी चीनी मिट्टी का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा रोलेक्स की घड़ी में ताज बना होता है. इस ताज का भी अपना अलग ही महत्व है. दरअसल, विल्सडॉर्फ ने रोलेक्स के LOGO के लिए इस ताज को चुन कर ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति अपना प्रेम दर्शाया था. 

 

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