सोनीपत के गांव कालूपुर के रहने वाले अशोक कुमार कभी रेलवे में नौकरी करते थे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें आगे क्या करना है, इसका कोई ठोस विचार नहीं था. साल 2022 में रेलवे से रिटायर होने के बाद उन्होंने कुछ महीने आराम किया, लेकिन फिर कुछ नया सीखने की चाह ने उन्हें केसर की खेती की ओर मोड़ दिया. दिलचस्प बात यह है कि अशोक ने यह तकनीक मोबाइल और इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन सीखी और आज वे अपने इलाके में चर्चा का विषय बन चुके हैं.
कैसे शुरू हुई केसर की खेती?
रिटायरमेंट के बाद अशोक कुमार के पास भरपूर समय था, लेकिन काम की कोई ठोस योजना नहीं थी. इस दौरान उन्होंने इंटरनेट पर सर्च किया और पाया कि केसर की खेती एक लाभदायक व्यवसाय हो सकती है. इसके बाद उन्होंने केसर की खेती से जुड़े वीडियो और ऑनलाइन कोर्स देखना शुरू किया. जब उन्हें इसके बारे में पर्याप्त जानकारी मिल गई, तो उन्होंने बीज की तलाश शुरू की.
केसर की खेती के लिए बीज महंगे होते हैं. अशोक ने बताया कि उन्होंने 5 लाख रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बीज खरीदा और अपने घर के एक कमरे में ही इसकी खेती शुरू कर दी.
दो साल में बनी सफलता की मिसाल
पिछले दो सालों से अशोक कुमार केसर की खेती कर रहे हैं और आज वे अपने क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. उन्होंने बताया कि केसर की खेती में शुरुआत में 8-9 लाख रुपये का निवेश करना पड़ा, लेकिन अब यह काफी मुनाफा दे रही है.
अशोक कुमार कहते हैं, "शुरुआत में खर्च तो ज्यादा हुआ, लेकिन अब यह खेती मुनाफा दे रही है. एक क्विंटल बीज से एक किलो केसर निकलता है, जिसकी बाजार में कीमत 5.5 लाख रुपये होती है. खास बात यह है कि बीज बार-बार खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि यह खुद विकसित होता रहता है. अगर तापमान सही रखा जाए, तो चार महीने में अच्छी फसल मिल जाती है."
युवाओं को भी दे रहे हैं प्रेरणा
अशोक कुमार का मानना है कि आज के युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं, जबकि खेती में भी अपार संभावनाएं हैं. वे कहते हैं, "अगर किसी के पास सीखने की इच्छा है, तो वह इस खेती को आसानी से कर सकता है. जरूरी नहीं कि नौकरी ही की जाए, सही जानकारी और मेहनत से कोई भी खुद का व्यवसाय खड़ा कर सकता है."
कम जगह में ज्यादा मुनाफा
बता दें, केसर की खेती के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं होती. अशोक कुमार ने यह खेती अपने घर के एक कमरे में शुरू की और धीरे-धीरे इसे बढ़ाते गए. उनका कहना है कि अगर सही तकनीक अपनाई जाए और तापमान को नियंत्रित रखा जाए, तो यह खेती कम लागत में अधिक मुनाफा दे सकती है.
अशोक कुमार की सफलता को देखते हुए अब उनके गांव और आसपास के लोग भी केसर की खेती के बारे में जानकारी लेने आ रहे हैं. कई युवा उनसे जुड़कर इस खेती की बारीकियां सीख रहे हैं और खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं.
(पवन राठी की रिपोर्ट)