भारतीय अर्थव्यवस्था में मछली पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. ग्रामीण विकास एवं अर्थव्यवस्था में मछली पालन की महत्वपूर्ण भूमिका है. मछली पालन के द्वारा रोजगार सृजन तथा आय में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं.
ऐसे में हम बात कर रहे है एक ऐसे शख्स की जिसने छोटे स्तर से मछली पालन की शुरुआत की और अब एक बड़े स्तर पर मछली पालन उद्योग चला रहे हैं. इनका नाम है जय भगवान. करनाल के रहने वाले मछली पालक जय भगवान खर्च मछली पालन से हर महीने लाखों कमा रहे हैं.
कैसे ओर कब की शुरुआत
जय भगवान ने 2008 में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर इस उद्योग की शुरुआत की. धीरे-धीरे उन्होंने करनाल के काछवा रोड के पास 15 एकड़ जमीन पर तलाब बनाए और इसमें मार्केट की मांग के अनुसार अलग-अलग तरह की मछलियों का पालन किया. मछलियों को देश की अलग-अलग मंडियों में बेचने के लिए ले जाया जाता है. जहां उनको इसका अच्छा मुनाफा मिल जाता है. एक किलो मछली से उन्हें 30 से 40 रुपये का मुनाफा मिल जाता है और इस तरह उन्होंने अपना कारोबार बढ़ाया है.
कैसे पाली जाती हैं मछलियां
मछली पालन की विधि के बारे में जय भगवान बताते हैं कि शुरू में जमीन पर तालाब की खुदाई की जाती है. फिर इसमें ऊपर तक पानी भरा जाता है. फार्म पर ही मछली के लार्वा को तैयार किया जाता है. उसके बाद लार्वा को तलाबों में डाल दिया जाता है. जय भगवान ने बताया कि चार लेयर में मछलियों को रखा जाता है.
पाली हुई मछलियों की किस्में
एक तलाब में मराकी मछली जो नीचे की खुराक खाती है. दूसरे तलाब में गोल्डन मछली है जो तालाब के बीच की खुराक खाती है. तीसरे तलाब में राउ मछली है जो बीच की खुराक खाती है और चौथे तलाब में कतला मछली है जो सिर्फ ऊपर की खुराक खाती है.
कैसे करते हैं देखरेख
जय भगवान बताते है इस सारे काम को 5 से 6 लोग देखते हैं. समय पर मछलियों को उनके हिसाब से खुराक दी जाती है. तालाब के पानी को समय-समय पर बदला जाता है ताकि ये साफ रहें. गर्मी के मौसम में मछलियों की ग्रोथ ज्यादा होती है. जय भगवान ने बताया कि सर्दियों में मछलियों को बीमारियों से बचाना पड़ता है.
सर्दियों में मछलियों के मास में जुएं लग जाती है. जब इस प्रकार की बीमारी लग जाती है तो मछलियों की खुराक में दवाई मिलाकर दी जाती है. इससे बीमारी से छुटकारा मिल जाता है. गर्मियों में मछलियों में गैस की बीमारी की दिक्कत हो जाती है जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मछलियां मरने की कगार पर भी आ जाती है. जिसके लिए जिओलेट दवाई का प्रयोग खुराक में मिलाकर करने से बीमारी से निजात मिलती है.
सरकार से मिलती है मदद
जय भगवान ने बताया कि इस व्यवसाय में सरकार अच्छी सब्सिडी देती है. 5 एकड़ जमीन पर 7 से 8 लाख की सब्सिडी सरकार से मिल जाती है. जनरल कैटेगरी में 40 प्रतिशत व एससी-बीसी में 60 प्रतिशत सब्सिडी सरकार देती है. जय भगवान ने बताया कि ढाई एकड़ में तलाब की खुदाई के लिए 3 से 4 लाख रुपये सरकार की तरफ से सब्सिडी मिल जाती है.
मछली पालन का तकनीकी प्रशिक्षण लेने के बाद मार्च के महीने में 2 एकड़ जमीन पर कोई भी इस व्यवसाय की शुरुआत कर सकता है. सर्दी के मौसम में जमीन पर तलाब के लिए खुदाई करें और मार्च के महीने में पानी भर कर मछली पालन शुरू करें. इस व्यवसाय को शुरू करने में 4 लाख तक का खर्चा आ जाता है. इसके साथ जय भगवान ने बताया कि तलाब के किनारे फल-फूल और सब्जियां उगाई जा सकती हैं.
मार्केट मिलना है जरूरी
जय भगवान के मछली फार्म पर काम करने वाले विजय बहादुर ने बताया कि 5 एकड़ जमीन पर तलाब की खुदाई का खर्चा करीब 10 से 12 लाख आ जाता है. सरकार की तरफ से 60% सब्सिडी मिल जाती है. फिर जाल लगाने पर 40%, इसके साथ खाद, खुराक व मछली के लार्वा के लिए भी 40% सब्सिडी मिलती है.
विजय बहादुर ने बताया कि मछली बेचने के लिए थोड़ी दिक्कत होती है. इसे बेचने के लिए हमें अलग-अलग मंडियों में जाना पड़ता है. करनाल जिले में इसके लिए कोई मंडी नही है. विजय बहादुर ने सरकार से अपील की है कि छोटे किसानों के लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी देने का प्रवाधान करें.
(कमलदीप की रिपोर्ट)