Sudha Murthy's Birthday: इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाली अकेली लड़की थीं सुधा मूर्ति, JRD टाटा को खत लिखकर हासिल की थी नौकरी

Sudha Murthy's Birthday: सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिग्गौन में हुआ था. उनके पिता सर्जन थे और मां स्कूल टीचर. सुधा मूर्ति भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता कंपनी टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर थीं.

सुधा मूर्ति
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST
  • सुधा मूर्ति के 10 हजार रुपए से शुरू हुई थी Infosys
  • सुधा मूर्ति को कई पुरस्कार और उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है.

इंजीनियर, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सुधा मूर्ति 19 अगस्त को अपना 72वां जन्मदिन सेलिब्रेट करेंगी. सुधा का जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिग्गौन में हुआ था. उनके पिता सर्जन थे और मां स्कूल टीचर. सुधा का पालन-पोषण उनके नाना-नानी ने किया. उन्हें बचपन से ही पढ़ाई का शौक था. वे हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल आती थीं. सुधा ने बीई इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से की. फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से कम्प्यूटर साइंस में एम.ई की परीक्षा पास की. सुधा के कॉलेज में 600 छात्र पढ़ते थे, जिनमें 599 लड़के थे और वे एक अकेली लड़की थीं. सुधा ने कर्नाटक के सभी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने की सराहनीय पहल शुरू की थी. सुधा मूर्ति को कई पुरस्कार और उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है.

हक की लड़ाई के लिए जे.आर. डी.टाटा तक पहुंचीं

सुधा मूर्ति भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता कंपनी टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर थीं. वह डेवलेपमेंट इंजीनियर के रूप में इस कंपनी में शामिल हुईं थीं. लेकिन इस नौकरी को पाना सुधा के लिए आसान नहीं था. बताया जाता है सुधा जब टेल्को में डेवलेपमेंट इंजीनियर के पद पर आवेदन कर रही थीं, उस वक्त उन्होंने देखा कि कोई भी महिला उम्मीदवार इस पोस्‍ट के लिए आवेदन नहीं कर सकती थी. सुधा ने जे.आर. डी.टाटा के सामने इस मुद्दे को उठाया और कंपनी में नौकरी पाने वाली भारत की पहली महिला इंजीनियर बनीं. इसके बाद उन्होंने वालचंद ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज में सीनियर सिस्टम एनालिस्ट के पद पर ज्वॉइन किया. सुधा मूर्ति ने फिल्मों में भी काम किया है. सुधा मूर्ति को उनके सामाजिक कार्यों और साहित्य में योगदान के लिए जाना जाता है. वह इंफोसिस फाउंडेशन की चेयर पर्सन भी हैं.

सुधा मूर्ति के 10 हजार रुपए से शुरू हुई थी Infosys

1981 में जब नारायण नौकरी छोड़ खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते थे तो सुधा उनके पक्ष में नहीं थीं लेकिन उन्होंने नारायण को नहीं रोका, क्योंकि वे उनका सपना किसी भी हाल में टूटते हुए नहीं देखना चाहती थीं. सुधा ने नारायण को 10 हजार रुपये कर्ज दिया. इन्हीं पैसों से नारायण ने अपने 6 दोस्तों के साथ मिलकर इंफोसिस की नींव रखी. सुधा उधार दिए पैसों का हिसाब रखती थीं और उसे एक डायरी में दर्ज करती थीं. जब नारायण मूर्ति ने कहा कि वो और सुधा दोनों एक साथ इंफोसिस में नहीं रह सकते. तो सुधा ने खुद त्याग कर दिया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुधा मूर्ति की कुल संपत्ति 2480 करोड़ रुपये है.

नारायण मूर्ति से प्यार और शादी

टेल्को में काम करने के दैरान ही सुधा और नारायण की मुलाकात हुई थी. नारायण मूर्ति शर्मीले थे. सुधा मूर्ति एक साहसी और महत्वाकांक्षी लड़की थीं. दोनों की मुलाकात पुणे में उनके दोस्त प्रसन्ना ने करवाई थी. मूर्ति ने सुधा को उनके कुछ दोस्त के साथ डिनर पर बुलाया. चूंकि सुधा उस ग्रुप में अकेली लड़की थी, इसलिए पहले तो उन्होंने आने से मना कर दिया. लेकिन नारायण मूर्ति के बार-बार कहने पर सुधा ग्रीन फील्ड्स होटल पहुंचीं. जल्द ही दोनों की दोस्ती हो गई. दोनों हमेशा पढ़ाई की बातें करते. जब भी दोनों डेट पर जाते, बिल सुधा देती थीं, क्योंकि सुधा उस वक्त ज्यादा कमाती थीं. एक दिन मूर्ति ने सुधा से कहा- ‘मेरी हाईट 5 फुट 4 इंच है. मैं मध्यवर्गीय परिवार से आता हूं. मैं कभी अमीर नहीं बन सकता हूं. तूम खूबसूरत हो, होशियार हो, तुम जो चाहो वो हासिल कर सकती हो, पर क्या तुम मुझसे शादी करोगी ?’ यह सुनकर सुधा ने हैरान रह गईं और जवाब के लिए कुछ समय मांगा. इसके बाद सुधा ने अपने पेरेंट्स से इस बारे में बताया. तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए दोनों ने 10 फरवरी 1978 को बेंगलुरु में शादी कर ली. 

 

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