Truecaller New CEO: बैंगलोर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई, स्वीडन की नागरिकता... कौन हैं ट्रूकॉलर के नए सीईओ Rishit Jhunjhunwala

ऋषित झुनझुनवाला सॉफ्टवेयर कंपनी ट्रूकॉलर के नए CEO होंगे. झुनझुनवाला का जन्म साल 1977 में हुआ था और उनकी पढ़ाई-लिखाई बैंगलोर यूनिवर्सिटी से हुई. फिलहाल वे स्वीडिश नागरिकता रखते हैं. वो साल 2015 से 2022 तक स्वीडन में रहे.

Rishit Jhunjhunwala (Photo/Truecaller)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

स्वीडिश सॉफ्टवेयर कंपनी ट्रूकॉलर ने नए CEO के नाम का ऐलान कर दिया है. कंपनी ने साल 2015 से कंपनी के लिए काम रहे  ऋषित झुनझुनवाला को अपना नया CEO बनाया है. ऋषित फिलहाल भारत में ट्रूकॉलर के एमडी (इंडिया) और चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर हैं. वह 9 जनवरी को एलन ममेदी के पद छोड़ने के बाद पदभार
संभालेंगे.

कौन हैं ऋषित झुनझुनवाला-
ऋषित झुनझुनवाला का जन्म साल 1977 में हुआ था. उन्होंने बैंगलोर यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की पढ़ाई की. लेकिन झुनझुनवाला स्वीडिश नागरिक हैं. वो साल 2015 से 2022 तक स्वीडन में रहे. ट्रूकॉलर में जाने से पहले उन्होंने July Systems में वाइस प्रेसिडेंट  रहे. ऋषित  Cloud Magic Inc. के को-फाउंडर रहे हैं.

फिलहाल झुनझुनवाला के पास ट्रूकॉलर के 12436 शेयर हैं. झुनझुनवाला साल 2015 में ट्रूकॉलर से जुड़े. साल 2021 में उनको ट्रूकॉलर का एमडी (इंडिया) बनायाा गया. इसके साथ ही उनको चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर की जिम्मेदारी भी दी गई.

एलन मामेदी की जगह लेंगे झुनझुनवाला-
फिलहाल ट्रूकॉलर के सीईओ एलन मामेदी हैं. ऋषित झुनझुनवाला 9 जनवरी को एलन ममेदी के पद छोड़ने के बाद पदभार संभालेंगे. साल 2009 में एलन मामेदी ने नामी जरिंगहलम के मिलकर स्वीडन के स्टॉकहोम में ट्रूकॉलर की स्थापना की थी. दोनों ने 30 जून 2025 तक कंपनी के डे-टू-डे के कामों से अलग होने का फैसला किया है. उन्होंने चिट्ठी लिखकर ट्रूकॉलर के ऑपरेशनल जिम्मेदारी छोड़ने का फैसला किया है.

ट्रूकॉलर क्या है-
ट्रूकॉलर एक कॉलर आईडी और स्पैम ब्लॉकिंग सर्विस है. इसका सबसे अहम काम Caller ID बताना है. यानी अगर हमारे नबंर पर कोई कॉल करता है, तो यह ऐप हमें उस नंबर के मालिक का नाम और वो नबंर कहां का है, ये बताता है.

कैसे हुई थी ट्रूकॉलर की शुरुआत-
नामी जरिंगहलम और एलन ममेदी ने साल 2009 में ट्रूकॉलर की शुरुआत की थी. उन दिनों स्मार्टफोन का चलन बढ़ता जा रहा था. ऐसे में अज्ञात नंबर्स से कॉल आना आम बात होने लगी थी. अनचाहे कॉल से दोनों काफी परेशान थे और इससे निजात पाना चाहते थे. दोनों छात्रों ने सोचा कि एक ऐसी सर्विस हो, जिससे अनजान नंबर्स की पहचान की जा सके. इसके बाद दोनों ने ट्रूकॉलर की शुरुआत की.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED