Terracota Jwellery Business: नौकरी छोड़कर शुरू किया टेराकोटा की ज्वेलरी का बिजनेस, आज दूसरी महिलाओं को भी दे रही हैं रोजगार

बहुत से लोग अपने मन का काम न होने पर भी नौकरी छोड़ने का जोखिम नहीं ले पाते हैं. पर रश्मि ने न सिर्फ़ अपनी नौकरी छोड़ी बल्कि अपने हुनर से अपने ज़िंदगी के क्राफ़्ट को सजाया है. आज न सिर्फ़ रश्मि को उनकी मंज़िल मिली है बल्कि इससे कई महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह भी मिल रही है.

Rashmi Verma
शिल्पी सेन
  • गोरखपुर,
  • 02 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST
  • इंडो-वेस्टर्न डिजाइन की ज्वेलरी बना रही हैं रश्मि
  • महिलाओं को दे रही हैं रोजगार

बचपन में हम में से कई लोगों को क्राफ़्ट बहुत पसंद होता है. पर बड़े होने पर लोग इसको या तो एक शौक़ के तौर पर लेते हैं या इसे छोड़ देते हैं. लेकिन रश्मि वर्मा में न सिर्फ़ क्राफ़्ट को अपने भविष्य से जोड़ा बल्कि आसपास के क्षेत्र की महिलाओं को इसके जरिए रोज़गार भी दे रही हैं. 

यूपी में गोरखपुर के One District One Product यानी ODOP योजना के तहत आने वाली ‘टेराकोटा इंडस्ट्री’ की टेराकोटा जूलरी(टेराकोटा के गहनों) की काफी मांग है. और रश्मि वर्मा इस मांग की आपूर्ति करने के लिए अपनी टेराकोटा ज्वेलरी मेकिंग की यूनिट चला रही हैं. 

बना रही हैं इंडो-वेस्टर्न डिजाइन की ज्वेलरी 
टेराकोटा की ज्वेलरी बहुत ध्यान से बनाई जाकी है और इन गहनों पर हाथों से बारीक काम होता है. छोटे- छोटे बीड्ज़ बनाकर उनको ब्रश से रंगा जाता है और फिर गहने तैयार किए जाते हैं. टेराकोटा को फ़ैशन की दुनिया में लेटेस्ट ट्रेंड माना जा रहा है. 

हालांकि, इसके लिए सधे हाथों से काम करना इतना आसान नहीं है. क्योंकि इसमें न सिर्फ़ हुनर की ज़रूरत है बल्कि क्रिएटिविटी की भी ज़रूरत है. और आज रश्मि वर्मा अपने घर पर आसपास की लड़कियों को न सिर्फ़ यह काम सिखा रही हैं बल्कि इनकी बनाई ख़ूबसूरत आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी को बाज़ार तक भी पहुंचा रही है. 

Terracotta Jwellery

टीचर की नौकरी छोड़ शुरू किया अपना नाम 
रश्मि वर्मा ने अपने मोहल्ले में ही नहीं अपने शहर गोरखपुर में भी सफलता की एक नयी कहानी गढ़ी है. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली रश्मि को बचपन से ही हाथ की चीजें बनाने का बहुत शौक़ था. स्कूल से उनकी रूचि होने और बड़े होने पर उनके हुनर की वजह से उनको एक स्कूल में क्राफ़्ट टीचर की नौकरी भी मिल गयी.

पर रश्मि बहुत जल्दी ही एक लीक पर चलने से ऊब गयीं और क्राफ़्ट में नयी चीजें बनाना शुरू कर दीं. इसी बीच उन्होंने टेराकोटा से बहुत सी चीजें बनायींय लेकिन फिर भी कुछ अलग करने की इच्छा बनी रही. तभी रश्मि ने टेराकोटा के गहने बनाने के बारे में सुना. गोरखपुर और उसके आस पास के क्षेत्र में टेराकोटा का काम तो बड़े पैमाने पर होता है पर उस समय सिर्फ़ कप, कटोरी, बर्तन ही बनाए जाते थे. 

गहने बनाने का तब इतना प्रचलन नहीं था. लेकिन रश्मि ने अपने हुनर को पंख देने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दीय और घर पर ही टेराकोटा के गहने बनाने लगीं. 

ODOP से मिली मदद
रश्मि के शौक़ और हुनर को यूपी सरकार की ODOP स्कीम के तहत पंख मिले. इस योजना से इस क्षेत्र में काम करने वालों को अपना स्टार्टअप शुरू करने के लिए लोन और अन्य कई सुविधाएं मिलने लगीं. बस रश्मि का ये काम भी चल निकला. आज वह इस क्षेत्र में टेराकोटा ज्वेलरी के सबसे बड़े क्लस्टर्स में से एक हैं. 

रश्मि का काम अब इतना बढ़ गया है कि घर पर भी वह आस पास की लड़कियों को काम सिखाती हैं. मार्केट में इन गहनों की मांग बढ़ी है. तमाम बड़े स्टोर्स में रश्मि और उनके कारीगरों के बनाए गहने मिलते हैं. अब वह महिलाएं भी खुश हैं जो अपना घर का काम-काज निपटा पर इस काम को करने आती हैं. 

 

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