शार्क टैंक इंडिया सीजन 2 में लगातार छोटे-बड़े स्टार्टअप्स और बिजनेस को फंडिंग मिल रही है. अगर किसी कंपनी को फंडिंग नहीं भी मिले तो उन्हें शार्क्स से काफी अच्छी सलाह और मार्गदर्शन मिलता है. इस तरह से शार्क टैंक इंडिया शो भारत में काफी सफल रहा है.
इस सीजन की खासियत यह है कि इस बार बहुत से ऐसे स्टार्टअप्स को मौका मिल रहा है जो सामाजिक मुद्दों पर काम कर रहे हैं. हाल ही में, कई ऐसे स्टार्टअप्स को शार्क्स ने बड़ी फंडिंग दी जो वेस्ट मैनेजमेंट पर अच्छा काम कर रहे हैं. इसके अलावा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे स्टार्टअप्स को भी फंडिंग मिली है.
सामाजिक बदलाव के लिए प्रयासरत हैं ये स्टार्टअप्स.
1. डेली डंप
बंगलुरु स्थित डेली डंप को पूनम बीर कस्तूरी चला रही हैं. यह एक कंपोस्ट कंपनी है जो घरों से निकलने वाले जैविक कचरे से खाद बनाने के लिए सही प्रोडक्ट्स और जानकारी उपलब्ध करा रही है. डेली डंप के प्रोडक्ट्स निजी घरों और सोसायटीज के लिए हैं और इनका प्रयोग करके आप अपने घर या सोसायटी को जीरो-वेस्ट बना सकते हैं.
पूनम के आइडिया को सभी शार्क्स ने सराहा. साथ ही, उनसे काफी कुछ सीखा भी. डेली डंप को शार्क नमिता थापर से 4% इक्विटी के लिए 30 लाख रुपए की फंडिंग और 50 लाख रुपए का ऋण मिला.
2. हकदर्शक
हकदर्शक एक ऐसा स्टार्टअप है जो आर्थिक रूप से कमजार लोगों को भारतीय सरकार की सोशल बेनेफिट स्कीम्स से जुड़ने में मदद कर रहा है. साल 2016 में यह स्टार्टअप अनिकेट डोगरे ने शुरू किया था और इसके जरिए अनिकेत ने लगभग 25 लाख से लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचा दिया है. हकदर्शक एक मोबाइल एप्लिकेशन और वेब प्लेटफॉर्म है, जो अपने एजेंट्स को खास ट्रेनिंग देता है ताकि ये एजेंट्स आम लोगों की सरकारी स्कीम्स से जुड़ने में मदद कर सकें.
डोगरे के अनुसार, ग्रामीण भारत में लाभार्थियों के लिए उपलब्ध योजनाओं की औसत संख्या 50-55 के बीच है, जबकि शहरी भारत में यह संख्या 35-40 तक जाती है. उनका दावा है कि हकदर्शक अब तक सामाजिक योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों को ₹5,000 करोड़ का वितरण करा चुका है. शार्क टैंक में उन्हें 2% इक्विटी के लिए 1 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली.
3. पैडकेयर लैब्स
26 साल के अजिंक्य धारिया, अपने स्टार्टअप, PadCare Labs के जरिए सैनिटरी वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहे हैं. धारिया ने एक लैंडफिल साइट के दौरे के दौरान देखा कि कैसे रैगपिकर्स बिना कोई गलव्स पहने सैनिटरी वेस्ट जैसे इस्तेमाल किए हुए पैड्स, डायपर्स उठाते हैं. और इसलिए सैनिटरी वेस्ट न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी समस्या है.
इसका हल निकालने के लिए उन्होंने अपने स्टार्टअप के जरिए तीन अलग-अलग मशीनें बनाईं. एक पैड वेंडिंग मशीन, दूसरी पैडकेयर बिन, जिसमें बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल हुए पैड्स को महीने भर तक स्टोर कर सकते हैं. और तीसरी मशीन है पैडकेयर एक्स, जो सैनिटरी नैपकिन को लकड़ी के गूदे और उच्च गुणवत्ता वाले प्लास्टिक में रिसायकल करती है.
उनके काम से सभी शार्क्स बहुत प्रभावित हुए क्योंकि वे ग्लोबल लेवल पर समस्या का समाधान कर रहे हैं. शार्क पीयूष ने उन्हें ब्लैंक चेक तक ऑफर कर दिया. आखिर में, उन्हें 4% इक्विटी के लिए 1 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली.
4. जनित्री
जनित्री स्टार्टअप स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहा है. यह स्टार्टअप ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लेस उपकरण बना रहा है. इस स्टार्टअप की शुरुआत की है अरुण अग्रवाल ने. जनित्री स्टार्टअप तीन प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराता है- केयर पैच, दक्ष, और नवम वियरेबल.
सिलिकॉन और प्लास्टिक से बने केयर पैच को गर्भवती महिला के पेट पर लगाया जा सकता है और यह बच्चे की हार्ट रेट, मां की हार्ट रेट, लेबर कॉन्ट्रेक्शन और बच्चे की गतिविधि पर नजर रखता है. केयर पैच को दक्ष नामक मोबाइल एप्लिकेशन से कनेक्ट किया जाता है और इसके जरिए गर्भवती महिला की सारी रिपोर्ट डॉक्टर तक पहुंचाती है. वहीं, नवम वियरेबल को कलाई पर पहना जाता है और यह गर्भ में बच्चे को मॉनिटर करता है.
अरुण की कोशिश जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की है. वह गांवों तक इस सुविधा को पहुंचाकर उन मां और बच्चे की जान बचाना चाहते हैं जो समय पर मेडिकल हेल्प न मिलने के कारण जान गंवा देते हैं. जनित्री को शार्क टैंक इंडिया से 2.5% इक्विटी के लिए 1 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली.
5. स्क्रैपअंकल
दिल्ली स्थित स्क्रैपअंकल की शुरुआत 2019 में 25 साल के मुकुल छाबड़ा ने की. यह स्टार्टअप खुद को एक मॉडर्न 'कबड्डीवाला' (स्क्रैप डीलर) के रूप में स्थापित करता है. मुकुल का उद्देश्य इस स्टार्टअप के जरिए भारत की रिसायक्लेबल वेस्ट मैनेजमेंट प्रॉब्लम में एक बदलाव लाना है. यह एप और वेबसाइट के जरिए लोगों को स्क्रैप कलेक्शन और रिसायक्लिंग सर्विसेज देता है.
कोई भी अपने घर, दफ्तर या होटल आदि से कचरा इक्ट्ठा करने के लिए स्क्रैपअंकल के वेरिफाइड एजेंट्स बुक कर सकता है. कचरे के बदले लोगों को पैसे दिए जाते हैं और फिर कचरे को केटेगरी के हिसाब से रिसायक्लिंग के लिए भेजा जाता है. पिछले दो सालों में स्क्रैपअंकल ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 22,000 से अधिक पिकअप पूरे किए हैं, और रीसाइक्लिंग के लिए 14 लाख किलोग्राम स्क्रैप भेजा है.
मुकुल के काम ने सभी शार्क्स को प्रभावित किया. उन्हें शार्क टैंक इंडिया में कई ऑफर मिले. लेकिन उन्होंने अमित जैन से 5% इक्विटी के लिए 60 लाख रुपए की फंडिंग ली.