वो दौर जब चिदंबरम ने पेश किया था 'Dream Budget', जानें अब तक के सबसे ज्यादा चर्चित बजट

पी चिदंबरम ने 1997-98 के बजट में कलेक्शन बढ़ाने के इरादे से कर दरों को कम करने के लिए लाफ़र कर्व सिद्धांत का इस्तेमाल किया. उन्होंने व्यक्तियों के लिए अधिकतम सीमांत आयकर दर 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत और घरेलू कंपनियों के लिए 35 प्रतिशत कर दी, इसके अलावा काले धन की वसूली के लिए आय योजना के स्वैच्छिक प्रकटीकरण सहित कई प्रमुख कर सुधारों को भी शुरू किया.

जानें अब तक के सबसे ज्यादा चर्चित बजट
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST
  • 1973-74 के बजट को कहा गया Black Budget
  • चिदंबरम का बजट था ड्रीम बजट

कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर और विधानसभा चुनावों के बीच केंद्रीय बजट 2022 पेश होने वाला है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. स्वतंत्र भारत में 1947 में तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम चेट्टी ने पहला बजट पेश किया और तब से लेकर आज तक कई तरह के बजट आए. कई ऐसे बजट थे जो काफी  ज्यादा चर्चा में रहे. तो चलिए आज उन बजट के बारे में आपको बताते हैं, जो काफी ज्यादा चर्चा में रहे. 

देश का पहला बजट
सबसे पहले बात देश के पहले बजट की. बजट पहली बार भारत में 7 अप्रैल, 1860 को पेश किया गया था जब ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनेता जेम्स विल्सन ने इसे ब्रिटिश क्राउन के सामने पेश किया था. स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था.

आज तक सबसे ज्यादा बजट किसने पेश किया
बजट के इतिहास में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है. उन्होंने 1962-69 के दौरान वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 10 बजट पेश किए थे. इसके बाद पी चिदंबरम बजट पेश करने के नाम पर दूसरे नंबर पर रहे. उन्होंने 9 बार बजट पेश किया है. प्रणब मुखर्जी ने 8 बार पेश किया, यशवंत सिन्हा ने भी 8 बार और मनमोहन सिंह ने 6 बार बजट पेश किया है.

बजट पेश करने में कब हुआ बदलाव
1999 तक, केंद्रीय बजट ब्रिटिश काल की प्रथा के अनुसार फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर शाम 5 बजे पेश किया जाता था. 1999 में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय बदलकर 11 बजे कर दिया. उसके बाद अरुण जेटली ने 1 फरवरी, 2017 से ब्रिटिश काल की प्रथा को खत्म करते हुए महीने के अंतिम कार्य दिवस की जगह महीने के पहले दिन बजट पेश करना शुरू किया. 

जब बजट की भाषा में आया बदलाव
आमतौर पर बजट हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में आता है. लेकिन 1955 तक ऐसा नहीं था. 1955 के पहले बजट केवल अंग्रेजी में पेश किया जाता था. लेकिन उसके बाद कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे तो बड़ी तत्परता से उठाया और उसी का नतीजा है कि आज बजट हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश होता है. 

क्या था ब्लैक बजट?
इंदिरा गांधी सरकार में यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा प्रस्तुत 1973-74 के बजट को काला बजट कहा गया था क्योंकि उस वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 550 करोड़ रुपये था. यह वह समय था जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था.

क्या है Carrot & Stick Budget?
28 फरवरी, 1986 को कांग्रेस सरकार के लिए वीपी सिंह ने जो केंद्रीय बजट पेश किया वो भारत में लाइसेंस राज को खत्म करने की दिशा में पहला कदम था. इसे 'Carrot & Stick' बजट कहा गया क्योंकि इसमें पुरस्कार और दंड दोनों को बराबर पेश किया गया. इस बजट में MODVAT (संशोधित मूल्य वर्धित कर) क्रेडिट की शुरुआत हुई. इसका लक्ष्य था उपभोक्ताओं को तस्करों, काला बाजारियों और कर चोरों के खिलाफ एक गहन अभियान शुरू करते हुए जो टैक्स भुगतान करना पड़ता है उसे कम किया जाए. 

इस बजट को ड्रीम बजट कहा गया?
पी चिदंबरम ने 1997-98 के बजट में कलेक्शन बढ़ाने के इरादे से कर दरों को कम करने के लिए लाफ़र कर्व सिद्धांत का इस्तेमाल किया. उन्होंने व्यक्तियों के लिए अधिकतम सीमांत आयकर दर 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत और घरेलू कंपनियों के लिए 35 प्रतिशत कर दी, इसके अलावा काले धन की वसूली के लिए आय योजना के स्वैच्छिक प्रकटीकरण सहित कई प्रमुख कर सुधारों को भी शुरू किया. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि ये बजट काला बाजारी पर एक चोट था. इसे 'ड्रीम बजट' इसलिए कहा गया क्योंकि इसने कस्टम ड्यूटी को घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया और उत्पाद शुल्क संरचना को सरल बना दिया.

क्या है मिलेनियम बजट?
2000 में यशवंत सिन्हा के मिलेनियम बजट ने भारत के आईटी सेक्टर के विकास के लिए रोडमैप तैयार किया क्योंकि इसने सॉफ्टवेयर निर्यातकों पर इंसेंटिव को समाप्त कर दिया और 21 वस्तुओं जैसे कंप्यूटर और कंप्यूटर एक्सेसरीज पर सीमा शुल्क कम कर दिया था. कुल मिलाकर कहें तो युवा पीढ़ी यानी की मिलेनियल के लिए ये बजट काफी सही था.

क्या है रोलबैक बजट?
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए यशवंत सिन्हा के 2002-03 के बजट को लोकप्रिय रूप से रोलबैक बजट के रूप में याद किया जाता है क्योंकि इसमें कई प्रस्तावों को वापस ले लिया गया था या वापस ले लिया गया था.

क्या है वन्स-इन-ए-सेंचुरी बजट?
निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को जो बजट पेश किया जिसे उन्होंने 'वन्स-इन-ए-सेंचुरी बजट' कहा था, क्योंकि यह बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा में निवेश के माध्यम से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक बड़ा कदम था. 


 

 

Read more!

RECOMMENDED