Union Budget: ब्लैक बजट, ड्रीम बजट, रोलबैक बजट... इतिहास के कुछ नायाब बजट के बारे में जानिए

साल 1991 के बजट को युगांतकारी बजट कहा गया था. इस बजट ने देश में आर्थिक सुधार और उदारीकरण की शुरुआत की थी. इस बजट को वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पेश किया था. साल 1997-98 में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पेश किए गए बजट को ड्रीम बजट कहा जाता है. इस बजट में व्यक्तिगत टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को बहुत हद तक घटा दिया गया था.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. इस बजट में कुछ बड़ी घोषणाएं होने की उम्मीद हैं. इतिहास में कई ऐसे बजट पेश किए गए हैं, जो ऐतिहासिक रहे हैं. उनको बड़े फैसलों और नीतिगत घोषणाओं के लिए याद किया जाता है. चलिए आपको कुछ ऐसे ही बजट के बारे में बताते हैं. 

ब्लैक बजट-
साल 1973-74 में इंदिरा गांधी की सरकार ने ब्लैक बजट पेश किया था. यह बजट वित्त मंत्री यशवंतराव बी. चव्हाण ने पेश किया था. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 550 करोड़ रुपए के उच्च राजकोषीय घाटे के चलते इसे ब्लैक बजट कहा गया था. उस समय देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा था.

गाजर और छड़ी वाला बजट-
साल 1986 में राजीव गांधी सरकार के वित्त मंत्री वीपी सिंह के पेश किए गए बजट को  कैरेट एंड स्टिक बजट पेश कहा गया. इस बजट ने लाइसेंस राज पर पहला प्रहार किया था. इसको इसलिए गाजर और छड़ी वाला बजट कहा गया, क्योंकि यह इनाम और दंड पर आधारित था. इस बजट ने टैक्स के व्यापक प्रभाव को कम करने के लिए MODVAT क्रेडिट की शुरुआत की,  जिसका भुगतान उपभोक्ताओं को करना पड़ता था. इसके साथ ही कालाबाजारी और टैक्स चोरी पर नकेल कसने की शुरुआत भी की गई थी. इस बजट के बाद देश में बड़ा बदलाव आया था.

साल 1991 का ऐतिहासिक बजट-
साल 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने Epochal Budget कहा गया. इसे हिंदी में युगांतकारी बजट के रूप पर जाना जाता है. इस बजट को वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था. इस बजट ने लाइसेंस राज को खत्म करते हुए आर्थिक उदारीकरण के युग की शुरुआत की थी. उस समय की हालत खराब थी. देश आर्थिक पतन के कगार पर था. इस बजट ने विदेश निवेश का रास्ता खोल दिया था. इसके साथ ही निर्यात बढ़ाने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए थे.

ड्रीम बजट-
वित्तीय वर्ष 1997-98 में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने विशेष बजट पेश किया था, जिसे ड्रीम बजट कहा गया. इस बजट में व्यक्तिगत टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को बहुत हद तक घटा दिया गया था. बजट ने मैक्सिमम मार्जिन इनकम टैक्स रेट को 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया गया था. घरेलू पर 35 फीसदी और विदेशी कंपनियों पर टैक्सेज को 48 फीसदी तक घटा दिया था.

रोलबैक बजट-
साल 2002-23 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश किया था. इस बजट को रोलबैक बजट के तौर पर जाना जाता है. इस बजट में अटल सरकार ने कई प्रस्ताव और पॉलिसी को वापस ले लिया था. जिसके बाद इस बजट को रोलबैक बजट कहा गया था.

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