OPS vs NPS vs UPS: केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है. सरकारी घोषणा के अनुसार Unified Pension Scheme 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी.
इस तरह से लंबे समय से नई पेंशन स्कीम (NPS) को वापस लेने और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार (Modi Government) ने बड़ा तोहफा दिया है. इससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन की गारंटी मिलेगी. आइए जानते हैं कि UPS, NPS और OPS में से कौन सी पेंशन स्कीम बेहतर है और इसका फायदा कैसे सरकारी कर्मचारी उठा सकते हैं.
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम
यूनिफाइड पेंशन स्कीम एक तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम के बीच का रास्ता है. यूनिफाइड पेंशन स्कीम की कई चीजें ओल्ड पेंशन स्कीम की ही तरह हैं. इसमें सरकारी कर्मचारियों को निश्चित और न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलेगी.
केंद्र सरकार देश की पेंशन नीतियों में सुधार करने के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह 1 जनवरी 2004 को न्यू पेंशन स्कीम लाई थी. पुरानी पेंशन योजना अंतिम वेतन के आधार पर सुनिश्चित पेंशन की गारंटी देती थी लेकिन नई पेंशन स्कीम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की मांग कर रहे थे. विपक्षी पार्टियां भी इसके लेकर सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रहीं थीं. अब इसी को देखते हुए मोदी सरकार यूनिफाइड पेंशन स्कीम लेकर आई है. यह NPS की तुलना में बेहतर है.
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत मिलेगी इतनी पेंशन
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के तहत सरकारी कर्मचारियों को एक निश्चित और न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलेगी. यदि किसी भी कर्मचारी ने 25 साल की न्यूनतम सर्विस दी है तो उसे रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगी.
यानी किसी कर्मचारी की औसत बेसिक सैलरी 50 हजार रुपए रहेगी तो उसे पेंशन के रूप में 25 हजार रुपए प्रति माह मिलेंगे.यदि किसी की सेवा अवधि कम है तो उसे उसी हिसाब से कम पेंशन मिलेगी. यूपीएस में यह भी प्रावधान है कि 10 साल या उससे कम समय तक नौकरी करने वाले कर्मचारियों को 10 हजार रुपए की निश्चित पेंशन दी जाएगी.
UPS के तहत पारिवारिक पेंशन भी
UPS के तहत पारिवारिक पेंशन भी दी जाएगी. फैमिली पेंशन सरकारी कर्मचारी के मूल वेतन का 60 फीसदी होगी. यह पेंशन कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद उनके परिवार को दी जाएगी.
इसका मतलब है कि किसी कर्मचारी को यदि हर महीने 30 हजार रुपए पेंशन मिल रही थी तो उसकी मौत के बाद पत्नी को 60 फीसदी यानी 18000 रुपए पेंशन मिलेगी. UPS में मेडिकल फैसिलिटी भी दी जाएगी. 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले जितने कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं या एक अप्रैल 2025 तक सेवानिवृत्त होंगे, उन्हें भी इस विकल्प को चुनने का अवसर मिलेगा.
चुनना होगा विकल्प
यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लागू करने के बाद हर साल सरकारी खजाने पर 6,250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. राज्य सरकारों को भी अपने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम चुनने का विकल्प मिला है. सबसे पहले महाराष्ट्र सरकार ने UPS चुनने का निर्णय लिया है. सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को डिफॉल्ट पेंशन स्कीम नहीं बनाया है. इसे नेशनल पेंशन स्कीम के विकल्प के तौर पर पेश किया है.
इसका मतलब है कि UPS का लाभ सभी पात्र कर्मचारियों को खुद नहीं मिलेगा बल्कि उन्हें नेशनल पेंशन स्कीम के साथ यूनिफाइड पेंशन स्कीम का विकल्प मिलेगा. यानी कोई कर्मचारी एनपीएस में बने रहना चाहता है तो वह मौजूदा व्यवस्था में बने रह सकता है लेकिन यदि वह नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम का लाभ पाना चाहता है तो उसके लिए उसे यूपीएस का विकल्प चुनना पड़ेगा.
OPS, NPS और UPS में क्या है अंतर
1. पेंशन पाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को UPS और NPS में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा. कुछ राज्यों में सरकारी कर्मचारियों के लिए OPS भी लागू है.
2. यूनिफाइड पेंशन स्कीम में एश्योर्ड पेंशन का प्रावधान है. UPS के तहत सरकारी कर्मचारी को 25 साल नौकरी करने पर रिटायर होने के बाद उसकी पिछले 12 महीने की बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाएगा. यदि कोई व्यक्ति 10 साल नौकरी करता है तो उसे कम से कम 10 हजार पेंशन दी जाएगी. इसमें फैमिली पेंशन का भी प्रावधान है.
3. यूपीएस में रिटायरमेंट पर एक मुश्त राशि दी जाएगी. इसकी गणना कर्मचारी के हर छह महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10वें हिस्से के तौर पर किया जाएगा. यूपीएस में रिटायरमेंट के बाद पेंशन बढ़ाने का भी प्रावधान है, जिसे इंडेक्स से जोड़ा गया है. यूपीएस केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए है. उधर, एनपीएस सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए है. ओपीएस सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए थी.
4. UPS में पिछले 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में दिया जाएगा, जबकि एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद कोई गारंटीड पेंशन का प्रावधान नहीं था. OPS में आखिरी बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाता था.
5. UPS और OPS एक सुरक्षित स्कीम है, वहीं NPS शेयर बाजार से लिंक है. यूपीएस में एनपीएस की तरह ही वेतन का 10 फीसदी यानी कि बेसिक प्लस डीए कटेगा. हालांकि इसमें सरकार का योगदान 18.5 फीसदी का होगा जो कि पहले 14 फीसदी था, ओपीएस में कोई कटौती नहीं होती थी.
6. UPS में रिटायरमेंट पर एक मुश्त राशि का प्रावधान है, जिसका कैलकुलेशन कर्मचारी के हर 6 महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10वें हिस्से के तौर पर किया जाए जाएगा.
7. NPS में कुल जमा राशि में से 60 फीसदी रिटायरमेंट पर एक मुश्त राशि निकाली जा सकती थी और 40 फीसदी एनयूटी के लिए रखी जाती थी. यूपीएस और ओपीएस में पेंशन पाने के लिए कोई निवेश नहीं करना होता है, जबकि एनपीएस में फंड का 40 फीसदी पैसा निवेश करना पड़ता है.
8. UPS और OPS में इंडेक्स का फायदा मिलता है जबकि एनपीएस में ऐसा नहीं है. यूपीएस में 10 साल नौकरी करने पर 10 हजार प्रति महीने की पेंशन का प्रावधान है. एनपीएस में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जबकि ओपीएस में पेंशन कम्युटेशन का प्रावधान था.
9. NPS के कंट्रीब्यूशन को बाजार में निवेश किया जाता है. ऐसे में पेंशन भी बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर थी. UPS में बाजार पर निर्भरता को खत्म कर दिया गया है. इससे कर्मचारियों को अधिक स्थिरता मिलेगी.
क्या-क्या मिलता है एनपीएस में
केंद्र सरकार ने 2004 में एनपीएस की योजना शुरू की थी. कर्मचारी रिटायरमेंट को बाद एनपीएस अकाउंट से 60 प्रतिशत पैसा निकाल सकते हैं. बाकी बची राशि को मासिक पेंशन के तौर पर बांट दिया जाता है, ताकि नियमित मासिक आय सुनिश्चित हो जाए. एनपीएस अकाउंट जो 60 प्रतिशत पैसा निकालते हैं उसपर टैक्स नहीं लगता है.
एनपीएस सब्सक्राइबर्स 80 सीसीडी नियम के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए सालाना छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं. कर्मचारी के रिटायरमेंट के बाद 60 प्रतिशत पैसा निकालने के बाद जो शेष 40 फीसदी राशि बचती है, उससे एनयूटी प्रोडक्ट खरीदा जाता है, जिसकी बदौलत अंतिम वेतन का लगभग 35 फीसदी पेंशन तय हो जाती है.
क्या-क्या मिलता था ओपीएस में
ओपीएस के तहत केंद्र और राज्य कर्मचारियों को उनकी अंतिम बेसिक सैलरी का आधा यानी 50 फीसदी पेंशन के तौर पर तय था. इसी के साथ महंगाई से राहत के लिए डीए को भी इसमें शामिल किया गया था. अब यही नियम यूपीएस में भी तय किया गया है.पहले जब भी सरकार महंगाई भत्ता बढ़ाती थी तो रिटायर हो चुके कर्मचारियों की पेंशन भी बढ़ती थी.
पुरानी पेंशन योजना में सरकारी कर्मचारियों के पास पेंशन बेचने का विकल्प रहता था. रिटायरमेंट के समय मान लीजिए किसी सरकारी कर्मचारी की पेंशन 25,000 रुपए बन रही थी और वह 5000 रुपए की पेंशन बेच देता था तो उसे हर 100 रुपए पर 115 रुपए का भुगतान एक साथ किया जाता था. 15 साल पेंशन पाने के बाद फिर से बिका हुआ पेंशन कर्मचारियों को वापस मिल जाता था. ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए सरकारी कर्मचारियों को कोई योगदान नहीं करना होता था. लेकिन यूपीएस और एनपीएस में करना होता है. ओपीएस के तहत ग्रेच्युटी भी दी जाती थी, जो यूपीएस में भी बरकरार रखी गई है.