भारत में चाय की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है. हर कोई चाय का दीवाना है. एक प्याली चाय पर घंटों किसी मुद्दे पर बहस होती है. घर में मेहमान आए तो चाय से स्वागत होता है. इस तरह से भारत में चाय एक सामाजिक संबंध बढ़ाने का साधन है. देश में चाय की खूब डिमांड भी है. इसलिए कई ब्रांड भी लोकप्रिय हैं. इन्हीं में से एक ब्रांड वाघ बकरी चाय है. इस ब्रांड की शुरुआत भी सामाजिक सद्भाव को बढ़ाने के विचार के साथ ही हुआ था. चलिए आपको 104 साल पुराने इस ब्रांड की सफलता की कहानी बताते हैं.
साउथ अफ्रीका में शुरू हुई कहानी-
साल 1982 में साउथ अफ्रीका के डरबन में नरणदास देसाई का 500 एकड़ का एक मशहूर चाय बागान हुआ करता था. नरणदास देसाई गुजरात के रहने वाले थे. उस समय दक्षिण अफ्रीका में भी ब्रिटिश राज था. जाहिर है दूसरे लोगों की तरह नरणदास देसाई को भी नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता था. धीरे-धीरे नस्लीय भेदभाव बढ़ने लगा. मजबूरन देसाई को साउथ अफ्रीका छोड़ना पड़ा. साल 1915 में नरणदास देसाई भारत लौट आए.
साउथ अफ्रीका में बापू से हुई थी मुलाकात-
साउथ अफ्रीका में रहने के दौरान देसाई की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई. जब देसाई भारत लौटे तो उनके पास महात्मा गांधी से मिला एक सर्टिफिकेट भी था. जिसमें बापू ने लिखा था कि मैं दक्षिण अफ्रीका में श्री नरणदास देसाई को जानता था, जहां वो कई सालों तक एक सफल चाय बागान के मालिक थे.
अहमदाबाद में चाय बेचने की शुरुआत-
भारत लौटने के बाद नरणदास देसाई ने साल 1919 में अहमदाबाद में गुजरात चाय डिपो शुरू किया. जिसमें खुली चाय बेची जाती थी. धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता गया. कुछ ही सालों में देसाई का कारोबार पूरे गुजरात में फैल गया. साल 1934 में देसाई ने वाघ बकरी ब्रांड लॉन्च किया. उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
वाघ बकरी Logo की कहानी-
वाघ बकरी ब्रांड का लोगो सामाजिक समानता का संदेश देता है. इसके Logo में एक बाघ और एक बकरी को एक ही कप में चाय पीते दिखाया गया है. गुजरात में बाघ को वाघ कहते हैं. इस Logo का मकसद ये बताना है कि उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के लोग एक साथ चाय पी सकते हैं. इस Logo के जरिए जाति आधारित व्यवस्था पर भी प्रहार किया गया है.
1980 में पैकेज्ड चाय लॉन्च-
गुजरात चाय डिपो ने साल 1980 खुली चाय बेची. उस दौर में खुली चाय ही बिकती थी. लेकिन उस दौर में चाय के मार्केट में बदलाव आया. विदेश ब्रांड भी इस फील्ड में कदम रखने लगे. वाघ बकरी चाय ने भी बदलाव का फैसला किया. इस तरह से 22 सितंबर 1980 को गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड की नींव रखी गई. इसके बाद कंपनी ने पैकेज्ड चाय बेचना शुरू किया. कुछ ही सालों में कंपनी पूरे गुजरात में फेमस हो गई. साल 2003 तक ये ब्रांड गुजरात का सबसे बड़ा चाय ब्रांड बन गया.
20 राज्यों में वाघ बकरी ब्रांड का कारोबार-
गुजरात का सबसे बड़ा ब्रांड बनने के बाद कंपनी ने देशभर में खुद को स्थापित करने की प्लान बनाया. इसका फायदा भी हुआ. साल 2009 तक कंपनी का विस्तार महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में हो चुका था. आज कंपनी 20 राज्यों में अपना कारोबार कर रही है.
इस दौरान कंपनी ने कई प्रोडेक्ट्स में भी लॉन्च किए. इसमें वाघ बकरी- गुड मॉर्निंग टी, वाघ बकरी-मिली टी, वाघ बकरी-नवचेतन टी और वाघ बकरी- प्रीमियम लीफ टी शामिल है. गुड मॉर्निंग टी की शुरुआत साल 1944 में हुई थी. यह एक सुपर प्रीमियम सेगमेंट की चाय है. वाघ बकरी ब्रांड के तहत लेमन टी, ग्रीन टी, आइस्ड डी और कॉफी जैसे उत्पाद भी लॉन्च किए गए.
देश की तीसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी-
वाघ बकरी टी भारत की तीसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी है. भारत की सबसे बड़ी चाय कंपनी टाटा टी है. जबकि दूसरे नंबर पर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड है. साल 2009 में कंपनी का शेयर 3 फीसदी था, लेकिन 2020 में ये बढ़कर 10 फीसदी हो गया. गुजरात में 50 फीसदी मार्केट पर इस ब्रांड का कब्जा है. कंपनी ने साल 1992 में विदेशों में भी चाय बेचनी शुरू की और आज करीब 40 देशों में कंपनी कारोबार होता है.
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