क्या होती है क्राउडफंडिंग? ये कैसे करती है काम? पैसे देते समय किन बातों का रखें ध्यान

कई बार क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल बिजनेस ग्रोथ के लिए भी किया जाता है. पर इन दिनों क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल सोशल-वर्क के लिए भी किया जाता है.

क्या होती है क्राउडफंडिंग? (सांकेतिक तस्वीर)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 18 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST
  • क्राउडफंडिंग का मतलब है वह फंड जो बहुत सारे लोगों से इकट्ठा किया जाता है.
  • कई लोग मंहगे इलाज के लिए भी क्राउडफंडिंग का सहारा लेते हैं.

मार्केट में पैसे जुटाने के कई तरीके होते हैं, कई बार किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए छोटे-छोटे तरीकों से पैसा जुटाया जाता है. ऐसे में क्राउडफंडिंग (Crowdfunding) की मदद ली जाती है. क्राउडफंडिंग बहुत सारे लोगों से छोटी-छोटी रकम इकट्ठा कर किसी उद्देश्य की पूर्ती के लिए बड़ी रकम इकट्ठा करना है. क्राउडफंडिंग दो शब्दों क्राउड और फंडिंग से मिलकर बना है. जिसका मतलब है कि वह फंड जो बहुत सारे लोगों से इकट्ठा किया जाता है बजाय एक या दो बड़े निवेशकों से. क्राउडफंडिंग किसी खास प्रोजेक्ट, बिजनेस या सोशल वर्क के लिए कई लोगों से छोटी-छोटी रकम जुटाने की प्रक्रिया है.

क्राउडफंडिंग के लिए वेब आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जाता है. इनके जरिए फंड जुटाने वाला डोनर्स या इनवेस्टर्स को फंड जुटाने का कारण बताता है. इसके साथ ही इस काम में वो कैसे सहयोग कर सकते हैं, उसका भी पूरा ब्योरा देता है. पहली बार इसकी शुरुआत किसी नए बिजनेस को फंड करने के लिए की गई थी. कई बार क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल बिजनेस ग्रोथ के लिए भी किया जाता है. पर इन दिनों क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल सोशल-वर्क के लिए भी किया जाता है. कई लोग मंहगे इलाज के लिए भी क्राउडफंडिंग का सहारा लेते हैं. भारतीय नियमों के अनुसार, इक्विटी आधारित क्राउडफंडिंग गैर-कानूनी है. वहीं, पीयर-टू-पीयर लेंडिंग पर भारतीय रिजर्व बैंक का कंट्रोल है. सोशल वर्क के लिए कम्युनिटी क्राउडफंडिंग की जाती है। इसमें दान आधारित और पुरस्कार आधारित क्राउडफंडिंग शामिल है. यह पूरी तरह से लीगल है. 

क्राउडफंडिंग से जुड़ी वेबसाइट्स लेती हैं फीस 

ज्यादातर क्राउडफंडिंग से जुड़ी वेबसाइट्स अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के लिए फीस लेती हैं. यह फीस सेवाओं के बदले ली जाती है. ये वेबसाइट्स फंड जुटाने में सहूलियत देती हैं. इनकी मदद से बेहद कम समय में काफी फंड जुटा लिया जाता है. क्राउडफंडिंग ने बिजनेस करने वालों को किसी भी शख्स से ज्यादा पैसा जुटाने का मौका दिया है. क्राउडफंडिंग हर शख्स के लिए एक फोरम उपलब्ध कराती है जो निवेशकों को निवेश करने का आइडिया देती है. केटो, इम्पैक्टगुरु, कैटापूल्ट और मिलाप कुछ पॉपुलर क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म हैं. इन प्लेटफॉर्म के जरिए जमा किए गए रकम का कुछ हिस्सा प्लेटफॉर्म के पास जाता है और बाकी आयोजक को मिलता है.

क्राउडफंडिंग करते हुए रखें इन बातों का ध्यान 

सोशल मीडिया के बढ़ते ट्रेंड के बीच क्राउडफंडिंग की कई रिक्वेस्ट और डिमांड आपको देखने को मिलेंगी. ऐसे में ये ध्यान रखना जरूरी है कि आप जहां पैसे दे रहे हैं वहां कोई फ्रॉड तो नहीं. ऐसे में पैसे देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.  

* हमेशा ये जानने की कोशिश कीजिए कि आप किसे पैसा दे रहे हैं. कौन लोग उस कैंपेन को मैनेज कर रहे हैं. उनका उद्देश्य क्या है? 

* अगर आप क्राउडफंडिंग में पैसा डाल रहे हैं तो उस बारे में पूरी जानकारी हासिल करें. आप क्राउडफंडिंग करवाने वाले शख्स से उससे जुड़े सभी कागजात शेयर करने के लिए कह सकते हैं. इससे आप जान पाएंगे कि आपने किसी गलत जगह पैसा तो नहीं लगा दिया है.

* आप कैंपेन में इस्तेमाल की जा रही तस्वीर की सत्यता जांचने के लिए सर्च इंजन में रिवर्स इमेज सर्च की मदद ले सकते हैं. एक्सपर्ट्स क्राउडफंड आयोजित करवाने वाले शख्स या वेबसाइट का बैकग्राउंड चेक करने की भी सलाह देते हैं. इससे आप नुकसान से बच सकेंगे.

 

 

 

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