पोंजी स्कीम (Ponzi Scheme) घोटाले में ईडी ने तमिलनाडु के त्रिची के मशहूर प्रणव ज्वेलर्स के ठिकानों पर छापा मारा है. आरोप है कि ज्वेलरी फर्म ने पोंजी स्कीम चलाकर 100 करोड़ रुपये का गबन किया है. बताया जा रहा है कि ज्वैलरी फर्म द्वारा चलाए जा रहे स्टोर अक्टूबर में बंद हो गए. इसके बाद जिन लोगों ने अपना पैसा लगाया था, इसकी शिकायत त्रिची स्थित आर्थिक अपराध शाखा में की. प्रणव ज्वेलर्स का विज्ञापन मशहूर अभिनेता प्रकाश राज करते हैं. इस मामले में प्रकाश राज से भी पूछताछ हो सकती है.
पोंजी स्कीम फ्रॉड क्या है और यह कैसे काम करता है?
ये एक तरह का इंवेस्टमेंट फ्रॉड है, जिसमें नए निवेशकों के पैसे लेकर पुराने निवेशकों को दिया जाता है. पोंजी स्कीम में ग्राहकों को बिना किसी जोखिम के बड़ा मुनाफा देने का वादा किया जाता है. इसमें एक प्रकार का पिरामिड तैयार किया जाता है, जिसमें निवेशकों को भुगतान के लिए निवेशकों के ही फंड का इस्तेमाल किया जाता है. जब नए निवेशकों की संख्या नहीं मिल पाती तो ऐसे स्कीमों का पर्दाफाश हो जाता है. पोंजी स्कीम में शामिल कंपनियों का पूरा फोकस नए ग्राहकों को आकर्षित करने पर रहता है. लोग भी तगड़े रिटर्न के चक्कर में अपने रिटर्न को ही रीइन्वेस्ट करने लगते हैं. लोगों के पैसे दोगुने-तीन गुने होना तो बहुत दूर की बात, लोगों को वो पैसे भी नहीं मिल पाते जो उन्होंने इंवेस्ट किए थे.
पोंजी स्कीम फ्रॉड का नाम उस शख्स के नाम पर पड़ा, जिसने पहली बार इसे अंजाम दिया था. उसका नाम था चार्ल्स पोंजी. ये फ्रॉड इतना पॉपुलर हुआ कि आज तक ठग इसे कॉपी कर रहे हैं.
पोंजी स्कीम के रेड फ्लैग्स
जब आपसे थोड़े या बिना किसी रिस्क के हाई रिटर्न देने का वादा किया जाए तो समझ लीजिए इसमें पैसे इंवेस्ट करने में ज्यादा रिस्क है.
इंवेस्टमेंट समय के साथ ऊपर-नीचे होती रहती है. ऐसे निवेश जो मार्केट की स्थितियों की परवाह किए बिना आपको पॉजिटिव रिटर्न देने का वादा करें, वहां आपको सावधान होने की जरूरत है.
पोंजी स्कीम में आम तौर पर ऐसे निवेश शामिल होते हैं जो एसईसी या राज्य नियामकों के साथ रजिस्टर्ड नहीं होते हैं.
अगर आपको पेमेंट नहीं मिल रही है या पेमेंट निकालने में परेशानी हो रही है तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है.
ज्यादातर पोंजी स्कीम में बिना लाइसेंस वाले लोग या अपंजीकृत कंपनियां शामिल होती हैं.
क्या हैं आरोप
प्रणव ज्वेलर्स पर आरोप है कि उन्होंने सोने में निवेश और अच्छा रिटर्न देने के नाम पर लोगों से 100 करोड़ रुपए इकट्ठे किए. लेकिन बाद में ज्वेलर ने ना रिटर्न दिया गया और ना ही लोगों के पैसे वापस किए गए. जांच में पता चला है कि ज्वेलर लोगों से इकट्ठे किए गए पैसों को शैल कंपनियों में डायवर्ट करते थे.