भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को जहां किसानों को बड़ी सौगात दी तो वहीं लंबे समय से सस्ते लोन और ईएमआई (Equated Monthly Installment) घटने का इंतजार कर रहे लोगों को झटका दिया है. दरअसल, आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक का ऐलान करते हुए रेपो रेट (Repo Rate) में लगातार 11वीं बार भी कोई बदलाव नहीं किया. आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 पर स्थिर रखा है.
इसका मतलब है कि आपकी मौजूदा EMI न तो बढ़ेगी और न ही घटेगी. आपको अब EMI घटने के लिए फरवरी 2025 तक का इंतजार करना होगा. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) की बैठक में लिए गए अहम फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 4.5 फीसदी से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है. आइए जानते हैं आखिर आरबीआई ने ऐसा क्यों किया?
क्या होता है रेपो रेट
आपको मालूम हो कि रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई देश को बैंकों को शॉर्ट-टर्म लोन उपलब्ध कराता है. बैंकों को जब पैसे की जरूरत होती है, तो वे अपनी सरकारी सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर रिजर्व बैंक से पैसे उधार लेते हैं. आरबीआई इस पर जो ब्याज वसूलता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने के मतलब है कि बैंकों से आपको लोन महंगा मिलेगा. इसके घटने पर बैंकों से कर्ज सस्ते में मिलता है. लोन लेना आसान हो जाता है.
क्या होता है कैश रिजर्व रेशियो
कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर वह हिस्सा है, जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत, नकद के रूप में रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. सीआरआर जब बढ़ता है तो बैंकों के पास नगदी कम होती है. ऐसा होने पर वे लोन देने में कटौती करते हैं.
क्या है मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के प्रमुख रिजर्व बैंक के गवर्नर होते हैं. इस कमेटी में गवर्नर समेत कुल 6 सदस्य होते हैं. यह कमेटी हर दो महीने में बैठक करती है. इसमें वह तय करती है कि ब्याज दरों को घटाना या बढ़ाना है. यह फैसले देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने और महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए लिए जाते हैं. रेपो रेट और सीआरआर में बदलाव सीधे तौर पर हमारी उधारी, लोन की ईएमआई और सेविंग पर असर डालते हैं.
ब्याज दरों में क्यों नहीं की कटौती
आपको मालूम हो कि सरकार हर कीमत पर महंगाई को काबू में रखना चाहती है. मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई दो फीसदी के ऊपर-नीचे के साथ 4 फीसदी पर रखने के लिए कहा है लेकिन अक्टूबर में खुदरा महंगाई 6.21 फीसदी पहुंच गई, जो नीचे आने के नाम नहीं ले रही है. आरबीआई के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात खाद्य मुद्रास्फीति ही है. इसी के कारण आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. ब्याज दरों में कटौती से अभी के लिए परहेज किया है.
इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपए का लगातार कमजोर होने के कारण भी आरबीआई ब्याज दरों में कटौती का जोखिम लेने से बच रहा है. इसके अलावा कई और वैश्विक कारण हैं, जिसको देखते हुआ आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती नहीं करने का निर्णय लिया है. हालांकि गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि जनवरी से मार्च में महंगाई घटने का अनुमान है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% रहने का अनुमान लगाया है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9% कर दिया है.
किसानों को बिना गारंटी के मिलेगा इतने लाख का लोन
आरबीआई ने बढ़ती महंगाई से किसानों को राहत देने के मकसद से बिना गारंटी के अब दो लाख रुपए तक का कर्ज उपलब्ध कराने की घोषणा की है. अभी यह सीमा 1.6 लाख रुपए है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि इससे वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने को लेकर छोटे और सीमांत किसानों का दायरा बढ़ेगा. आरबीआई ने 2010 में कृषि क्षेत्र को बिना किसी गारंटी के एक लाख रुपए देने की सीमा तय की थी. बाद में 2019 में इसे बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए कर दिया गया था. आरबीआई ने कहा कि इस संबंध में सर्कुलर जल्द ही जारी किया जाएगा.