नए साल के सेलिब्रेशन के बीच भारत-नेपाल सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास चर्चा का विषय बन रहा है.'सूर्य किरण' नाम का ये संयुक्त सैन्य अभ्यास नेपाल के सलझंडी में चल रहा है. इसका मकसद दुनिया खासकर हर हाल में विस्तारवादी नीति को बढ़ावा देने में जुटे चीन को संदेश देना है.
भारतीय सेना के 334 जवानों की टुकड़ी कर रही अभ्यास
इस अभ्यास के लिए भारतीय सेना के 334 जवानों की एक टुकड़ी पिछले 3 दिनों से नेपाल में मौजूद है. 'सूर्य किरण' युद्धाभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व 11वीं गोरखा राइफल्स की एक बटालियन कर रही है. नेपाली सेना की टुकड़ी की कमान श्री जंग बटालियन के हाथों में है. 29 दिसंबर 2024 से शुरू हुआ ये युद्धाभ्यास 13 जनवरी 2025 यानी 16 दिनों तक चलेगा. इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं जंगल की लड़ाई में सामंजस्य बैठाने, एकजुटता से हमला करने और पहाड़ों पर युद्ध लड़ने का अभ्यास करेंगी.
'सूर्य किरण' युद्धाभ्यास के बचे हुए 13 दिनों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के सही ढंग से संचालन के तरीकों का भी आदान-प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत मानवीय सहायता और आपदा की स्थिति में राहत देने की क्षमता को बढ़ाने पर भी जोर होगा. इसी युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के साथ अपने युद्ध अनुभव को भी साझा करेंगी.
पहले भी हो चुके हैं संयुक्त युद्धाभ्यास
'सूर्य किरण' युद्धाभ्यास का ये 18वां संस्करण है. पिछले साल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 17वें संस्करण का आयोजन किया गया था. जिसमें दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था. साल 2011 में भारत और नेपाल के बीच इस युद्धाभ्यास की नींव पड़ी थी. जिसका मकसद अपनी विस्तारवादी नीति को जबरन बढ़ावा देने में जुटे चीन को साफ-साफ संदेश देना था. श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, भूटान के अलावा नेपाल पर भी चीन की गंदी नजरें पड़ने लगी थी. इसी वजह से 13 साल पहले भारत ने नेपाल के साथ मिलकर 'सूर्य किरण' युद्धाभ्यास की नींव रखी थी. जिसके बाद हर साल सिलसिलेवार तरीके से इसका आयोजन होता है. जिसका मकसद दोनों देशों के द्विपक्षीय रक्षा संबंध मजबूत करने पर होता है.