रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर जितनी जल्दी तैयारी शुरू कर दी जाए, उतना ही बेहतर होता है. रिटायरमेंट की रणनीति ऐसी बनानी चाहिए, जिसे लेकर हम फाइनेंशियली कॉन्फिडेंट हों और रिटायरमेंट गोल्स को हासिल करने के लिए बनाए अपने प्लान पर टिके रह सकें.
रिटायरमेंट प्लानिंग-
अगर आपने अभी तक अपने रिटायरमेंट के लिए प्लान नहीं किया है तो आपको रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. सरकार की ओर से ऐसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जहां निवेश करके बुढ़ापे में अपने लिए अच्छी खासी रकम का इंतजाम कर सकेंगे.
म्यूजुअल फंड में निवेश-
आजकल बहुत सारे लोग बेहतर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करना सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इसमें निवेश करने पर आपको कम जोखिम में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिलता है.
म्यूचुअल फंड सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आपके रिटायरमेंट के बाद फंड तैयार करने में मददगार साबित हो सकता है. ये आपको लॉन्ग टर्म में बड़ा फायदा दे सकता है. आप कभी भी SIP बंद कर पैसा निकाल सकते हैं.
जितनी जल्दी प्लानिंग, उतना ज्यादा फायदा-
एक युवा को रिटायरमेंट के बारे में सोचना या बात करना अटपटा लग सकता है. लेकिन सच यही है कि रिटायरमेंट की प्लानिंग और उस पर अमल जितनी जल्दी शुरू करेंगे, रिटायरमेंट के समय आपके पास उतना ही बड़ा कॉर्पस या फंड होगा.
मिसाल के तौर पर अगर कोई शख्स 30 साल की उम्र से हर महीने 10 हजार रुपये सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP में निवेश करे तो 12 फीसदी के औसत सालाना रिटर्न के हिसाब से 60 साल में उसके रिटायरमेंट फंड की वैल्यू 3 करोड़ 24 लाख हो जाएगी. इतना ही निवेश अगर 35 साल की उम्र में शुरू किया, तो 60 साल की उम्र में उसे 1 करोड 79 लाख रुपये ही मिलेंगे. यानी महज पांच साल की देरी रिटायरमेंट फंड की रकम को तकरीबन आधा कर सकती है.
दे हो गई है तो घबराने की जरूरत नहीं-
अगर रिटायरमेंट की प्लानिंग करने में आपसे देर हो गई है. तो घबराने की जरूरत नहीं है. जब जागे, तभी सवेरा वाली कहावत जरूर सुनी होगी आपने. आप अभी से भी अपनी कोशिश शुरू कर सकते हैं. इसमें आपको उतना फायदा भले ही न मिले, जितना बरसों पहले शुरूआत करने पर मिल सकता था. लेकिन निराशा में हाथ पर हाथ धरकर बैठने से बेहतर है कि एक सुरक्षित और सुखद रिटायरमेंट के लिए फौरन कदम उठाए जाएं.
निवेश प्लान तैयार करना बेहतर-
लिहाजा जानकारों का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद महीने के खर्च को पूरा करने के लिए एक निवेश प्लान तैयार करना होगा. फंड का कुछ हिस्सा मंथली इनकम प्लान में निवेश करने करें. जानकारों का मानना है कि मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात से निपटने के लिए मेडिकल इंश्योरेंस जरूर लें. साथ ही अपने फंड का कुछ हिस्सा सरकारी योजनाओं में निवेश करें
इन स्कीम में लगाया जा सकता है पैसा-
दरअसल रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा कन्फ्यूजन होता है कि पीएफ और ग्रेच्युटी से मिला पैसा कहां निवेश करें. जिससे नियमित आय तो मिले ही साथ ही साथ टैक्स का भी बोझ कम पड़े. ज्यादातर लोग रिटायरमेंट के बाद किसी ऐसी स्कीम में पैसा नहीं लगाना चाहते हैं जो बहुत ज्यादा रिस्की हो. सीनियर सिटीजन्स की कोशिश होती है कि वो ऐसी स्कीम में पैसा लगाएं, जिससे बेहतर रिटर्न के साथ पैसा डूबने का खतरा ना हो.
रिटायरमेंट के बाद महंगाई दर का ध्यान रखना होगा-
अगर माता-पिता का पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानि पीपीएफ अकाउंट है, जो 15 साल की अवधि के पूरा होने पर मैच्योर होने वाला है. तो आप उन्हें 5 साल के ब्लॉक इन पीरियड में निवेश कर उसे जारी रखने का सुझाव दे सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद महंगाई दर को भी ध्यान में रखना होगा. लिहाजा ज्यादा रिटर्न के लिए अगर थोड़ा जोखिम उठाने की सोचते हैं तो म्यूचुअल फंड के डेट, इक्विटी और हाइब्रिड स्कीम में निवेश किया जा सकता है.
रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों जरूरी है-
आज के समय में हम डिजिटल दुनिया की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके आगे हम भावनात्मक रूप से कम और इलेक्ट्रॉनिक तौर पर ज्यादा जुड़े होंगे. हम पश्चिमी संस्कृति को तेजी से अपना रहे हैं. इसलिए आने वाले वक्त में पश्चिम संस्कृति का असर हमारे जीवन पर भी पड़ेगा और रिटायरमेंट के बाद खुद का ध्यान रखने की प्लानिंग भी जरूरी होगी. अगर रिटायरमेंट के बाद आपके बच्चे मदद करते हैं तो ये और अच्छी बात होगी. लेकिन रिटायरमेंट के बाद के लिए खुद की तैयारी होनी जरूरी है. अपने भविष्य को लेकर सकारात्मक होना अच्छी बात है, लेकिन ये अनुमान लगाना भी व्यावहारिक है कि आपके जीवन में आगे कुछ ऐसी बाधाएं आ सकती हैं, जहां आपको पैसों की जरूरत पड़े. ऐसे में आप अपने रिटायरमेंट प्लान पर ध्यान देकर भविष्य की आर्थिक जरूरतों के लिए पहले से तैयार रह सकते हैं.
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