World Wind Day 2023: इस युवक ने बनाई मेड इन इंडिया विंड टरबाइन, घर की बिजली की जरूरतों को कर रही है पूरा

पॉल इलेक्ट्रिकल टेक्नीशियन के रूप में लगभग 15 साल तक काम चुके हैं. इसके बाद, 2008 में वे अपने घर लौट आए और बिजली के प्रति अपने झुकाव और जुनून की खोज को जारी रखा. छोटी उम्र से ही बिजली और बिजली के उपकरणों में उनकी गहरी दिलचस्पी थी.

World Wind Day
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:01 PM IST
  • 2021 में चलने लगी विंड टरबाइन 
  • छोटी उम्र से ही थी दिलचस्पी 

प्रकृति में कई ऐसी चीजें हैं जिनसे बिजली पैदा की जा सकती है. इन्हीं का इस्तेमाल करके केरल के एक युवक ने मेड इन इंडिया विंड टर्बाइन बनाई है. जिसकी मदद से आज घर की बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. दरअसल, केरल के त्रिशूर के निवासी आईपी पॉल का दृढ़ विश्वास है कि अगर प्रकृति में ऐसी चीजें हैं तो इनका जरूर इस्तेमाल होना चाहिए. पॉल ने एक मिनी विंड टरबाइन बनाई है जिसे छतों पर भी स्थापित किया जा सकता है. ये पूरे घर को बिजली देने के लिए 'सामान्य' हवा से पर्याप्त बिजली पैदा कर सकता है.

छोटी उम्र से ही थी दिलचस्पी 

पॉल के मुताबिक, छोटी उम्र से ही बिजली और बिजली के उपकरणों में उनकी गहरी दिलचस्पी थी. पॉल ने इसे लेकर इंडियाटाइम्स को बताया, "जब मैं एक स्कूली छात्र था तब बिजली में मेरी रुचि हो गई थी. मैं घर पर ही बैटरी, तार और बिजली के साथ छोटे-छोटे प्रयोग करता था.”

बता दें, इलेक्ट्रिकल टेक्नीशियन के रूप में लगभग 15 साल तक काम चुके हैं. लेकिन 2008 में वे अपने घर लौट आए और बिजली के प्रति अपने झुकाव और जुनून की खोज को जारी रखा. 

12 साल तक की खोज 

इंडियाटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पॉल कहते हैं, "सौर ऊर्जा के बारे में मुझे जो कमियां महसूस हुईं, उनमें से एक यह थी कि बिजली उत्पादन केवल दिन के समय तक सीमित था, यह चौबीसों घंटे नहीं था. इसका दूसरा विकल्प पवन ऊर्जा था. लेकिन टर्बाइन बड़े पैमाने पर, महंगे और शोर करने वाले होते हैं. उन्हें घरों में स्थापित नहीं किया जा सकता था. इसलिए मैंने तलाश शुरू कर दी कि घर के लिए विंड टर्बाइन कैसे बनाया जाए.”

इसी को खोजने के लिए पॉल लगभग 12 साल तक चलती रही. और आखिरकार पॉल अपन विंड टरबाइन मॉडल को बनाने में सफल रहे. पॉल कहते हैं, “मैंने विंड टर्बाइन के लिए कई डिजाइन, मॉडल और दूसरी चीजों के साथ प्रैक्टिकल किया. इसपर रिसर्च कई महीनों तक चली जिसमें लाखों रुपये का खर्चा आया. इस बीच कई असफलताएं भी मिली लेकिन मैंने हार नहीं मानी.”

2021 में चलने लगी विंड टरबाइन 

ये पॉल की दृढ़ता ही थी कि आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और 2021 में विंड टरबाइन उनके घर के बगीचे में चलने लगी. इस विंड टरबाइन का डायमीटर 12 फीट है और इसका वजन 35 किलोग्राम से थोड़ा ज्यादा है. यह एक घंटे में एक यूनिट बिजली पैदा कर सकता है. 

पॉल के अनुसार, सबसे मुश्किल हिस्सा ब्लेड को डिजाइन करना था जो टिकाऊ, हल्का और धीमी हवा की स्पीड से घूमने वाला होना चाहिए. पॉल कहते हैं, "सबसे बड़ी चुनौती टर्बाइन के लिए ब्लेड डिजाइन करना थी. कई तरह की चीजों को आजमाने के बाद मैंने फाइबरग्लास का इस्तेमाल किया और यहां तक ​​कि लकड़ी के सांचे भी खुद बनाए. ब्लेड को सटीकता के साथ डिजाइन करना होता है क्योंकि अगर यह पतला हो जाता है, तो ब्लेड हाई वाइल्ड में टूट जाएगा और अगर यह मोटा है तो यह धीमी हवा होने पर नहीं घूमेगा."

पॉल आगे कहते हैं, "जब मैंने ऐसा करना शुरू किया तो मैं अच्छी तरह से जानता था कि यह एक आसान काम नहीं होने वाला था. मैंने इस पर कई लाख रुपये खर्च किए हैं. यहां तक ​​कि मेरा परिवार भी कभी-कभी परेशान हो जाता था कि मैं क्या कर रहा हूं. कभी-कभी वे मेरा समर्थन करते रहे, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि मैंने कई बार उन्हें परेशान किया था. लेकिन अब चीजें बदल गई हैं और मेरे आलोचक ही मेरे फैन बन गए हैं."

सोशल मीडिया लोग लगातार कर रहे हैं विंड टरबाइन को पसंद 

पॉल की पवन टर्बाइन जल्द ही हिट हो गई और सोशल मीडिया पर इस शब्द के फैलने के बाद पूरे केरल और अन्य राज्यों से स्थापना और व्यापार प्रस्तावों के लिए कॉलों की बाढ़ आ गई. इतना ही नहीं इंडियाटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने भी उनकी इस विंड टरबाइन में रुचि दिखाते हुए उनके संपर्क किया.

 

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