अरबपति बने Zomato के को-फाउंडर Deepinder Goyal, जानें कैसे इनकी कंपनी फूडीबे ने किया जोमैटो बनने तक का सफर तय 

Zomato co-founder Deepinder Goyal: एक आईआईटी ग्रेजुएट से अरबपति तक दीपिंदर गोयल की यात्रा एक दृढ़ता की कहानी है. उन्होंने जोमैटो को एक ऐसी कंपनी बनने में मदद की है जो आज फूड डिलीवरी का दूसरा नाम बन चुकी है.

Deepinder Goyal, CEO of Zomato
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST
  • पहले खाना ऑर्डर करना लगता था बोझिल 
  • फूड डिलीवरी का दूसरा नाम जोमैटो 

जोमैटो (Zomato) और स्विगी (Swiggy) जैसे फूड डिलीवरी एजेंट्स ने हमारे खानपान का तरीका बदलकर रख दिया है. हालांकि, जब पहली बार भारत में इस तरह का कॉन्सेप्ट आया था तो किसी ने नहीं सोचा था कि ये इतना पसंद किया जाएगा. आज इसी की बदौलत जोमैटो के को-फाउंडर और सीईओ दीपिंदर गोयल (Deepinder Goyal) का नाम भारत के अरबपतियों में शामिल हो गया है. जोमैटो का मार्केट रिवेन्यू  2 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर चुका है. 

IIT दिल्ली से ग्रेजुएशन करने वाले दीपिंदर गोयल ने 2008 में पंकज चड्ढा के साथ जोमैटो शुरू किया था. शुरुआत में फूडीबे (Foodiebay) नाम से, यह प्लेटफॉर्म एक सिंपल रेस्टोरेंट डायरेक्टरी के रूप में शुरू हुआ था. 2010 में, इसकी सफलता को देखते हुए जोमैटो के रूप में री-ब्रांड किया गया. 2018-19 तक, जोमैटो 1 बिलियन डॉलर के मार्किट वैल्यू के साथ एक यूनिकॉर्न बन गया था. लेकिन उसी साल पंकज चड्ढा ने कंपनी छोड़ दी. 

खाना ऑर्डर करना था बोझिल 
दीपिंदर बेन एंड कंपनी में कार्यरत थे. लेकिन उस समय, खाना ऑर्डर करना एक बोझिल प्रक्रिया थी. इसमें रेस्टोरेंट को पहले फोन किया जाता था और फिर उनसे ऑर्डर नोट करवाना पड़ता था. ऐसे में बेन एंड कंपनी में, कर्मचारियों ने एक टेकआउट मेनू कैटलॉग शेयर किया.

आईआईटी दिल्ली से पढ़कर निकले दीपिंदर गोयल ने सभी मेन्यू को स्कैन करने और उन्हें कंपनी के इंट्रानेट पर अपलोड करने का फैसला किया. इससे कई हद तक कंपनी में सभी के लिए खाना ऑर्डर करना आसान हो गया. 2008 में, कंपनी से 10 दिन की छुट्टी पर गए दीपिंदर ने अपने मेन्यू-स्कैनिंग विचार को बड़े लेवल पर करना का सोचा. इससे फूडीबे का जन्म हुआ, जिसका नाम आखिर में जोमैटो रखा गया. 

फूड डिलीवरी का दूसरा नाम जोमैटो 
आज, जोमैटो सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि ये फूड डिलीवरी का दूसरा नाम बन गया है. ये कंपनी अब केवल स्कैन किए हुए मेन्यू तक ही नहीं है बल्कि अधिकतर लोगों के लिए उनकी परफेक्ट मील का  सोर्स बन गई है. 

जोमैटो को मिली जब पहली फंडिंग 
हालांकि, कोई भी कंपनी फंडिंग के बगैर नहीं चल सकती है. जोमैटो इसमें काफी लकी रहा है. एक दिन दीपिंदर को इंफो एज (जो Naukri.com का मालिक हैं) के फाउंडर संजीव बिखचंदानी से एक ईमेल मिला. शुरुआत में दीपिंदर ने इसे मार्केटिंग ईमेल समझकर लगभग नजरअंदाज कर दिया। लेकिन आखिर में दीपिंदर संजीव से मिले.

संजीव ने कंपनी में 33% इक्विटी हिस्सेदारी के बदले जोमैटो को 1 मिलियन डॉलर की पहली फंडिंग दी. योरस्टोरी की रिपोर्ट के अनुसार, ये डील केवल आठ मिनट में हो गई थी. जिसके बाद जोमैटो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 
 
आज जोमैटो ने भारत के खाने के तरीके को बदलकर रख दिया है. रेस्टोरेंट के मेन्यू को स्कैन करने से लेकर फूड डिलीवरी में मार्केट लीडर बनने तक कंपनी की यात्रा काफी रोमांचक रही है. जोमैटो ने पूरे भारत में लाखों लोगों के लिए फूड डिलीवरी को आसान, सुविधाजनक और सुलभ बना दिया है.


 

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