भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में कटोरे की जगह किताब दे रहा है यह अनोखा सिग्नल स्कूल, नगर निगम ने की शुरुआत

Signal School: गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने एक अनोखे स्कूल की शुरुआत की है. इस स्कूल का नाम है सिग्नल स्कूल, जिसे मॉडिफाइड बसों में चलाया जा रहा है.

अहमदाबाद नगर निगम की नेक पहल- सिग्नल स्कूल
तेजश्री पुरंदरे
  • अहमदाबाद ,
  • 26 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:37 AM IST
  • अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की नेक पहल 
  • 4 घंटे तक लगता है सिग्नल स्कूल

जब भी आपकी गाड़ी सिग्नल पर रुकती है तब छोटे-छोटे बच्चे आपकी गाड़ी के शीशे को खटखटाकर पैसे या खाना मांगने लगते हैं. किसी को इन पर दया आती है तो किसी को गुस्सा. पर कोई भी इनके भीख मांगने की वजह को नहीं समझ नहीं पाता. इन बच्चों के लिए भीख मांगना मजबूरी है जो पैसे की कमी से ज्यादा शायद शिक्षा की कमी के कारण है. 

माता-पिता दो वक्त की रोटी कमाने में इतना व्यस्त रहते हैं कि बच्चों की शिक्षा के बारे में सोच ही नहीं पाते. और ये बच्चे शिक्षा से कोसों दूर रह जाते हैं. लेकिन इन्हीं बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहा है अहमदाबाद का एक सिग्नल स्कूल. 

अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की नेक पहल 
सिग्नल स्कूल अहमदाबाद के उन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहा है जो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. वे बच्चे जो सड़कों पर दुर्भाग्यवश मजबूरी में भीख मांगते हैं. इन्हीं बच्चों को एक अच्छा भविष्य देने के लिए अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से सिग्नल स्कूल नाम की एक पहल की गई है. 

Signal School in Ahmedabad

दरअसल सिग्नल स्कूल किसी आम स्कूल की तरह दिखने वाला स्कूल नहीं हैय यह एक ऐसा स्कूल है जो बसों में संचालित किया जाता है. बसों को कुछ इस तरह से कस्टमाइज किया गया है कि इन्हीं में बच्चों को पढ़ाने का काम किया जाता है. बस में ब्लैक बोर्ड, प्रोजेक्टर, टेबल, चेयर, किताबें और तमाम पढ़ाई करने की चीजों को रखा गया है. बस में ही बच्चे पढ़ाई करते हैं.

अहमदाबाद में चल रही हैं 10 बसें 
इस सिग्नल स्कूल की कुल 10 बसें अहमदाबाद के अलग-अलग क्षेत्रों में संचालित की जा रही हैं. यहां बसें खास उस जगह पर जाती है जहां सिग्नल पर बच्चे भीख मांगते नजर आते हैं. सीनियर स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका शीतल बताती हैं कि इन बसों को इसी तरह से डिजाइन किया गया है कि बस में बैठकर बच्चा आराम से पढ़ाई कर सकें. 

बच्चों को इस मिशन से जुड़ने की शुरुआत कुछ महीने पहले की गई थी. शुरुआत में सिर्फ दो बच्चों से कारवां शुरू हुआ लेकिन अब लगभग 100 से भी ज्यादा बच्चे इस मुहिम में जुड़ चुके हैं. कल तक जो बच्चे सिग्नल पर भीख मांगने का काम करते थे, आज उन्हीं बच्चों के हाथों में कटोरों की बजाय किताब और पेंसिल है. 

Teaching Poor Kids

आसान नहीं था बच्चों को शिक्षा से जोड़ना
इन बच्चों को पढ़ाने वाली बिंदु बहन बताती हैं कि शुरुआत में इन बच्चों को इस मिशन से जोड़ना बेहद मुश्किल था. इन बच्चों के माता-पिता को शिक्षा के महत्व के बारे में समझाना तक मुश्किल था. लेकिन उन्होंने अलग-अलग तरीकों से बच्चों के माता-पिता से बातचीत की और उन्हें यह समझाया कि इन बच्चों को पढ़ाना कितना जरूरी है. 

उन्हें बताया कि यदि बच्चे पढ़ाई नहीं करेंगे तो वह भी आने वाले समय में इसी तरह से दिहाड़ी-मजदूरी करेंगे. आज सिग्नल स्कूल में पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों की कक्षाएं लगाई जा रही हैं. इन बच्चों को पढ़ाई के अलावा सामान्य ज्ञान, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट क्लास, गीत संगीत और योग भी कराया जाता है.

4 घंटे तक लगता है सिग्नल स्कूल
शिक्षिका शीतल बताती हैं कि बस सुबह 8:00 बजे अपने गंतव्य स्थान से निकलती है और बच्चों के पास पहुंचती है. बच्चों को अलग-अलग ट्रैफिक सिग्नल से इकट्ठा करती हैंय जो बच्चे तैयार नहीं होते उन बच्चों को भी यूनिफॉर्म में तैयार करने का काम सिग्नल स्कूल की शिक्षिकाएं करती हैं. 

बच्चों को एकत्रित करने के बाद इन्हें तीन से चार घंटों तक पढ़ाया जाता है. पढ़ाई पूरी होते ही बच्चों को अपने-अपने घर बस के जरिए ही छोड़ दिया जाता है. इन बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाई करते हुए देख सकेंगे. 

100 students are there in Signal School

कल तक सिग्नल पर पड़े रहने वाले बच्चे आज स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चों पर बहुत गर्व महसूस होता है. सिग्नल स्कूल का मिशन है कि आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को अपने साथ जोड़ें और इसी तरह से इस मिशन को कायम रखें.

 

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