App for Special Children: अपने बच्चे को देखते हुए अर्चना ने बना डाला ऐप, मां-बाप को सिखाएगा स्पेशल बच्चों की सही परवरिश 

शिक्षा अर्चना नाम के इस ऐप को लॉन्च हुए अभी 2 महीने ही हुए हैं. अब तक एक हजार से ज्यादा स्पेशल चाइल्ड के पैरेंट्स इससे जुड़ चुके हैं. ये ऐप पूरी तरह से फ्री है. इस ऐप से यूपी के 75 जिलों के और 5 राज्यों के टीचर्स, न्यूरोसर्जन, थेरेपिस्ट और काउंसलर जुड़े हुए हैं.

App for Special Children
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST
  • सभी के लिए फ्री
  • ये ऐप सबकुछ बताएगा 

नोएडा की अर्चना पांडे स्पेशल चाइल्ड पैरेंट्स के लिए एक एंजल बनकर आई हैं. उन्होंने एक ऐसा ऐप बनाया है जो स्पेशल बच्चों के माता-पिता के लिए एक गाइड का काम करेगा. पेशे से टीचर अर्चना खुद एक स्पेशल चाइल्ड की मां हैं. उनका बेटा वैभव अभी 16 साल का है. वैभव को सेरेबल पाल्सी सहित मल्टीप्ल बीमारियां हैं.

अर्चना ने स्पेशल बच्चों के लिए एक ऐप तैयार किया है. इस ऐप में बच्चों के पालन पोषण, उनकी शिक्षा और उन्हें कैसे ग्रो किया जाए और उन्हें कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसे लेकर जानकारी दी गई है. शिक्षा अर्चना नाम के इस ऐप को लॉन्च हुए अभी 2 महीने ही हुए हैं. अब तक एक हजार से ज्यादा स्पेशल चाइल्ड के पैरेंट्स इससे जुड़ चुके हैं.

सभी के लिए फ्री
ये ऐप पूरी तरह से फ्री है. इस ऐप से यूपी के 75 जिलों के और 5 राज्यों के टीचर्स, न्यूरोसर्जन, थेरेपिस्ट और काउंसलर जुड़े हुए हैं. कोई भी पैरेंट जो स्पेशल चाइल्ड के मामले में बिल्कुल नए हैं, उन्हें इस ऐप पर A to Z सारी जानकारी मिल जाएगी. साथ ही ये भी पता चलेगा कि कहां थेरेपी सेंटर हैं? सरकारी सेंटर कहां है? स्पेशल चाइल्ड से जुड़े इक्विपमेंट और सामान कहां मिलते हैं? ये सारी जानकारी इस ऐप पर मौजूद है.

कब आया ऐप बनाने का आईडिया 
अर्चना बताती हैं कि जब उनका बेटा 3 साल का हुआ तो वो उसे स्पेशल चाइल्ड के एक स्कूल में भेजती थीं. एक दिन वहां दो ट्विन्स स्पेशल चाइल्ड को उनकी मां ज़ंजीर में बांधकर लाईं, लेकिन जैसे ही उन दोनों बच्चों को मौका मिला वो एक दूसरे को पीटने लगे. उन बच्चों ने एक दूसरे को इतना मारा कि दोनों को हॉस्पिटल ले जाना पड़ा. अर्चना ने उनकी मां से पूछा कि ये बच्चे एक दूसरे को ही क्यों मारते हैं? उनकी मां ने जवाब दिया कि पता नहीं. तब अर्चना को लगा कि कई माता-पिता को ये नहीं पता है कि बच्चों का पालन पोषण कैसे करना है. 

डॉक्टर ने कहा था मेरा बेटा कभी खड़ा नहीं हो पाएगा
अर्चना बताती हैं कि उनका बेटा 6 महीने में पैदा हुआ जन्म के वक्त वो 800 ग्राम का था. वे कहती हैं, “15 दिन के अंदर वो तीन बार वेंटिलेटर पर पहुंच गया. डॉक्टर ने कहा आपका बेटा कभी खड़ा नहीं हो पाएगा, चल नहीं पाएगा.. लेकिन मैंने उसके लिए खुद को ट्रेन किया बहुत सारे कोर्स किए. आज मेरा बेटा अपने सारे काम अपने आप कर सकता है.”

दरअसल, स्पेशल चाइल्ड का ख्याल रखना अपने आप में बड़ा काम है. इसी को देखते हुए अर्चना ने उन तमाम पैरेंट्स और उनके स्पेशल बच्चों के लिए ये ऐप बनाया है. 


 

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