कहते हैं इरादे मजबूत हों तो बड़े से बड़े लक्ष्य को भी पाया जा सकता है. इसी का उदाहरण हैं मुंबई के आर्यन राहते. ब्लड कैंसर से जूझ रहे आर्यन ने अपनी दृढ़ इच्छा और कड़ी मेहनत से बोर्ड की परीक्षा में 96.4% अंक प्राप्त किए हैं. दरअसल, पिछले अक्टूबर में दिवाली के पहले दिन, अपने स्कूल पारले तिलक विद्यालय की फुटबॉल टीम के कप्तान आर्यन रहाटे को बुखार और थकान का अनुभव होने लगा था. 1 नवंबर, 2022 को उन्हें एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया का पता चला, ये एक तरह का ब्लड कैंसर है जो शरीर की वाइट ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है.
स्कूल-कोचिंग मिस होने के बाद भी रखी कड़ी मेहनत जारी
16 साल से आर्यन अपनी बोर्ड परीक्षा देने के लिए दृढ़ थे. स्कूल और कोचिंग क्लासेस मिस करने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए कड़ी मेहनत की. उनके स्कूल ने भी उनके प्रोजेक्ट और असाइनमेंट जमा करने की समय सीमा बढ़ा दी थी. आखिर में सारी कोशिशें रंग लाईं. उन्होंने आईसीएसई परीक्षा में 96.4% अंक प्राप्त किए.
अस्पताल के बिस्तर से दिए तीन पेपर
अब आर्यन ठीक हो रहे हैं, लेकिन यात्रा एक रोलर-कोस्टर राइड की तरह रही है. आर्यन ने सांताक्रुज के सूर्या अस्पताल के बिस्तर से तीन पेपर दिए. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्यन की मां स्मिता ने कहा कि उन्हें टॉप हेमेटोलॉजिस्ट ने विश्वास दिलाया था कि ल्यूकेमिया का इलाज संभव है. इस दौरान कीमो के कारण आर्यन के बाल झड़ गए, लेकिन उसने कभी भी अपनी मुस्कान या लड़ने का दृढ़ संकल्प नहीं खोया. स्मिता कहती हैं, "दिसंबर 2022 में आर्यन की पहली एमआरडी टेस्ट रिपोर्ट अच्छी नहीं थी, लेकिन वह डरा नहीं. एक चीज जो उसने नहीं खोई, वह थी खाने के प्रति उसका प्यार...जिससे उसका उत्साह बना रहा."
इस पूरे टाइम में आर्यन की डॉक्टर डॉ. निशा अय्यर ने भी उम्मीद नहीं खोई और उन्हें इंटेंस कीमोथेरेपी देनी शुरू कर दी, जो दो महीने तक चली. 20 फरवरी को आर्यन का दूसरा एमआरडी टेस्ट नेगेटिव आया, जिसका मतलब है कि वह पूरी तरह से ठीक हो गया.