बिहार सरकार एक बार फिर से खाते में राशि भेजने की बजाय कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को किताबें देगी. पहले राज्य के प्रारंभिक स्कूलों के लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों को किताब खरीदने के लिए खाते में राशि दी जाती थी. कई जगहों से शिकायत आ रही थी राशि मिलने के बाद भी बच्चे बिना किताब के स्कूल आ रहे हैं. जांच में सामने आया कि बच्चे राशि तो निकाल लेते हैं लेकिन किताब खरीदने की जगह उस रुपए का इस्तेमाल किसी और कार्य में करते हैं.
इसी वजह से राज्य सरकार ने राशि देने के बजाय अब फिर से किताब देने का फैसला लिया है. राज्य के सभी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को 17 अप्रैल 2023 तक किताबें मिल जाएंगी. इसके लिए किताबों की पहली खेप भेजी जा चुकी है.
पहले मिलते थे इतने रुपए
वर्ष 2018 से 2022 तक बच्चों को किताब खरीदने के लिए पैसे दिए जाते थे. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को किताब खरीदने के लिए राशि दी जाती है. समग्र शिक्षा अभियान के तहत पुस्तक मद में केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि देती है. कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों लिए को 250 और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 400 रुपए की दर से किताब खरीदने के लिए राशि दी जाती थी.
इन जिलों में भेजी गईं किताबें
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह के अनुसार अप्रैल 2023 से सत्र के शुरू होने तक सभी बच्चों के पास किताब होनी चाहिए. इसके लिए 17 अप्रैल 2023 तक किताब देने का लक्ष्य रखा गया है. पुस्तकों की पहली खेप 11 जिलों में भेजना है. रोहतास, शिवहर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, सहरसा, अरवल, मधेपुरा, बांका, लखीसराय, और सीवान के स्कूलों में कक्षा 4, कक्षा 2, कक्षा 3 और कक्षा 5 की किताब भेजना शुरू हो गया है. प्रकाशक प्रखंड स्तर पर पुस्तक भेज देंगे उसके बाद सभी स्कूलों में किताबों का वितरण किया जाएगा.