मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के आलमगंज मे साधारण किसान परिवार में जन्मी निशा कुशवाहा ने मात्र 28 साल की उम्र में सिविल जज की परीक्षा पास कर ली है. अपने परिवार के साथ-साथ, इस बेटी ने शहर और प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है. निशा ने साल 2019 में एलएलबी की परीक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से पास की थी.
निशा पूरे एमपी में टॉपर रह चुकी हैं. तत्कालीन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने निशा को गोल्ड मेडल दिया था. उस वक्त भी परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था. अब बेटी के सिविल जज बनने के बाद परिवार में खुशी की लहर है. उनके घर बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है.
पिता चाहते थे कानून की पढ़ाई करे बेटी
निशा बुरहानपुर जिले की पहली छात्रा हैं जो सिविल जज बनी हैं. निशा ने बताया कि कक्षा 12वीं की पढ़ाई के बाद उनके पिता ने ही उन्हें एलएलबी करने के लिए प्रेरित किया था. पहले, दूसरे और तीसरे साल भी उन्होंने कॉलेज में टॉप किया. एलएलबी के बाद उन्हें दर्जनों जॉब के मौके भी मिले. लेकिन उन्होंने खुद सिविल जज की पढ़ाई करने का निर्णय लिया.
निशा की मां मथुरा कुशवाह ने बताया कि यह सब निशा की मेहनत का नतीजा है. उन्होंने समाज से अपील भी की कि बेटियों को पढ़ने का मौका दें ताकि बेटियां समाज और प्रदेश का नाम रोशन करें. निशा की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए जबलपुर भेज दिया. निशा कुशवाहा ने करीब डेढ़ साल तक जबलपुर में रहकर सिविल जज की तैयारी की. अब निशा के सपने पूरे हो गए हैं. वह सिविल जज बन गई हैं.
खेती के साथ पार्ट-टाइम जॉब कर बेटी को पढ़ाया
निशा के पिता सीताराम कुशवाह पेशे से किसान हैं. उनका खुद का दो एकड़ का खेत है. पांच एकड़ खेत बटाई से लिया हुआ है. कुल मिलाकर वह सात एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. शहर के प्रसिद्ध मिठाई होटल में पार्ट टाइम कैशियर की नौकरी भी करते हैं. उनका कहना है कि वह अपनी बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं इसलिए दिन रात काम करते हैं.
सीताराम की चार बेटियां और एक बेटा है. परिवार में बड़ी और तीसरी बेटी का विवाह हो चुका है. निशा मंझली बेटी हैं. निशा और छोटी बहन का विवाह बाकी है. निशा सिविल जज बन गई है और चौथी बेटी कॉलेज की पढ़ाई कर रही है. सबसे छोटा भाई दसवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है.
(अशोक सैनी की रिपोर्ट)