कनाडा का इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप विभाग (IRCC) नौकरी से जुड़े नियमों में ऐसा बदलाव करने वाला है जिससे वहां रह रहे भारतीय छात्रों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. आईआरसीसी अपने जिस कार्यक्रम में बदलाव करने जा रहा है उसका नाम है 'पोस्ट-ग्रैजुएशन वर्क परमिट' (PGWP).
भारत और दुनियाभर से जो छात्र पढ़ाई करने कनाडा जाते हैं वे इसी कार्यक्रम की मदद से वहां काम करते हैं. कनाडा एक नवंबर 2024 से इस प्रोग्राम में भाषा से जुड़े कई बदलाव करने वाला है जो भारतीय युवाओं के लिए नौकरी हासिल करने में बाधा खड़ी कर सकते हैं.
सीखनी होगी अंग्रेजी और फ्रेंच
नई सूचना के अनुसार, इस कार्यक्रम के तहत कनाडा में नौकरी तलाश करने वालों को अंग्रेजी और फ्रेंच दोनों भाषाएं आनी जरूरी होंगी. किस इंसान को ये भाषाएं आती हैं और किसे नहीं, इसका फैसला कनाडा अपने मानकों के आधार पर करेगा. नौकरी के इच्छुक छात्रों को इन भाषाओं को पढ़ने, लिखने, सुनने और बोलने में अपनी काबिलियत साबित करनी होगी.
अंग्रेजी के लिए आईआरसीसी कनाडाई इंग्लिश लैंग्वेज प्रोफिशिएंसी इंडेक्स प्रोग्राम (CELPIP), आईईएलटीएस (IELTS) और पीटीई कोर (PTI Core) परीक्षाओं को मान्यता देगी. फ्रेंच भाषा में अपनी दक्षता साबित करने के लिए 'टेस्ट डइवैल्युएशन डी फ्रांसेस' (Test d’évaluation de français) और टीसीएफ कनाडा (TCF Canada) के टेस्ट मान्य होंगे. आईआरसीसी को आवेदन के साथ जो टेस्ट जमा करेंगे वह दो साल से पुराना नहीं होना चाहिए.
कुछ खास पेशों में ही खुले होंगे दरवाजे
भाषाई जरूरतें पूरी करने से पहले नौकरी के इच्छुक युवाओं के सामने एक चुनौती उनकी पढ़ाई से जुड़ी हुई भी होगी. अगर दूसरे देशों के युवा पोस्ट-ग्रैजुएशन के बाद कनाडा में नौकरी करना चाहेंगे तो उन्हें कुछ खास विषयों की ही पढ़ाई करनी होगी. आईआरसीसी ने नई सूचना में बताया कि एग्रीकल्चर, एग्री-फूड, हेल्थकेयर, साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (STEM) के अलावा ट्रेड और ट्रांसपोर्ट में पोस्ट-ग्रैजुएशन करने वाले युवा ही इस कार्यक्रम के तहत नौकरी हासिल कर सकेंगे.
सनद रहे कि कुछ पुराने नियम अभी भी लागू हैं. पीजीडब्ल्यू परमिट कार्यक्रम के तहत नौकरी पाने के लिए युवाओं को इसकी आम शर्तों को पूरा करना ही होगा. साथ ही उन्हें पीजीडब्ल्यू कार्यक्रम से मान्यता प्राप्त किसी संस्थान से ही पढ़ाई करनी होगी.
क्या है स्टडी परमिट और वर्क परमिट में अंतर
कनाडा में पीजीडब्ल्यू परमिट कार्यक्रम के तहत काम के लिए आवेदन करने वाले छात्रों 'स्टडी परमिट' के साथ देश में प्रवेश करते हैं. एक स्टडी परमिट किसी को किसी देश में पढ़ाई करने की अनुमति देता है, जबकि वर्क परमिट किसी को उस देश में काम करने की अनुमति देता है. कनाडा में फिलहाल स्टडी परमिट के साथ रह रहे छात्र भी हफ्ते में 20 घंटे काम कर सकते हैं. यह उनका जेबखर्च निकालने के लिए काफी है.
एक निर्दिष्ट शिक्षण संस्थान (Designated Learning Institution) से पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी वर्क परमिट हासिल कर सकता है. कनाडा में इसे ही पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट या पीजीडब्ल्यू परमिट कहा जाता है. पोस्ट-ग्रैजुएशन वर्क परमिट अंतरराष्ट्रीय छात्रों को डीएलआई से स्नातक होने पर दिए जाते हैं और इनकी अवधि तीन साल तक हो सकती है.
क्या है कनाडाई विश्वविद्यालयों में भारतीयों की स्थिति?
कनाडा के विश्वविद्यालयों में पढ़ने आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में पिछले दो दशक में तेजी से इजाफा हुआ है. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सन् 2000 में जहां कनाडा में 62,223 विदेशी विद्यार्थी थे, वहीं 2021 में यह संख्या बढ़कर चार लाख के पार पहुंच गई. बात करें भारतीय छात्रों की तो कनाडा में इनकी मौजूदगी में कमी आई है. लेकिन इसके बावजूद 2024 के शुरुआती हिस्से में कनाडा में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में 49 प्रतिशत भारतीय हैं.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार कनाडा के पोस्ट-ग्रैजुएट वर्क परमिट प्रोग्राम में फिलहाल 1.32 लाख विदेशी छात्र नामांकित हैं. कनाडा सरकार देश में बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए अप्रवासियों से जुड़े कानूनों में सख्ती ला रही है. करीब एक महीना पहले 19 सितंबर को भी कनाडा सरकार ने साल 2025 के लिए अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों की भर्ती की सीमा कम की थी. देश में अस्थायी नागरिकों के आगमन को रोकने के लिए आईआरसीसी ने 2024 में आए 4,85,000 विद्यार्थियों की संख्या में 10 प्रतिशत कमी करने का फैसला किया है.