टीचर हो तो ऐसी! गांव के गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती है यह लड़की, हर दिन आते हैं 200 छात्र

सारण जिले के अनवल गांव की नीतू इलाके के गरीब बच्चों को विद्या दान दे रहीं हैं. नीतू इन बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने के साथ-साथ किताब- कॉपियां और कलम -पेंसिल भी देती है.

Kids studying in Neetu ki Pathshala
gnttv.com
  • छपरा,
  • 18 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST
  • नीतू के इस नेक काम की प्रेरणा उनके बड़े भाई हैं
  • परिवार से मिल रहा है पूरी सहयोग

बिहार के सारण जिले में छपरा में अनवल की रहने वाली एक बेटी आज अपने काम के कारण सब जगह चर्चा का विषय बनी हुई है. यह कहानी है नीतू की, जो अपने गांव में बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं. दो साल पहले अपने बड़े भाई की प्रेरणा से नीतू ने यह काम शुरू किया था.

नीतू ने चंद गरीब बच्चों को अपने घर बुलाकर पढ़ाना शुरू किया. पहले बच्चों को घरों से बुलाकर एक जगह इकट्ठा करके पढ़ाना एक चुनौती थी. लेकिन बच्चों की पढ़ाई देखकर बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को नीतू की पाठशाला में पढ़ने के लिये भेजने लगे. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी और आज नीतू के पास आकर पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 200 तक जा पहुंची है. 

पढ़ाने के साथ देती हैं कॉपी-किताब भी
नीतू न सिर्फ बच्चों को निशुल्क पढ़ाती है बल्कि पठन-पाठन में जरूरी सभी आवश्यक कॉपी, किताब, रबड़, पेंसिल, पेन सभी कुछ बच्चों को मुहैया करवाती हैं. इन बच्चों को निशुल्क पठन पाठन की सामग्री उपलब्ध करवाने में इनके बड़े भाई नीतीश का सहयोग है.  

नीतीश प्रयागराज में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं. नीतू के चाचा कृष्णा बिहार पुलिस में नौकरी करते हैं और, साथ ही अन्य भाई अर्धसैनिक बल में हैं. ये सभी लोग आर्थिक रूप से नीतू के काम में योगदान देते है ताकि पढ़ने वाले बच्चों को किसी भी जरूरी पठन पाठन सामग्री की कमी ना हो।

पढ़ाई के साथ खेल भी 
नीतू को लगातार बच्चों को पढ़ाते देख इसी गांव की एक दूसरी लड़की भी उनके विद्यादान के अभियान से 6 महीने पहले जुड़ गई. यहां पढाई कर रहे बच्चे भी नीतू की पाठशाला में आकर खुश है. सरकारी स्कूल में अच्छी पढाई नही होने के कारण उनको नीतू की पाठशाला में बहुत कुछ सीखने और समझने का मौका मिल रहा है.

नीतू की पाठशाला में लगातार सुधार हो रहा है. अब बच्चों को पढाई के साथ साथ खेल कूद, क्विज, चेस आदि खेलने की भी सुविधा देने की तैयारी हो रही है. जिससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास का अनुपात बराबर हो. 

(आलोक कुमार की रिपोर्ट)

 

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