छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की'युवा संस्था' गरीब और संसाधनों की कमी से जूझ रहे युवाओं के लिए बड़ा सहारा बन गई है. इस संस्था कामयाबी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 25 सालों में इस संस्था में तैयारी किए 530 से ज्यादा युवा डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, पटवारी, बैंक ब्रांच मैनेजर, रेलवे स्टेशन मास्टर जैसे पदों पर काम कर रहे हैं. यह संस्था उस इलाके के गरीब युवाओं के सपने को साकार करने का एक जरिया बन गई है.
500 से ज्यादा युवा को मिली कामयाबी-
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 'युवा संस्था' हजारों युवा तैयारी कर रहे हैं. इस संस्था में ऐसे युवा तैयारी करने आते हैं, जिनके पैसे नहीं हैं या उनके पास संसाधनों की कमी है. ये संस्था पिछले 25 सालों से गरीबों के सपने को साकार कर रही है. अब तक 530 से ज्यादा युवा सरकारी नौकरी पा चुके हैं. इसमें डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, बैंक ब्रांच मैनेजर से लेकर रेलवे स्टेशन मास्टर के पदों पर काम कर रहे युवा शामिल हैं.
एम. राजीव हैं संस्था के संस्थापक-
इस संस्था के संस्थापक जीएसटी अध्यक्ष एम. राजीव हैं. राजीव का बचपन भी गरीबी में बीता है. वो जमशेदपुर के रहने वाले हैं. उनकी फैमिली की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. बचपन में उनके पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे. लेकिन किसी तरह से उन्होंने मेहनत करके साल 1994 में जॉब हासिल की. इसके बाद से ही वो रायपुर में रह रहे हैं. एम. राजीव नहीं चाहते हैं कि जैसे उनको पढ़ाई के लिए आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, उस तरह से दूसरे बच्चों को भी करना पड़े. इसलिए उन्होंने साल 2001 में अपने घर के आसपास के जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. इसके बाद ये सिलसिला आज तक चल रहा है.
राजीव शुरुआत कालीबाड़ी स्कूल के एक कमरे में बच्चों को रोज 2 घंटे पढ़ाते थे. कुछ सालों तक पढ़ाने के बाद साल 2019 में उन्होंने सिविल लाइन में एक मकान किराए पर लिया. इस भवन का किराया यहां से पढ़कर निकले छात्र देते हैं.
संस्था में अभी पढ़ रहे हैं 110 बच्चे-
अभी इस संस्था में 110 बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. जिन पढ़े इस संस्था से पढ़कर कामयाबी हासिल की है, वो भी समय निकालकर संस्था को अपना समय देते हैं. छुट्टी के समय में वो यहां आकर बच्चों को पढ़ाते हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी किताबें और नोट्स जरूरतमंद बच्चों को दे दिए हैं.
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