एसडीएमसी दिल्ली ने तैयार किया है डिजिटल स्कूल, स्कूल में कॉपी किताबों की जगह अब पढ़ाई डिजिटल टेबलेट से होगी, स्कूल के लगाए गए है 180 टैबलेट, ये टैबलेट स्कूल में हर बच्चे को आधुनिकता से जोड़ने का एक प्रयास है.
शिक्षा बच्चों के जीवन को एक राह देती है. और इस राह को मजबूत बनाना बहुत जरुरी है. आज हम आधुनिकता के दौर में जी रहे हैं. और ऐसे में जो बच्चे आर्थिक रूप से तंग घरों से आते हैं उन तक आधुनिकता की पहुंच कम होती है.
इसलिए दिल्ली में लगातार प्रयास किया जा रहा है कि इन गरीब और जरूरतमन्द उन बच्चों तक आधुनिक शिक्षा पहुंचाई जाए. इसलिए एसडीएमसी दिल्ली ने एक डिजिटल स्कूल तैयार किया है. निगम के इस स्कूल में बच्चों को टैबलेट के द्वारा पढ़ाया जा रहा है.
स्कूल में लगाए गए 180 टैबलेट:
निगम ने स्कूल में 180 टेबलेट्स लगाए गए हैं. इन टैबलेट्स के अंदर एनसीईआरटी का सारा सिलेबस मौजूद है. क्लासरुम के अंदर एक चार्जिंग स्टेशन लगाया गया है जिसके अंदर टैबलेट को रखा जाता है और चार्ज किया जाता है.
यह स्कूल बच्चों के जीवन में आधुनिकता को जोड़ता है. 21वीं शताब्दी में हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं और ऐसे में यह कदम स्कूलों को भी स्मार्ट बनाएगा. निगम के इस स्कूल में बच्चों के हाथ में किताबों और कॉपी की जगह टेबलेट नजर आते हैं और बच्चे फटाफट अपने विषय के चैप्टर्स को टैबलेट में खोल कर पढ़ते हैं.
क्लास के अंदर टीचर के लिए माइक की व्यवस्था भी की गई है और एक बड़ी एलईडी स्क्रीन भी क्लास रूम में फिट की गई है. इसके जरिए टीचर सभी स्टूडेंट्स को सही निर्देश दे सकते हैं. बच्चे इस व्यवस्था से उत्साहित है क्योंकि उन्हें एक नए प्रकार से शिक्षा मिल रही है.
दूसरे स्कूलों के लिए है मिसाल:
नन्हे बच्चों के हाथों में टेबलेट एक सुनहरे भविष्य की ओर इशारा कर रहा है. निगम स्कूल के ये बच्चे आर्थिक रूप से तंग परिवारों से जरूर है लेकिन वे सीखने में किसी से भी कम नहीं हैं. गणित की गिनतियां, हिंदी की कहानियां, और इंग्लिश की कविताएं, इन बच्चों को बाखूबी आती हैं.
निगम का यह स्कूल द्वारका के सेक्टर तीन में स्थित है और बाकी सभी स्कूलों के लिए एक मिसाल बन रहा है. इस स्कूल को एसडीएमसी निगम का पहला डिजिटल स्कूल बनाने में SARD NGO ने भरपूर सहयोग किया है. उन्होंने ही यहां पर 180 टेबलेट, इंटरनेट की सुविधा, पोडियम माइक और चार्जिंग स्टेशन लगाया है.