Delhi: पुलिस स्टेशन में लाइब्रेरी! नारायणा विहार थाने में गरीब बच्चों के लिए खुली लाइब्रेरी

दिल्ली के नारायणा पुलिस स्टेशन में गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए लाइब्रेरी बनाई गई है. इस लाइब्रेरी की शुरुआत 30 छात्रों से की गई थी, लेकिन आज इस लाइब्रेरी में 170 बच्चे हैं. इसमें छात्रों के लिए एयर कंडीशनर, हीटर, कंप्यूटर, वाईफाई जैसी सुविधाओं के साथ कैंटीन तक उपलब्ध कराई गई हैं. सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक बच्चे यहां पढ़ाई कर सकते हैं.

Naraina Police Station Library
मनीषा लड्डा
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST

पुलिस का नाम लेते ही ज्यादातर लोग सख्ती और कानून की छवि अपने मन में बनाते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनोखी पहल के बारे में बताएंगे, जहां पुलिस ने अपनी वर्दी के पीछे के इंसानियत के चेहरे को पेश किया है. अब तक थानों में सिर्फ पुलिस स्टाफ के लिए ही स्टडी सेंटर बनाए जाते थे. लेकिन यहां के नारायणा विहार पुलिस थाने में गरीब और जरूरतमंद छात्रों के लिए लाइब्रेरी स्थापित की गई है, जो उनके सपनों को एक नई दिशा दे रही है.

Delhi police public library

पुलिस स्टेशन में लाइब्रेरी-
ये तस्वीर किसी स्कूल या कॉलेज का नहीं, बल्कि एक पुलिस स्टेशन का है, जहां न कोई शिकायतकर्ता की लंबी कतार है और ना ही अपराधियों की पूछताछ हो रही है. यह लाइब्रेरी उन छात्रों के लिए खोली गई है, जो किताबें खरीदने या अच्छे संसाधन हासिल करने में सक्षम नहीं हैं. केवल 30 छात्रों से शुरू हुई यह लाइब्रेरी अब 170 बच्चों का घर बन चुकी है.

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इस लाइब्रेरी में छात्रों के लिए  एयर कंडीशनर, हीटर, कंप्यूटर, वाईफाई जैसी सुविधाओं के साथ कैंटीन तक  उपलब्ध कराई गई हैं. सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक बच्चे यहां पढ़ाई कर सकते हैं, चाहे वह सिविल सर्विस की तैयारी हो या नीट और सीए जैसी परीक्षाएं.

ACP अरुण शर्मा ने बताया कि हमारे इलाके में कई ऐसे बच्चे हैं, जो पढ़ना तो चाहते हैं. लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उनके पास साधन नहीं हैं. इसलिए हमने यह लाइब्रेरी बनाई है, ताकि वे मुफ्त में पढ़ाई कर सकें. यहां बच्चों के लिए काउंसिलिंग सेशन, योग और अन्य प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती हैं.

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छात्रों के हिसाब से रखी गई है टाइमिंग-
लाइब्रेरी में स्कूल, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए और सामान्य ज्ञान की किताबों के साथ-साथ समाचार पत्र और मैगज़ीन भी उपलब्ध हैं. समय सारणी भी बच्चों की सुविधा के मुताबिक तय की गई है, ताकि वे स्कूल के बाद यहां आ सकें.

एक छात्र ने बताया कि पहले किताबें खरीदना मुश्किल होता था, लेकिन अब यहां हर तरह की किताबें उपलब्ध हैं. यहां पढ़ाई का माहौल भी बहुत अच्छा है और अब पुलिस का डर नहीं लगता.

इस पहल ने ना सिर्फ छात्रों को सहारा दिया है, बल्कि पुलिस और समाज के बीच की दूरी भी घटाई है. यह साबित करता है कि पुलिस की भूमिका सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज निर्माण में भी उनकी अहम भागीदारी है.

इस तरह के कदम से यह दर्शाया गया है कि सही दिशा में प्रयास करने से बदलाव संभव है. उम्मीद है कि इस तरह की पहल और स्थानों पर भी अमल में लाई जाएगी.

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