दिव्यांग छात्रा ने पेश की मिसाल, पहले 12वीं कक्षा में किया टॉप, अब मिली अमेरिका की यूनिवर्सिटी से फुल स्कॉलरशिप

केरल में 19 वर्षीय दिव्यांग छात्रा ने 12वीं कक्षा में 500 में से 496 अंक हासिल करके परिवार का नाम रोशन किया है. इसके बाद, अब इस छात्रा को अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी से फुल स्कॉलरशिप मिली है.

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निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 26 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST
  • देश में दिव्यांग छात्रों की श्रेणी में हन्ना ने शीर्ष स्थान हासिल किया है
  • अब अमेरिका के इंडियाना में नॉट्रे डेम विश्वविद्यालय की फुल स्कॉलरशिप हासिल की

जब बात सपनों को पूरा करने की हो तो कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती है. बस आपके इरादे पक्के होने चाहिएं. और आज ऐसी ही मिसाल पेश करती एक छात्रा के बारे में हम आपको बता रहे हैं. यह कहानी है केरल की 19 वर्षीय हन्ना एलिस साइमन की. हन्ना ने ह्यूमैनिटीज़ विषय में सीबीएसई कक्षा बारहवीं की परीक्षाओं में 500 में से 496 अंक हासिल किए हैं. 

देश में दिव्यांग छात्रों की श्रेणी में उन्होंने शीर्ष स्थान हासिल किया है. और अब यह बेटी अमेरिका की उड़ान भरने वाली है. जी हां, आंखों से दिव्यांग हन्ना ने अमेरिका के इंडियाना में नॉट्रे डेम विश्वविद्यालय की फुल स्कॉलरशिप हासिल की है. 

हायर स्टडीज़ के लिए जाएंगी अमेरिका
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए हन्ना का मां लीज़ा ने बताया कि हन्ना हमेशा से अमेरिका जाकर पढ़ने के लिए बहुत उत्सुक रही है. उन्होंने हन्ना से कनाडा और यहां तक ​​कि ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज को देखने के लिए कहा था क्योंकि वहां लागत कम थी. हालांकि, हन्ना अमेरिका में पढ़ना चाहती थी. 

अमेरिका में एडमिशन प्रोसेस मुश्किल है. सामान्य जानकारी के अलावा, छात्र को कई निबंध लिखने पड़ते हैं. सामुदायिक सेवाओं, पाठ्येतर गतिविधियों और अंग्रेजी में दक्षता के लिए अंक दिए जाते हैं और कक्षा IX, X और प्लस-वन के अंकों को भी देखा जाता है. हन्ना ने अनाथालय के बच्चों के साथ काम करने के अलावा ट्रिनिटी कॉलेज लंदन से पश्चिमी गायन, शास्त्रीय और रॉक दोनों में आठवीं कक्षा पूरी की है. 

माता-पिता ने दिया साथ
हन्ना की सभी उपलब्धियों के कारण उसे मौका मिल गया और एडमिशन के लिए चुने गए 14 छात्रों में से फुल स्कॉलरशिप पाने वाली एकमात्र छात्रा बन गई. यह आसान नहीं था, लेकिन हन्ना के माता-पिता के अटूट साथ ने उसे सभी उतार-चढ़ावों को पार करने की हिम्मत दी. लीजा का कहना है कि उन्होंने कभी हन्ना को यह महसूस नहीं होने दिया कि वह दूसरों से अलग है. 

वे चाहते थे कि हन्ना हमेशा सामान्य महसूस करे और यही कारण है कि उन्होंने हन्ना को एक नियमित स्कूल में भर्ती कराया. न कि स्पेशल स्कूल में और आज हन्ना हर जगह उनका नाम रोशन कर रही है. 

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