गरीब और जरूरतमंद छात्रों को मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचने में मदद कर रहा है यह डॉक्टर, देते हैं निःशुल्क कोचिंग

राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित ‘फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान’ इन दिनों पूरे देश में सुर्खियों में है. क्योंकि यह संस्थान में गरीब और जरूरतमंद छात्रों को बिना किसी फीस के शिक्षा प्रदान कर रहा है. यह संस्थान होनहार लेकिन गरीब परिवारों से आने वाले छात्रों को डॉक्टर बनने की तैयारी कराता है. 

Dr Bharat with his students (Credits: Fifty Villagers)
gnttv.com
  • बाड़मेर ,
  • 03 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST
  • 2012 में शुरू हुआ फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान
  • 61 छात्रों का हुआ है मेडिकल में चयन
  • गरीब परिवारों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा

राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित ‘फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान’ इन दिनों पूरे देश में सुर्खियों में है. क्योंकि यह संस्थान में गरीब और जरूरतमंद छात्रों को बिना किसी फीस के शिक्षा प्रदान कर रहा है. यह संस्थान होनहार लेकिन गरीब परिवारों से आने वाले छात्रों को डॉक्टर बनने की तैयारी कराता है. 

पिछले 10 सालों में 61 से ज्यादा छात्र इस संस्थान की मदद से मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचे हैं. इनमें से 4 छात्र एमबीबीएस की पूरी पढ़ाई करके डॉक्टर बन गए हैं. इस संस्थान द्वारा जिन बच्चों की मदद की जाती है उनमें ज्यादातर किसानों और मजदूरों के बच्चे शामिल हैं.

साल 2012 में हुई शुरुआत: 

फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान की स्थापना डॉ भरत सारण व उनकी टीम द्वारा 25 मई 2012 को की गई थी. डॉ सारण का उद्देश्य ऐसे छात्रों का सपना पूरा करना है जो डॉक्टर बनना चाहते हैं लेकिन उनके पास साधनों का आभाव है. गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को वह अपने सपनों तक पहुंचा रहे हैं. 

इस संस्थान के अब तक 61 छात्रों की किस्मत बदली है. यहां से पढ़े छात्र अलग-अलग मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर रहे हैं. चार छात्र डॉक्टर बन गए हैं और अब लगातार इस संस्थान में आने वाले जूनियर छात्रों की मदद करते हैं.

डॉ भरत सारण बाड़मेर के राजकीय अस्पताल में चिकित्सक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. हर साल इस संस्थान में 50 बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. ये ऐसे बच्चे होते हैं जिनककी परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण 10वीं के बाद पढ़ाई छुट जाती हैं. इन बच्चों को सरकारी स्कूल में जीव विज्ञान विषय से दाखिला दिलाया जाता है और फिर नीट परीक्षा की कोचिंग दी जाती है. 

एम्स में भी हुआ है छात्रों का चयन: 

संस्थान द्वारा छात्रों की पढ़ाई और अन्य जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाता है. एम्स ऋषिकेश में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके बतौर डॉक्टर काम कर रहे डॉ नरेश कुमार कहते हैं कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह आगे पढ़ सकें. 

परिवार के नौ सदस्यों का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से हो रहा था. तब उन्हें फिफ्टी विलेजर्स के बारे में पता चला और संस्थान का टेस्ट पास करके उन्होंने यहां दाखिला ले लिया. संस्थान ने उनकी अच्छे से तैयारी करवाई और उन्होंने नीट की परीक्षा पास करके एम्स ऋषिकेश में दाखिला लिया. आज वह डॉक्टर बनकर अपने परिवार को बेहतर जीवन दे रहे हैं. 

अन्य क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं छात्र: 

मेडिकल में चयनित न होने वाले छात्रों को संस्थान द्वारा दूसरे क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जाता है. इस संस्थान में पढ़ने वाले 23 छात्र अन्य सरकारी नौकरी कर रहे हैं. जिनमें 14 बतौर प्रयोगशाला सहायक, 7 राजस्थान पुलिस एक एयरफोर्स तो एक भारतीय रेलवे में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 

सबसे बड़ी बात है इस संस्थान में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है. सभी छात्र मिलकर अपने हॉस्टल को चलाते हैं. 

(बाड़मेर से दिनेश बोहरा की खबर)


 

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