सड़क हादसे में टूटी रीढ़ की हड्डी, छिन गई चलने-फिरने की ताकत, फिर भी बिस्तर पर लेटे-लेटे की पढ़ाई और बोर्ड परीक्षा में मार ली बाजी

मध्य प्रदेश की यह बेटी आज पूरे देश के लिए मिसाल बन चुकी है. अपनी चलने-फिरने की ताकत गंवाकर भी अनुष्का पूरे दिल से पढ़ाई करती हैं और कुछ अलग करना चाहती है.

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  • सतना ,
  • 05 मई 2022,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST
  • 10 साल की उम्र में हुआ एक्सीडेंट
  • इलाज में खर्च हो चुके हैं 20 लाख रुपए 

यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी- हिम्मते मरदा... मददे खुदा, इसका मतवब है कि भगवान भी उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद करता है. मध्य प्रदेश में सतना की रहने वाली 21 वर्षीय अनुष्का गुप्ता इस बात को सच सबित कर रही है. 

जी हां, अनुष्का का साल 2017 में एक्सीडेंट हो गया जिसके बाद से वह बिस्तर पर ही हैं. पहले तो पूरा शरीर सुन्न था मगर धीरे-धीरे कुछ अंगों में स्पंदन शुरू हुआ. मगर रीढ़ की हड्डी में रक्त संचार न होने से वह पूरी तरह से बिस्तर पर आश्रित हो गईं. वह उठकर बैठ नहीं सकती हैं और न ही चल-फिर सकती हैं. पर फिर भी किसी तरह अपनी पढ़ाई जारी रखने की ठानी और इस साल 10वीं कक्षा में 76 फीसदी अंक लाकर मिसाल कायम की है. 

10 साल की उम्र में हुआ एक्सीडेंट

साल 2017  में 3 अक्टूबर की शाम को महज 10 साल की मासूम अनुष्का का जीवन बदल गया. हालांकि, हादसे में अनुष्का की रीढ़ भले ही टूट हो गई हो, मगर उसके हौसले नहीं टूटे. विगत 5 सालों से बेड और व्हील चेयर पर आश्रित अनुष्का सिर्फ बहादुर बेटी ही नहीं मेधावी छात्रा भी हैं. गर्वमेंट एक्सीलेंस स्कूल से प्राइवेट पढ़ाई कर छात्रा अनुष्का ने हाईस्कूल परीक्षा में 76 फीसदी अंक अर्जित किए. 

उनके संकट में शिक्षिका डॉ. अर्चना शुक्ला उनकी बड़ी मददगार बनीं. उन्होंने उसे स्मार्टफोन और यूट्यूब चैनल की मदद से पढऩे के लिए प्रेरित किया. स्टडी मैटेरियल के उपयोगी लिंक दिए. प्रतिष्ठा द्विवेदी नाम की छात्रा ने अनुष्का के लिए नोट्स तैयार किए. पर परीक्षा में अनुष्का को राइटर की जरूरत थी. नियमों के तहत राइटर छोटी कक्षा यानि 9वीं क्लास का स्टूडेंट होना चाहिए था,मगर 10 वीं की परीक्षा के 9 दिन बाद 9वीं की परीक्षा होने वाली थीं. ऐसे में राइटर का प्रबंध कर पाना मुश्किल था. 

पर शिक्षिका डॉ. अर्चना शुक्ला ने स्कूल की नौवीं की छात्रा रिया सिंह को पेपर लिखने के लिए तैयार किया. अनुष्का के लिए लगातार 3 घंटे व्हील चेयर पर रहना बहुत मुश्किल था. उनके पैरों के नीचे दूसरी टेबल लगानी होती थी. फिर भी अनुष्का रुकी नहीं और वह बोलती गईं. रिया ने पूरे 6 पेपर लिखे और अंतत: अनुष्का कामयाब रहीं. 

इलाज में खर्च हो चुके हैं 20 लाख रुपए 

अनुष्का ने बताया कि यह सब मेरे अकेले की मेहनत नहीं थी बल्कि सबने मेरा सपोर्ट किया. अनुष्का कहती हैं कि एक्सीडेंट के बाद वह कोमा में थी. जब उन्हें होश आया तो बॉडी तक फील नहीं हो रही थी. बोल नहीं पाती थी. कुछ समय तक वह जबलपुर हॉस्पिटल में रहीं. पहले कई ऑपरेशन और फिर लगातार फिजियोथेरपी, इसी सबमें अनुष्का के पिता लगभग 20 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं. 

वह कहती हैं कि उनके इलाज के कारण उनके भाई-बहन की पढ़ाई पर असर पड़ा है. पर फिर भी पूरा परिवार उनके साथ खड़ा हुआ है. लेकिन अब उन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है. जिसके लिए वे सरकार और सोनू सूद जैसे नेक दिल लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. क्योंकि अनुष्का के इलाज के लिए वे अपना घर तक बेच चुके हैं.  

जिला कलेक्टर अनुराग वर्मा ने भी अनुष्का को इस उपलब्धि पर सम्मानित किया है. उनका कहना है कि बच्ची ने 76 परसेंट अंक प्राप्त कर सबका गौरव बढ़ाया है. हमें उम्मीद है कि अनुष्का और उनके परिवार को जल्द से जल्द मदद मिलेगी. 

(योगितारा की रिपोर्ट)

 

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