गणतंत्र दिवस हो या फिर राष्ट्रपति भवन में कोई खास कार्यक्रम हो. इस दौरान राष्ट्रपति के साथ साये की तरह चलने वाले अंगरक्षकों को तो आपने देखा ही होगा. राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे ये अंगरक्षक बेहद लम्बे-तगड़े, रौबदार वाले, चटक पोशाक में ये सबका ध्यान अपनी तरफ खिंच लेते है. राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले इन जवानों को प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड यानी PBG कहते है. जो हमेशा देश के राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तत्पर रहते है. राष्ट्रपति की सुरक्षा करने को लेकर ये जवान अपनी अपनी जान पर भी खेलने को तैयार होते है.
भारत के राष्ट्रपति को देश के प्रथम नागरिक होते है. इसके साथ ही देश के राष्ट्रपति को कमांडर इन चीफ का दर्जा भी मिला है. जिसके तहत राष्ट्रपति देश के तीनों सेनाओं इंडियन आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के मुखिया होते हैं. इसलिए भी राष्ट्रपति की सुरक्षा अहम होती है. राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे जवानों का चयन भी बेहद खास तरीके से किया जाता है.
176 जवान करते है राष्ट्रपति की सुरक्षा
राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवानों की यूनिट को प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड यानी पीबीजी कहा जाता है. जो भारतीय सेना की सर्वोच्च यूनिट होती है. इन जवानों का एक ही काम होता है हर वक्त राष्ट्रपति की सुरक्षा करना. वर्तमान में राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवानों की संख्या 176 है. जिसमें 4 ऑफिसर्स, 11 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (JCO) और 161 जवान होते है. राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से आते है. वहीं यहां के युवाओं को राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए चुना जाता है. इतना ही नहीं खास जाती के लोगों को ही राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगाया जाता है. जिसमे जाट, सिख और राजपूत को ही प्राथमिकता दी जाती है.
इस जाती के जवान ही करते है राष्ट्रपति की सुरक्षा
खास जाती के जवानों को ही राष्ट्रपति के सुरक्षा में लगाने के साथ ही उनके चुनाव को लेकर और भी कई कैटेरिया देखी जाती है. राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे जवानों की लम्बाई 6 फिट होना जरूरी होता है. इससे एक सेंटीमीटर कम वालों का चयन नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं उन जवानों का चयन 2 साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद किया जाता है. इस ट्रेनिंग के बाद ही उन्हें यूनिट में जगह मिलती है. इन जवानों को पैरा ट्रूपिंग से लेकर अन्य क्षेत्रों में भी दक्ष बनाया जाता है. PBG में शामिल होने से पहले जवान को अपनी तलवार अपने कमांडेंट के सामने पेश करनी होती है. जिसको छूकर कमांडेंट जवान को यूनिट में शामिल करते हैं.
घोड़ों की सवारी पर होती है महारत
इस यूनिट की पहचान इनके पोशाक की तरह इनके खूबसूरत और मजबूत घोड़े होते है. इस यूनिट में शामिल सभी जवानों को घुड़सवारी में महारत हासिल होती है. इतना ही नहीं इनकी अपने घोड़ों पर इतनी महारत हासिल होती है कि घोडा कितना भी तेज दौड़े वह इनकी लगाम थामे ही इन पर शान से सवारी करने के सक्षम होते है. ये सभी जवान ड्रिल के तौर पर घोड़े के साथ अपने दमखम को आजमाते भी रहते है. वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि जर्मनी के एक खास घोड़े को छोड़कर इस यूनिट के अन्य लम्बे बाल रखने की इजाजत नहीं होती है.
1773 में गठन हुई थी पहली बॉडीगार्ड यूनिट
राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे जवानों के यूनिट का गठन 252 वर्ष पहले हुई थी. इसका गठन 1773 में वर्तमान गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने किया था. इस यूनिट का जब पहली बार गठन किया गया था तब इसमें महज 50 जवानों को शामिल किया गया था. वहीं इन जवानों का चयन मुगल हाउस से 50 ट्रूप्स का किया गया था. इसके बाद इस यूनिट में बनारस के राजा चैत सिंह ने इसमें 50 और ट्रूप्स जगह दी थी. जिसके बाद इनकी संख्या 100 हो गई. देश की आजादी के बाद भले ही अंग्रेज चले गए, लेकिन यह यूनिट तब से लेकर आज तक राष्ट्रपति की सेवा करती आयी है. पहले यह यूनिट वायसराय की सुरक्षा करती थी और अब राष्ट्रपति की सुरक्षा करती है.
इतना ही नहीं राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगाए बॉडीगार्ड यूनिट का पहला कमांडर ब्रिटिश था. इस कमांडर का नाम कैप्टन स्वीनी टू था. राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात बॉडीगार्ड की पुरानी यूनिट में एक कैप्टन, एक लेफ्टिनेंट, चार सार्जेंट्स, 6 दाफादार, 100 पैराट्रूर्प्स, दो ट्रंपटर्स और एक बग्घी चालक को शामिल किया जाता था.