IAS अफसर ने पेश की मिसाल, अपने बेटे का कराया सरकारी स्कूल में दाखिला, कहा खुद भी इसी तरह पढ़कर बनीं आईएएस

आज के जमाने में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते हैं. ऐसे में, आंध्र प्रदेश की एक IAS अफसर ने अपने बेटे का दाखिला सरकारी स्कूल में कराकर मिसाल पेश की है.

IAS B Navya (Photo: ITDA)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 27 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST
  • IAS ने कराया अपने बेटे का सरकारी स्कूल में दाखिला
  • लोगों के लिए पेश की मिसाल 

आज से समय में अगर कोई अच्छा कमा रहा है तो सवाल ही नहीं उठता कि वह अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाएं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी आईएएस अधिकारी के बारे में, जिन्होंने सामर्थ्य होते हुए भी अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया है. आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम में सीतमपेटा एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए) की परियोजना अधिकारी, IAS बी नव्या ने अपने बेटे को एक सरकारी स्कूल में भर्ती कराया है.

उनके बेटे, बी श्रीकर प्रतीक, छठी कक्षा के छात्र हैं. प्रतीक जिले के सीतमपेटा मंडल में सरकारी आदिवासी कल्याण आवासीय विद्यालय, मल्ली में पढ़ रहे हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, नव्या ने कहा कि वह खुद एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल से पढ़ी हैं और आज एक IAS अधिकारी हैं. 

लोगों के लिए पेश की मिसाल 
आईटीडीए परियोजना अधिकारी ने बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार शिक्षा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है. सरकार द्वारा शुरू किए गए नाडु-नेदु कार्यक्रम की बदौलत सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों के समान सभी सुविधाएं हैं. और अब, सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम शुरू कर दिया गया है.

साथ ही, सीतमपेटा मंडल में कोई निजी स्कूल नहीं है. निजी स्कूल के लिए बच्चों को पालकोंडा मंडल में भेजना पड़ता है. जिसका रास्ता 40 मिनट का है. लेकिन नव्या का कहना है कि इतना लंबा सफर तय करने से अच्छा है कि उनका बेटा सरकारी स्कूल से पढ़े. क्योंकि सरकारी स्कूल में सभी सुविधाएं हैं. 

इस आईएएस अधिकारी ने ऐसे समय में यह निर्णय लिया है जब सभी क्षेत्रों के लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना चाहते हैं. बहुत से लोग उनके इस फैसले की सराहना कर रहे हैं. 

 

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