10 साल से भी ज्यादा समय के बाद अपने कोर्सेज में बदलाव करने जा रही है IIT दिल्ली, एक्सपर्ट पैनल का किया गया गठन

IIT दिल्ली ने 10 साल से भी ज्यादा समय के बाद अपने कोर्सेज के करिकुलम में बदलाव करने का फैसला किया है. संस्थान के निदेशक का कहना है कि बदलते समय के साथ छात्रों को पढ़ाने के तरीकों में भी बदलाव लाना होगा.

IIT Delhi
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 06 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 7:58 AM IST
  • संस्थान के नए निदेशक हैं रंगन बनर्जी
  • 10 साल से भी ज्यादा समय के बाद कोर्सेज में बदलाव

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली एक दशक के बाद अपने सभी कोर्सेज के सिलबस को पूरी तरह से बदलने जा रहा है. संस्थान के नए निदेशक रंगन बनर्जी ने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी कि आईआईटी दिल्ली अपने सभी कोर्सेज के सिलेबस में सुधार के लिए तैयार है. 

बनर्जी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि ज्ञान और तकनीक का लैंडस्केप तेजी से बदल रहा है और करिकुलम को इस स्पीड से मैच करना होगा. इसके लिए आईआईटी-दिल्ली ने सभी कोर्सेज के करिकुलम रिव्यू के लिए एक पैनल का गठन किया है. 

10 साल से भी ज्यादा समय के बाद बदलाव
बनर्जी का कहना है कि इतने सालों में IITs लगातार विकसित हुए हैं और वे अपने पाठ्यक्रम की पूरी समीक्षा कर रहे हैं ताकि छात्रों के अनुभव को बढ़ा सकें. यह काम 10 साल से ज्यादा समय के बाद किया जा रहा है. पिछले कुछ सालों में IIT का स्वरूप बदला है. 

अब IITs सिर्फ स्नातक और इंजीनियरिंग संस्थान नहीं हैं बल्कि पूरी तरह से विश्वविद्यालयों के जैसे विकसित हुए हैं और यहां से कई तरह के कोर्स किए जा सकते हैं. बनर्जी का कहना है कि अगले साल कोर्सेज में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. फिलहाल, इस बारे में फैकल्टी, छात्रों और पूर्व छात्रों के साथ व्यापक परामर्श किए जा रहे हैं. 

लगभग 54,000 छात्रों ले चुके हैं डिग्री
IIT दिल्ली की स्थापना के बाद से, लगभग 54,000 छात्रों ने इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान, प्रबंधन, मानविकी और सामाजिक विज्ञान सहित विभिन्न विषयों में स्नातक की उपाधि ली है. संस्थान ने कई नए शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे नए क्षेत्र शामिल हैं. 

हालांकि, आज की चुनौती है कि छात्रों की ऐसी पीढ़ी जिनका अटेंशन स्पैन कम है. ऐसे में, सिर्फ क्लास में पढ़ाने पर फोकस नहीं हो सकता हैं. छात्रों को रियल-लाइफ प्रोजेक्ट्स पर काम कराना होगा.  ताकि वे रियल प्रॉब्लम सॉल्विंग सीख सकें. आपको बता दें, IITs में छात्रों की आत्महत्या से चिंतित, IIT-दिल्ली ने 2017 में अपने कोर्स में कुछ बदलाव करने का फैसला किया था. जिससे छात्रों को स्टडी के प्रेशर से प्रभावी ढंग से निपटने और आत्महत्या की प्रवृत्ति को दूर रखने में मदद मिलेगी. 

 

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