अपनी स्थापना के बाद पहली बार IIT ने फैकल्टी मेंबर्स की भर्ती के लिए कोटा-आधारित भर्ती का विज्ञापन दिया है. भर्ती प्रक्रिया पर हमेशा से ही IIT का अधिकार रहा है,हालांकि इस बार इसे केंद्र के इशारे पर बदल दिया गया है. अब इसके लिए नई समय सीमा निर्धारित की गई है.
साल 2019 के बाद से शिक्षा मंत्रालय (तब मानव संसाधन विकास मंत्रालय) भर्ती में आरक्षण नीति लागू करने के लिए केंद्र द्वारा फंड प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों पर जोर दे रहा है, मगर इस बार IIT ने मंत्रालय को टाल दिया है. IIT सहित सभी संस्थानों में SC/ST/OBC/EWS संकाय सदस्यों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं.
एक साल तक रोलिंग प्रक्रिया का पालन करता है आईआईटी
अगस्त के अंत में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया था कि आरक्षण नियमों और रिक्तियों का पालन किया जाना चाहिए विशेष रूप से अनुसूचित जाति के लिए. वहींअनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों में रिक्तियों को 4 सितंबर, 2022 तक भरा जाना चाहिए. आईआईटी भर्ती के लिए एक साल की रोलिंग भर्ती प्रक्रिया का पालन करता हैं. मंत्रालय द्वारा इससे पहले कभी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है.
आईआईटी को आरक्षण में छूट दी जानी चाहिए : पैनल
इंजीनियरिंग डॉक्टरेट उम्मीदवारों की कमी के कारण समय सीमा कठिनाइयां पैदा करती है. विशेष रूप से एससी / एसटी / ओबीसी श्रेणियों में पीएचडी न्यूनतम पात्रता मानदंड है. आमतौर पर एक वर्ष में आईआईटी महानगरों में लगभग 35 संकाय सदस्यों को नियुक्त करते हैं और अगर ये एक अच्छा वर्ष रहा तो ये संख्या 40 भी हो सकती है. एक निदेशक ने कहा,"हजारों रिक्तियों को भरना असंभव होगा." एक तरफ जहां कुछ संस्थानों ने कई विशिष्ट पदों के लिए रिक्तियों का विज्ञापन किया है वहीं अन्य ने उन सभी विभागों को सूचीबद्ध किया है जहां कम से कम एक पद खाली है.
मिशन मोड के तहत होगी भर्ती
“प्रत्येक IIT ने अपनी प्रक्रिया का पालन किया है. हम सभी मिशन मोड के तहत भर्ती कर रहे हैं. हालांकि एक तरफ जहां IIT बॉम्बे ने 50 पदों के लिए विज्ञापन दिया है, वहीं IIT मद्रास ने 49 पदों के लिए विज्ञापन दिया है." वहीं आईआईटी दिल्ली, रुड़की, हैदराबाद और खड़गपुर में उन विभागों में ही रिक्तियां निकाली गई हैं जहां पर कोई पद खाली है. सभी विज्ञापन वंचित पृष्ठभूमि की महिलाओं को भी आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
आईआईटी में नहीं होना चाहिए आरक्षण- समीति
जून 2020 में केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में आरक्षण को अमल में लाने के लिए सुझाव मांगे गए थे, जिसके लिए एक समिति गठित की गई थी. समिति ने कहा था कि IIT राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं और उन्हें आरक्षण से छूट दी जानी चाहिए. इसमें कहा गया कि आरक्षण का मामला प्रत्येक IIT के बोर्ड पर छोड़ दिया जाए और अगर हायरिंग में कोटा लागू किया जाना है, तो प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के पदों को छूट दी जाए. हालांकि, वह रिपोर्ट अभी धूल फांक रही है.