India Today Education Conclave 2022: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बोले 2030 तक 50% GER का है लक्ष्य 

India Today Education Conclave 2022: मंगलवार को इंडिया टुडे द्वारा आईटी एजुकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन करवाया गया. जिसमें शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हुए. उन्होंने भारत में नई शिक्षा नीति को आगे कैसे बढ़ाया जाएगा और किस तरह से ये छात्रों को जीवन का बदलने का काम कर रही है के बारे में बात की.

India Today Education Conclave 2022
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:03 PM IST
  • नई शिक्षा नीति ला रही है बदलाव 
  • भाषा नहीं है बाधा

देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग कदम उठाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (GER) को बढ़ाने के लिए काम कर रही है.वहीं देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 260 नए टीवी चैनल शुरू किए जाएंगे. इसकी जानकारी मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंडिया टुडे एजुकेशन कॉन्क्लेव के दौरान दी है. उन्होंने अपने भाषण में भारत में शिक्षा के भविष्य पर बात की. इसमें उन्होंने बताया देश में 260 टीवी चैनलों का शुभारंभ किया जाएगा इसके साथ-साथ जीईआर को बढ़ावा देने के लिए छात्रों की स्किल्स पर काम किया जाएगा. 

आपको बता दें, उच्च शिक्षा से जुड़े प्रमुख सुधारों में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (जीईआर) शामिल है. भारत सरकार ने 2035 तक 50 फीसदी जीईआर का लक्ष्य रखा है. आसान शब्दों में समझें तो इसका मतलब है कि 2035 तक हर दूसरा व्‍यक्ति उच्‍च शिक्षा हासिल करे.

नई शिक्षा नीति ला रही है बदलाव 

मंगलवार को इंडिया टुडे का एजुकेशन कॉन्क्लेव आयोजित किया गया. जिसमें केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘रीइमेजिनिंग  एजुकेशन: द फ्यूचर ऑफ लर्निंग’ पर भाषण दिया. शिक्षा मंत्री ने भारत में छात्रों के भविष्य के बारे में बात की. इसके अलावा शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर बात करते हुआ कहा कि कैसे यह नई प्रणाली छात्रों और युवाओं को रोजगार योग्य और अर्थव्यवस्था का जरूरी हिस्सा बनाने के लिए सही कौशल प्रदान कर रही है और किस तरह ये भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव ला रही है.

औपचारिक शिक्षा की जरुरत क्यों है?

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 लक्ष्य लगभग 20 साल की औपचारिक शिक्षा देना है. इसमें प्ले स्कूल या आंगनवाड़ी में पढ़ने वाले सभी छात्रों को शामिल किया जाएगा. भारत में छात्रों की आबादी 52.3 करोड़ है , लेकिन अगर हम आंगनवाड़ी के छात्रों, स्कूली छात्रों, हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट (HEI) के छात्रों और कौशल केंद्र के छात्रों की संख्या को जोड़ते हैं, तो यह 32 करोड़ हो जाते हैं. यह संख्या लगभग 20 करोड़ युवाओं के अंतर को दर्शाती है, जिन्हें कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिल रही है.

धर्मेंद्र प्रधान आगे कहते हैं, “आमतौर पर 12 से 25 साल की उम्र वाले युवाओं को कौशल प्रदान किया जाता है. आंकड़ों की मानें तो 21.1 करोड़ छात्र ऐसे हैं जिन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करनी है, लेकिन केवल 11 करोड़ ही एचईआई में नामांकित हैं. ये वो लोग हैं जिन्हें औपचारिक शिक्षा नहीं मिल रही है. बेशक ये लोग कमाई कर रहे हैं और अर्थव्यवस्था में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं लेकिन अगर इन्हें ट्रेनिंग दी जाए तो बहुत सारी समस्याएं हल हो सकती हैं."

भाषा नहीं है बाधा

शिक्षा मंत्री के मुताबिक, भाषा बड़ी बाधा नहीं है. वे कहते हैं,  “दुनिया में 700 करोड़ लोग है जिसमें से 13.2 करोड़ लोग अंग्रेजी बोलते हैं, 11.7 करोड़ लोग मंदारिन बोलते हैं और 84.3 करोड़ लोग भारतीय भाषा बोलते हैं. भाषा एक बड़ी बाधा है. रोजगार के लिए अंग्रेजी सीखनी चाहिए. चीन, जापान और जर्मनी जैसे देशों ने स्कूली शिक्षा और आधिकारिक काम अपनी-अपनी भाषाओं में किया है न की अंग्रेजी में.”

जीईआर (GER) को कैसे मिलेगा बढ़ावा? 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि भारत का लक्ष्य 2035 तक 50% ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो का है. अभी की बात करें तो भारत का जीईआर (GER) लगभग 27% है. शिक्षा मंत्री कहते हैं, “लड़कियों का नामांकन लड़कों से ऊपर जा रहा है और यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे समाज अधिक सशक्त होगा. लेकिन यह अभी भी कम है. हमें 2035 तक 50% जीईआर हासिल करना है. लेकिन ये कैसे हासिल होगा? इसके लिए युवा उद्यमियों को आगे आने और समाज को कुछ वापस लेने की जरूरत है. एडुटेक (Edutech) अच्छा कर रहा है, ऐसे ही और एडुटेक कंपनियों को आगे आना चाहिए.” 

डिजिटल शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा 

धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि बजट वादों में स्कूली शिक्षा के लिए 200 नए टीवी चैनल और उच्च शिक्षा के लिए 60 नए टीवी चैनल स्थापित करना शामिल है. क्योंकि भारत में केवल 60% छात्रों की डिजिटल शिक्षा तक पहुंच है, इसलिए ये टीवी चैनल शिक्षा के लिए दुनिया में नंबर एक संचार प्रणाली हो सकते हैं.  इनसे छात्र बेहतर तरीके से सीख पाएंगे. इन चैनलों का लक्ष्य देश के कोने कोने तक शिक्षा प्रदान करना होगा.

छात्रों की जिम्मेदारी देश का ख्याल रखना

इंडिया टुडे एजुकेशन कॉन्क्लेव में शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें छात्रों को वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है. उसके लिए हमें नए जमाने के कौशल, नए जमाने के विचारों की जरूरत है. हमें भारत में निजी क्षेत्रों में काम करने वालों और सरकारी क्षेत्रों में काम करने वालों के साथ मिलकर एक 21वीं सदी के समाज का निर्माण करना चाहिए, जो न केवल हमारे देश का बल्कि पूरे विश्व का भी ख्याल रखेगा. यह भारत की जिम्मेदारी है.

 

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