Inspirational: साल 2017 में इस बालिका वधू ने पास की थी NEET UG की परीक्षा, अब नीट पीजी की तैयारी, मुश्किल हालातों से लड़कर बनी डॉक्टर

राजस्थान के नागौर की डॉ. रूपा यादव और उनका परिवार देश की हर बेटी के लिए प्रेरणा हैं. रूपा समाज की एक कुरीति, बाल विवाह की शिकार हुईं लेकिन अपने आत्मविश्वास और परिवार के साथ से उन्होंने अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया.

Dr Rupa Yadav (Photo: Facebook/Allen Career Institute)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST

यह कहानी है राजस्थान की डॉ रूपा यादव की, जिन्होंने साल 2017 में NEET UG की परीक्षा पास की थी. आज वह बतौर डॉक्टर काम कर रही हैं और NEET PG के लिए तैयारी कर रही हैं. परीक्षा कैंसिल होने पर रूपा का कहना है कि उन्हें तैयारी के लिए और समय मिल जाएगा. रूपा यादव की कहानी इसलिए खास है क्योंकि वह एक बालिका वधू हैं. 

जी हां, राजस्थान के नागौर जिले की रहने वाली रूपा की शादी उनकी बड़ी बहन के साथ ही कर दी गई थी. शादी के समय वह सिर्फ 8 साल की थीं. हालांकि, उनका गौना शादी के कुछ साल बाद किया गया. रूपा हमेशा से पढ़ाई में अच्छी थी और उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़ें लेकिन सयुंक्त परिवार में उनकी ज्यादा नहीं चली. 

ससुराल वालों ने दिया पढ़ाई में साथ 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूपा की पढ़ाई के प्रति लगन को उनके ससुराल वालों ने समझा और उनके पति ने भी पढ़ाई में पूरा साथ दिया. रूपा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई अपने ससुराल से पूरी की और साथ में मेडिकल परीक्षा की तैयारी की. पहले अटेम्प्ट में उन्होंने अच्छा स्कोर किया था लेकिन सीट नहीं मिल पाई. इसके बाद, उनके ससुराल वालों ने उन्हें फिर से तैयारी करने के लिए कहा और तो और कोटा में कोचिंग के लिए भी भेजा. साल 2017 में उन्होंने NEET UG की परीक्षा पास करके MBBS में दाखिला लिया. 

अब वह एक फुलटाइम डॉक्टर, और दो बच्चों की मां हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिर, डॉ. रूपा नागौर जिले के खारिया गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र में चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त हैं. जब रूपा ड्यूटी पर होती हैं तो उनकी बड़ी बहन, जो उनकी जेठानी भी हैं, उनके बच्चों की देखभाल करती हैं. 

हर कदम पर चुनौतियों का सामना किया 
डॉ रूपा अपने बच्चों की परवरिश, घर का काम, अपनी ड्यूटी और पीजी की तैयारी, सबकुछ मैनेज करती हैं और उनका कहना है कि उन्हें किसी भी काम से कोई परेशानी नहीं है. अपनी मेडिकल की पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया था. उनका पहला बच्चा महामारी (2020) के दौरान पैदा हुआ था जब मैं सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज, बीकानेर में प्री-मेडिकल (चौथे वर्ष) में थी. बच्चे के जन्म के कुछ दिन बाद ही उन्होंने एग्जाम भी दिए. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. 

 

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