Inspiring: 73 प्रीलिम्स पास किए और 42 मेंस, फिर भी इंटरव्यू में रह गए पीछे...कुछ ऐसी है पुष्पेंद्र भइया के कॉन्फिडेंस और समर्पण की कहानी

पुष्पेंद्र भइया की कहानी तमाम एस्पिरेंट्स को प्रेरणा से भर देगी. वह अब तक UPSC समेत नौ राज्यों के सिविल सर्विसेज की 73 प्रीलिम्स परीक्षा दे चुके हैं. पुष्पेंद्र भइया का कमरा किताबों के ढेर और नोट्स से भरा हुआ है.

Puspendra Srivastava
मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

आप में से कई लोगों ने कोटा के बारे में सुना होगा, जहां पर छात्र IIT/NEET प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए अपने जीवन के सर्वोत्तम वर्ष बिताने जाते हैं. दिल्ली के उत्तरी हिस्से में भी एक ऐसी जगह है जिसे 'छात्रों का मक्का' कहा जाता है. ये जगह है मुखर्जी नगर, जहां पर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने आते हैं. हर साल लगभग 10 लाख से अधिक युवा यूपीएससी की परीक्षा में बैठते हैं और उनमें से केवल 900 को ही सिविल और पुलिस सेवा में उच्च स्तरीय नौकरियां मिल पाती हैं. ऐसे में हर 10,000 उम्मीदवारों में से केवल एक ही सफल हो पाता है. 

परीक्षा में पास करने वाले छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) सहित अन्य ऑल इंडिया सर्विस के लिए चुने जाते हैं. यूपीएससी सिविल सेवा में तीन चरण होते हैं - प्रीलिम्स एग्जाम, मेन एग्जाम और इंटरव्यू. छात्रों को अफसर बनने के लिए ये तीनों ही क्राइटेरिया पूरे करने होते हैं.  

अब बस फाइनल का इंतजार है - पुष्पेंद्र 
कई बार छात्र प्रीलिम्स और मेन एग्जाम क्लियर करने के बाद इंटरव्यू में अटक जाते हैं तो कुछ के लिए मेन एग्जाम ही क्लियर करना मुश्किल होता है. ऐसे में कई छात्र थक-हारकर कोई दूसरी लाइन चुन लेते हैं. लेकिन इस कठिन परीक्षा में जो Give up नहीं करता है वहीं असली बाजीगर होता है. लगातार मेहनत करते रहना और हार ना मानना ही इसकी सफलता की कुंजी है. ऐसी ही एक कहानी है पुष्पेंद्र श्रीवास्तव की जिन्हें अगर पुष्पेंद्र भइया कहा जाए तो ये गलत नहीं होगा. मुखर्जी नगर में उनके किस्से मशहूर हैं. विनम्र इतने कि जब इनसे मिलने हम मुखर्जी नगर पहुंचे तो खुद हमें लेने के लिए बिल्डिंग के नीचे आ गए.

पुष्पेंद्र भइया की कहानी तमाम एस्पिरेंट्स को प्रेरणा से भर देगी. वह अब तक UPSC समेत नौ राज्यों के सिविल सर्विसेज की 73 प्रीलिम्स परीक्षा दे चुके हैं जिसमें उन्हें सफलता भी हासिल हुई है. पुष्पेंद्र इसके अलावा 42 मेंस एग्जाम भी दे चुके हैं और आठ बार उनमें सफल होकर इंटरव्यू तक भी पहुंचे हैं. उन्हें अब बस फाइनल सेलेक्शन का इंतजार है.

27 साल तैयारी में दिए
पुष्पेंद्र भइया का कमरा किताबों के ढेर और नोट्स से भरा हुआ है. इन दिनों वो एमपी पीएससी के इंटरव्यू की तैयारी कर रहे हैं. दरअसल कोरोना की वजह से उन्हें ये अटेंप्ट अभी मिला है और वो ये मौका गंवाना नहीं चाहते हैं. इलाके में नए एस्पिरेंट्स हों या तैयारी कर रहे यूपीएससी के पुराने महारथी, सभी के 'भइया' पुष्पेंद्र किसी काउंसलर या गाइड से कम नहीं हैं. जीवन के करीब 27 साल सिविल सर्विसेज की तैयारियों को समर्पित कर चुके पुष्पेंद्र श्रीवास्तव को भले ही अभी तक सफलता नहीं मिल पाई, लेकिन उन्हें इसके लिए किसी से कोई शिकायत नहीं है. उनके चेहरे पर कॉन्फिडेंस और सफलता हासिल करने की ललक साफ दिखती है.

पुष्पेंद्र से जब उनकी अब तक के सफर के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया - 'मैं एक के बाद एक प्रीलिम्स तो कभी मेंस देने में ही बिजी रहा. मुझे पता ही नहीं चला कि कब इतने साल बीत गए. मैंने अब तक क्या मिस किया, इसके बारे में कभी नहीं सोचा. मैंने अब तक जितना ज्ञान और सम्मान प्राप्त किया, वो ही मेरी पूंजी है.  

विकास दिव्यकीर्ति भी कर रहे थे तैयारी
पुष्पेंद्र श्रीवास्तव मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटे से गांव बंभौरी के रहने वाले हैं और कई साल पहले यूपीएससी की तैयारी करने नेहरू विहार आए थे. इससे पहले वो इलाहाबाद में यूपी पीसीएस परीक्षा का प्रीलिम्स और मेंस निकालकर यहां पहुंचे थे. इस दौरान विकास दिव्यकीर्ति जैसे जाने माने नाम भी मुखर्जीनगर में उनके साथ तैयारी कर रहे थे.

इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हुए
पुष्पेंद्र के माता-पिता दोनों सरकारी शिक्षक हैं. उन्होंने गांव से दसवीं की पढ़ाई करने के बाद बाकी की पढ़ाई छतरपुर से की. इसके बाद सागर यूनिवर्सिटी से एमएससी किया. ये वो दौर था जब हमें बताया जाता था कि 17 तक पढ़ाई होती है. इसके बाद उनके पास गाइडेंस देने के लिए कोई नहीं था. वो कहते हैं अब अक्सर मुझे लगता है कि स्कूलों में एक काउंसलर जरूर होना चाहिए जो यह गाइड कर सके कि कोई बच्चा आगे चलकर किस दिशा में अच्छा कर सकता है.

परिवार वालों ने उनके सामने बीएड करने का ऑप्शन रखा लेकिन तभी उन्होंने यूपीएससी के बारे में सुना और तैयारी में जुट गए. उन्होंने फॉर्म भरा और बिना किसी ज्यादा तैयारी के प्रीलिम्स दिया. पहले ही अटेंप्ट में प्रीलिम्स पास कर लिया. इससे उनका कॉन्फिडेंस बहुत ज्यादा बढ़ गया. वह मेंस की तैयारी के लिए इलाहाबाद (प्रयागराज) पहुंच गए. इलाहाबाद आने के बाद किस्मत ने साथ दिया और उनका मेंस भी निकल गया. पुष्पेंद्र बताते हैं कि इसी दौरान उन्होंने एमपी पीएससी का भी प्रीलिम्स और फिर मेन्स भी निकाल दिया. मगर, इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हुए. पुष्पेंद्र जिस दौरान तैयारी करने आए थे उस दौरान उनके कमरे का किराया 700 रुपये था जोकि अब 10 हजार से ऊपर हो गया है.

 

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