बच्चों को सुधारने या सही रास्ते पर लाने के लिए पिटाई को हमेशा गलत तरीका बताया जाता है. इसका मुख्य कारण है पिटाई के नकारात्मक परिणाम. बच्चों को पिटाई को लेकर लोगों में एक धारणा है कि इससे बच्चों के विकास पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, पिटाई से जुड़े नैतिक पहलुओं पर भी बहस होती रही है. लेकिन मैरिज एंड फैमिली जर्नल की एक नई स्टडी ने पिटाई पर लोगों को अलग ही दृष्टिकोण दिया है. रिसर्चर्स के मुताबिक पिटाई का प्रभाव उतना भी खतरनाक नहीं हो सकता जितना सोचा जाता है.
क्या है पिटाई पर रिसर्चर्स का नया नजरिया?
रिसर्चर्स के मुताबिक पिटाई की आलोचना इसलिए की जाती है क्योंकि इससे बच्चों के व्यवहार और उनके विकास पर बुरा असर हो सकता है. लेकिन इस रिसर्च में बताया गया है कि पिटाई सीधे तौर पर बच्चे के व्यवहार से जुड़ी समस्याओं का कारण नहीं है. स्टडी में कहा गया है कि परिवार का माहौल भी बच्चे के व्यवहार को सही या गलत करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है. इस रिसर्च में बताया गया कि पिटाई ज्यादातर उन्हीं बच्चों की होती है जिनके व्यवहार में पहले से ही समस्याएं होती हैं या जो अनुशासन के हल्के तरीकों से नहीं मानते हैं.
रिसर्च में पिटाई को सीधे तौर पर बुरे व्यवहार या लंबे समय तक खराब असर का कारण नहीं बताया गया है. इस रिसर्च के मुताबिक पिटाई से बच्चों के व्यवहार में 1% से भी कम बदलाव होता है. पिटाई से बच्चे की जिद, चिंता और मानसिक क्षमताओं पर भी बहुत कम प्रभाव देखा गया है.
अनुशासन के लिए पिटाई एक सही तरीका
बता दें कि रिसर्चर्स ने पिटाई का संतुलित और सोच-समझकर इस्तेमा करने पर काफी जोर दिया है. उनके मुताबिक अगर आप बच्चे को उसकी भलाई के लिए या फिर जब वह समझाने से भी नहीं मान रहा हो तब उसकी पिटाई करते हैं तो यह हानिकारक नहीं होती है. लेकिन अगर बच्चे की पिटाई गुस्से या बदले की भावना से की जाती है तो यह बहुत ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकती है.
2 से 6 साल के बच्चों पर पिटाई असरदार
रिसर्च में पाया गया कि बच्चों को अनुशासन में लाने के लिए सबसे सही तरीका है कि 2 से 6 साल की उम्र के बच्चों को गलती करने या अनुशासन न मानने पर दो हल्के थप्पड़ दिए जाएं. थप्पड़ भी तब लगाएं जब बच्चा आपके बार-बार समझाने या वॉर्निंग देने जैसे हल्के तरीकों से नहीं मान रहा हो. जब इस तरह के सॉफ्ट या वर्बल तरीको काम नहीं आते हैं तब पिटाई बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए प्रभावी हो सकती है. लेकिन कभी भी बच्चों को समझाए बिना या बात किए बिना गलती पर सीधा पीटे नहीं. पहले बच्चे को समझाना जरूरी है, अगर वह समझाने पर भी न माने फिर आप पिटाई के तरीके के बारे में सोच सकते हैं.
8 से 11 साल के बच्चों पर पिटाई कम असरदार
रिसर्च में 8 से 11 साल के बच्चों पर पिटाई को कम असरदार बताया गया है. इससे कुछ हद तक नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं. इसका मतलब यह है कि छोटे बच्चों को अनुशासित करने के लिए पिटाई अधिक कारगर है, क्योंकि वे जल्दी से पिटाई पर प्रतिक्रिया देते हैं और जिस गलत काम के लिए उनकी पिटाई की जा रही है, उसे दोबारा दोहराते नहीं हैं.