UPPSC PCS Result: आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी नहीं मानी हार, ज्योति चौरसिया ने 6वीं बार में पार की UPPSC PCS परीक्षा, पिता चलाते हैं पान की दुकान 

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, ये कहावत ज्योति चौरसिया पर सटीक बैठती है. आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी ज्योति ने बार नहीं मानी. इसबार ज्योति ने 6वीं बार में UPPSC PCS की परीक्षा पास की है. उनके पिता पान की दुकान चलाते हैं.

ज्योति चौरसिया (फोटो- आजतक)
gnttv.com
  • गोंडा,
  • 10 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST
  • 2015 से देना शुरू किया है एग्जाम 
  • समाज की सेवा करने की है चाहत 

उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को न प्राप्त कर सको… इस मंत्र के सहारे एक पान वाले की बेटी ज्योति चौरसिया ने यूपीपीसीएस में 21वां स्थान हासिल किया है. ज्योति ने एसडीएम पद पर चयनित होकर परिवार के सपने को साकार किया है. ज्योति ने छटवीं बार में प्री-क्वालीफाई किया है. ज्योति बताती है कि वे गोंडा के तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ रोशन जैकब से इंस्पायर ज्योति का कहना है कि बड़े भाई भी कुछ बनना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने से वह पापा के साथ पान की दुकान पर हाथ बंटाने लगे और अपने सपने को मेरे सफलता से साकार किया. 

समाज की सेवा करने की है चाहत 

ज्योति की चाहत एक अच्छी जॉब हासिल कर आर्थिक रूप से कमजोर समाज की सेवा करना था. आज ज्योति जब गोंडा आई तो बेटी का स्वागत ढोल नगाड़े से हुआ. सभी ने माला और आरती से ज्योति का स्वागत किया. ज्योति के पिता मूल रूप से देवरिया जिले  के निवासी हैं और 97 से गोंडा आकर बस गए थे. उन्होंने पान की दुकान से ही बच्चों को पढ़ाया और इस काबिल बनाया.

ज्योति के पिता बताते हैं कि आज मन बहुत प्रसन्न है. बेटी ने वह कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद बेटे से की थी. लेकिन आर्थिक संकट के चलते वह न कर सका. मां दुर्गा के अन्यंन भक्त चौरसिया जी का कहना है कि बेटी या बेटा जो प्रतिभावान हो परिजनों को उसको आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए. बहरहाल एक पान बेचने वाले की बेटी के इस बेहतरीन सफलता पर गोंडा वासी बेहद खुश हैं. बता दें, सन् 1997 में वह गोंडा जॉब के सिलसिले में अकेले आए थे. 

2015 से देना शुरू किया है एग्जाम 

ज्योति ने गोंडा में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और फिर लखनऊ में जाकर कॉम्पटीशन की तैयारी शुरू की. ज्योति के मुताबिक जब उन्होंने 2015 से यूपीपीसीएस का एग्जाम देना शुरू किया, तब वे प्री का पेपर भी नहीं निकाल पाती थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस बार ज्योति ने पहली बार प्री भी निकाला मेंस भी क्लियर किया और इंटरव्यू को भी पार कर लिया. ज्योति कहती हैं, “मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. पिताजी पान की दुकान करते हैं तो उस हिसाब से मुझे थोड़ी बहुत दिक्कतें आती रहीं, लेकिन मेरे घरवाले मेरे साथ हमेशा रहे. परिवार वाले हमेशा कहते थे कि अगर तुम हार नहीं मानोगी तो मैं भी हार नहीं मानूंगा. 2015 से मैं लगी हुई हूं. उस वक्त कुछ हेल्थ प्रॉब्लम भी आई, ब्रेकडाउन भी हुआ लेकिन मैंने फिर से शुरू किया.” 


 

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