अपने दम पर बदली सोच! करनाल की किन्नर अदिति शर्मा चला रही हैं इंग्लिश मीडियम स्कूल, बच्चों के सपनों को दे रहीं उड़ान

अदिति शर्मा की कहानी केवल एक स्कूल खोलने की नहीं है. यह कहानी है आत्मसम्मान, संघर्ष और बदलाव की. यह बताती है कि यदि इच्छा प्रबल हो, तो कोई भी व्यक्ति समाज की सोच को बदल सकता है.

किन्नर अदिति शर्मा
gnttv.com
  • करनाल ,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST
  • सुविधाओं की कोई कमी नहीं
  • एक शिक्षक ही नहीं एक मां भी हैं अदिति

जब समाज ने नजरें फेर लीं, तब अदिति शर्मा ने बच्चों की आंखों में सपनों की चमक देखी. करनाल की रहने वाली किन्नर अदिति आज समाज के लिए एक मिसाल हैं. ट्रांसजेंडर होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि समाज की सोच को चुनौती देते हुए हरियाणा पब्लिक स्कूल की नींव रखी.

यह कोई आम स्कूल नहीं है. कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने वाला यह स्कूल, भारत में अपनी तरह का पहला ऐसा स्कूल है जिसे किसी किन्नर ने अपनी ज़मीन पर शुरू किया है. अदिति ने 2014 में इस स्कूल की शुरुआत की थी, मकसद था बचपन को शिक्षा का अधिकार दिलाना और समाज में किन्नरों को लेकर फैली धारणा को बदलना.

एक सपना जो बना संघर्ष की कहानी
दिल्ली से ताल्लुक रखने वाली अदिति शर्मा ने कई जगहों पर काम किया, लेकिन कुछ बड़ा और स्थायी करने की चाह उन्हें करनाल ले आई. यहां उन्होंने एक छोटे से कमरे में स्कूल की शुरुआत की. शुरुआत में दर्जनों बच्चे स्कूल आने लगे. लेकिन समाज की संकीर्ण सोच फिर आड़े आई. आस-पड़ोस के लोगों ने विरोध किया, सवाल उठाए और धीरे-धीरे बच्चों की संख्या घटने लगी.

फिर भी अदिति ने हार नहीं मानी. वह कहती हैं, “शुरुआत में लोगों ने ताने मारे, कहा कि किन्नर स्कूल क्यों चला रही है. लेकिन आज वही लोग अपने बच्चों को मेरे स्कूल में भेजते हैं. अब हमारे पास लगभग 40 बच्चे हैं.”

नाम मात्र की फीस, सुविधाओं की कोई कमी नहीं
अदिति का स्कूल हरियाणा पब्लिक स्कूल मध्यवर्गीय बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. नाम मात्र की फीस में इंग्लिश मीडियम की शिक्षा मिल रही है. कंप्यूटर, खेलकूद, योग जैसी सुविधाएं यहां बच्चों को सहज और आधुनिक माहौल देती हैं.

अदिति कहती हैं कि वो चाहती हैं कि बच्चों को ऐसा माहौल मिले जहां वे आत्मविश्वास के साथ पढ़ सकें और बढ़ सकें. वे कहत हैं, “मैं चाहती हूं कि मेरा स्कूल सरकार से मान्यता पाए, ताकि ज्यादा बच्चे पढ़ सकें और लोगों का नजरिया ट्रांसजेंडर्स के प्रति बदले.”

एक शिक्षक ही नहीं, एक मां भी हैं अदिति
अदिति सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक मां भी हैं. उन्होंने एक दिन की बच्ची को गोद लिया था, जिसका नाम उन्होंने एंजल रखा है. आज एंजल तीन साल की हो चुकी है और स्कूल में बच्चों के साथ खेलती है. यह बताता है कि अदिति के लिए शिक्षा केवल पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन है- प्यार और स्वीकृति का मिशन.

छात्र-छात्राओं की नजरों से
स्कूल की छात्रा सिमरन कहती हैं, “अदिति टीचर हमें इंग्लिश और हिंदी दोनों अच्छे से पढ़ाती हैं. स्कूल में खेलने की सुविधा भी है. मुझे यहां पढ़ना बहुत अच्छा लगता है.” वहीं, छात्र आशीष का कहना है, “हमारे स्कूल में सब कुछ है- कंप्यूटर, गेम्स, और पढ़ाई भी बहुत अच्छी होती है.”

अदिति शर्मा की कहानी केवल एक स्कूल खोलने की नहीं है. यह कहानी है आत्मसम्मान, संघर्ष और बदलाव की. यह बताती है कि यदि इच्छा प्रबल हो, तो कोई भी व्यक्ति समाज की सोच को बदल सकता है.

अब अदिति की सिर्फ एक मांग है- सरकार से मान्यता, ताकि उनके स्कूल का सपना और बड़ा हो सके और वह और बच्चों को बेहतर भविष्य की राह दिखा सकें.

आखिर में अदिति कहती हैं, “मैं चाहती हूं कि मेरे जैसे और भी ट्रांसजेंडर आगे आएं और समाज को दिखाएं कि हम बोझ नहीं हैं, हम भी बदलाव ला सकते हैं.”

(कमलदीप की रिपोर्ट)

 

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