PM की नियुक्ति से लेकर चीफ जस्टिस के शपथ तक सारे अधिकार हैं President के पास, जानिए कितने ताकतवर हैं राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति (President Of India) को संविधान द्वारा न्याय, कार्यपालिका, विधायी और वित्त संबंधी अधिकार मिले हुए हैं. इसके अलावा उन्हें विशेष अधिकार भी मिला हुआ है और इसके तहत उन पर कार्यकाल के दौरान कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

राष्ट्रपति भवन
केतन कुंदन
  • नई दिल्ली,
  • 10 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST
  • तीनों सेनाओं के सेनापति होते हैं राष्ट्रपति
  • संविधान द्वारा राष्ट्रपति को मिले हुए हैं अनेक अधिकार

देश की बागडोर भले प्रधानमंत्री के हाथ में होती है लेकिन देश का मुखिया यानी प्रमुख राष्ट्रपति होता है. हम ज्यादातर मौकों पर प्रधानमंत्री को ही बोलते और देश को संबोधित करते देखते हैं. ऐसे में अधिकांश लोगों के मन में ये सवाल होगा कि आखिर देश का मुखिया यानी राष्ट्रपति करते क्या हैं, उनके पास कौन सी शक्तियां हैं. तो चलिए आपके इन सारे सवालों का जवाब देते हैं. 

भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया और भारतीय सशस्त्र बलों का कमांडर इन चीफ यानी तीनों सेनाओं का प्रमुख सेनापति होता है. राष्ट्रपति को संविधान द्वारा अनेक अधिकार मिले हुए हैं, जिसकी आज हम चर्चा करेंगे. हम राष्ट्रपति के अधिकारों को मूलतः चार भागों में बांटकर आसान भाषा में आपको बताते हैं. 

कार्यपालिका संबंधी अधिकार 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के पास होगी. 

  • शासन संचालन संबंधी अधिकार
  • राज्य के शासन पर नियंत्रण का अधिकार
  • अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र संबंधी अधिकार 
  • आयोग एवं परिषदों की नियुक्ति का अधिकार, 
  • सैनिक अधिकार 
  • पदाधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार
  • बता दें कि भारत के अटॉर्नी जनरल, लोक सेवा के अध्यक्ष और सदस्यों, सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों,आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, अन्य देशों में राजदूतों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा ही होती है.

विधायी अधिकार

  • लोकसभा को भंग करने का अधिकार
  • भारत के प्रधानमंत्री को नियुक्त करने का अधिकार 
  • राज्यपाल की नियुक्ति और बर्खास्त करने का अधिकार
  • राज्यसभा के लिए 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार
  • अध्यादेश जारी करने का अधिकार
  • विधेयक जो संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है, वह राष्ट्रपति के सहमति के बाद ही कानून बन सकता है. इसके अलावा राष्ट्रपति के पास किसी विधेयक को संसद में वापस भेजने की भी शक्ति होती है, जब तक कि वह धन विधेयक या संवैधानिक संशोधन विधेयक न हो.

वित्त संबंधी अधिकार

  • बजट प्रस्तुत कराने का अधिकार
  • वित्त विधेयक प्रस्तुत करने का अधिकार
  • आकस्मिक निधि पर अधिकार 
  • वित्त आयोग की नियुक्ति का अधिकार

न्याय संबंधी अधिकार

  • क्षमादान संबंधी अधिकार

राष्ट्रपति के पास क्षमादान देने का अधिकार है. सैन्य अदालत द्वारा मिले दंड, संसद के कानूनों का उल्लंघन करने पर मिले दंड तथा मृत्युदंड को भारत का राष्ट्रपति कम कर सकता है या पूरी तरह से दंड मुक्त कर सकता है. यानी मिले सजा को पूरी तरह से माफ करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास होता है.
इसके अलावा राष्ट्रपति को विशेष अधिकार भी मिला हुआ है. बता दें कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उस पर किसी तरह का कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

 

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