कहते हैं कि काबिलियत की कोई उम्र नहीं होती है. इसलिए तो आज हमारे देश में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो अपनी उम्र से बड़े काम कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं जाह्नवी महाना. अपने साथी छात्रों को गणित समझने में मुश्किलों का सामना करते देखने के बाद, दसवीं कक्षा की छात्रा जाह्नवी ने एक पहल शुरू की. इस पहल से वह बच्चों को मैथ के कॉन्सेप्ट्स और टॉपिक्स को सरल और ज्यादा दिलचस्प तरीके से समझने में मदद करना चाहती हैं.
लखनऊ के मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल की 16 वर्षीय छात्रा जाह्नवी ने "Mathology: Simplifying Maths" नाम से अपनी पहल शुरू की. इस पहल का उद्देश्य बच्चों की शिक्षा में सुधार करना और गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के छात्रों तक पहुंचना है.
7000 से ज्यादा छात्रों की मदद की
जाह्नवी का कहना है कि मैथोलॉजी में वे गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देकर समाज के लिए कुछ करन चाहती हैं. वे छात्रों को उनके क्षमता पर काम कने के लिए सही लर्निंग वातावरण देने में विश्वास रखत हैं. उनका प्रोजेक्ट शिक्षा के लिए "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ", और "पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया" जैसे भारत सरकार के अभियानों को फॉलो करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास सफल होने के लिए जरूरी स्किल्स हैं.
उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को जीवन में सफल होने का समान मौका दिया जाए. इस पहल के माध्यम से, उनकी 30 सदस्यों की टीम में 16 वर्षीय दीया पारेख, 12 वर्षीय अंजनेय महाना और 12 वर्षीय विराज आनंद शामिल हैं. उन्होंने 20 से ज्यादा एक्टिविटीज आयोजित की हैं और 20 से ज्यादा वर्कशॉप्स आयोजित की हैं. उनकी टीम 18 शहरों और तीन देशों में 7,000 से ज्यादा छात्रों तक पहुंच चुकी है.
बैकबेंचर्स को लाना है आगे
जाह्नवी का लक्ष्य सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करना है. जिससे न सिर्फ उनके या छात्रों के बल्कि पूरे समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. छात्रों के साथ अपने इंटरैक्टिव सेशन के दौरान जाह्नवी ने कहा कि उन्हें बैकबेंचर्स को पढ़ाने में सबसे ज्यादा मजा आता है. क्योंकि कोई भी उनकी झमता के बारे में नहीं जानता है. कई बार तो वे खुद इस बारे में नहीं जानते हैं लेकिन जब उनके साथ मेहनत की जाए तो वे अच्छे रिजल्ट्स दे सकते हैं. इसलिए जाह्नवी का उद्देश्य इन बैकबेंचर्स को आगे लाना है.