MPSC: मां-बाप ने डस्टबिन में छोड़ा... चली गई आंखों की रोशनी... और अब इस विभाग में अफसर बनी यह लड़की

माला पापलकर आज हर एक दिव्यांग के लिए मिसाल हैं क्योंकि दृष्टिबाधित होते हुए भी उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जो बहुत से लोग नहीं कर पाते हैं.

Mala Papalkar
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

पिछले हफ़्ते महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) ने संयुक्त ग्रुप सी परीक्षा के अंतिम परिणाम घोषित किए और इस सूची में कई नामों में अमरावती की माला पापलकर का नाम भी शामिल था. माला पापलकर आज हर एक दिव्यांग के लिए मिसाल हैं क्योंकि दृष्टिबाधित होते हुए भी उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जो बहुत से लोग नहीं कर पाते हैं. 

माला ने MPSC 2023 की परीक्षा दी थी, जिसका परिणाम 22 महीने बाद घोषित किया गया. नियुक्ति पत्र मिलने के बाद 26 वर्षीय माला जल्द ही नागपुर में कलेक्टर कार्यालय में राजस्व सहायक के रूप में शामिल होंगी. प्रेरणा देने वाली बात यह है कि माला को उनके बचपन में ही उनके माता-पिता ने छोड़ दिया था और वह अनाथ आश्रम में रहकर पली-बढ़ीं. 

माता-पिता ने बचपन में छोड़ा
माला बहुत कम उम्र की थीं जब उनको जलगांव रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में पाया गया था. रिमांड होम में रखे जाने के बाद, उन्हें अमरावती के पद्मश्री पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता शंकर बाबा पापलकर की देखभाल में भेज दिया गया और वज्जर स्थित उनका आश्रम उनके सपनों की नींव बन गया. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा माला को शंकर बाबा के पास रखे जाने के बाद, उसके सरकारी दस्तावेजों में लिखा गया कि वह सामाजिक कार्यकर्ता की बेटी है. जब माला आश्रम में आई, तब वह बहुत छोटी थीं और पता चला कि वह देख नहीं सकती हैं. उनकी विजन सिर्फ 5 प्रतिशत था और वह शारीरिक रूप से कमज़ोर थीं. 

माला का दाखिला स्वामी विवेकानंद ब्लाइंड स्कूल में हुआ और फिर उन्होंने अमरावती में भीवापुरकर ब्लाइंड स्कूल में भी पढ़ाई की. उन्होंने विदर्भ महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की. एक नेक इंसान प्रकाश टोपल पाटिल ने उनके कॉलेज की फीस और दूसरे खर्च उठाए. उन्होंने 10 सालों तक ब्रेल लिपि में मेरिट स्थान भी हासिल किया है. 

सभी बाधाओं को किया पार 
माला ने 2019 में अमोल पाटिल की यूनिक एकेडमी में दाखिला लिया, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में उम्मीदवारों की मदद करती है, लेकिन महामारी के कारण उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ी. माला पढ़ाई में तेज हैं, लेकिन दृष्टिबाधित छात्रों के सामने कई चुनौतियां हैं. वह सिर्फ किताबों से नहीं पढ़ सकती हैं. उनके लिए ऑडियोबुक ढूंढनी पड़ीं और अमोल पाटिल ने यह सब किया. उन्होंने कभी-कभी माला के लिए खुद ही पाठ रिकॉर्ड किया ताकि वह सुन सकें और सीख सकें.

पाटिल ने माला से फीस नहीं ली और फोन पर भी वह उनकी प्रॉबल्म्स को हल करने के लिए उपलब्ध रहते थे. उन्होंने कहा कि माला ने 2024 में एमपीएससी मेन्स पास कर लिया, लेकिन उम्मीदवारों के स्किल टेस्ट के बाद पिछले सप्ताह फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया. माला आगे खुद शंकर बाबा का ख्याल रखना चाहती हैं क्योंकि उनकी वजह से उन्हें यह जिंदगी मिली है. 


 

 

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