सूरत के प्राथमिक स्कूल में पिछले 12 साल से भगवत गीता पढ़ा रहा है यह मुस्लिम शिक्षक, बच्चों में बोना चाहते हैं संस्कार के बीज

सूरत के एक प्राथमिक स्कूल में 12 सालों से भगवत गीता पढ़ाई जा रही है. हिंदू छात्रों को गीता का तो मुस्लिम छात्रों को कुरान का ज्ञान दिया जा रहा है. और इस नेक काम को कर रहा है एक मुस्लिम शिक्षक.

Students in Primary School
gnttv.com
  • सूरत,
  • 12 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:27 AM IST
  • स्कूल में पढ़ते हैं 71 बच्चे
  • हर दिन करते हैें गीता पाठ

गुजरात के स्कूलों में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के छात्र -छात्राओं को भगवत गीता पढ़ाने को लेकर कुछ दिनो पहले ही गुजरात सरकार ने अधिकृत घोषणा की थी. लेकिन गुजरात के सूरत में एक स्कूल ऐसा है जहां पिछले 12 वर्षों से एक मुस्लिम शिक्षक द्वारा बच्चों को भगवत गीता पढ़ाई जा रही है. यह शिक्षक न सिर्फ भगवत गीता पढ़ा रहे हैं बल्कि स्कूली बच्चों में पारिवारिक संस्कार के बीज भी बो रहे हैं. 

सूरत शहर की चमक धमक से दूर आदिवासी बाहुल्य मांगरोल तहसील क्षेत्र में आने वाले झाखरडा गांव के प्राथमिक स्कूल में पिछले 12 वर्षों से शाह मोहम्मद सईद इस्माइल मुख्य शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं. इस स्कूल में पढ़ने आने वाले हिंदू बच्चों को भगवत गीता तो मुस्लिम बच्चों को क़ुरान ए शरीफ पढ़ाई जाती है. 

स्कूल में पढ़ते हैं 71 बच्चे

शिक्षक सेवा शुरू करने के पहले दिन से ही वह इस प्रयास में हैं कि स्कूल में पढ़ने आने वाले आदिवासी और गरीब बच्चों में अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार पैदा हों. जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल भी हुए हैं. इस स्कूल में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चे पढ़ने आते हैं. 

बच्चे पढ़ रहे हैं गीता का पाठ

गाँव में हिंदू-मुस्लिम समाज की समान बस्ती है और इस छोटे से स्कूल में हिंदू-मुस्लिम समाज के 71 बच्चे पढ़ने आते हैं. दोनो धर्म के बच्चों को देश और दुनियां की कई भाषाएं भी सिखाई जा रही हैं. 

7वीं कक्षा की छात्रा, नेहा नयन वसावा बताती हैं कि उन्हें चाइनीज़, रोमन, तमिल, हिंदी, उर्दू और गुजराती जैसी भाषाएं सिखाई गई हैं. रात को खाना खाने से पहले हर रोज़ सभी बच्चे भगवत गीता का एक पेज पढ़ते हैं. हर रविवार को गांव का एक घर तय करके वे प्रार्थना करने जाते हैं. वहां भी भगवत गीता के दो पेज पढ़कर सुनाते हैं. भगवत गीता पढ़ने से उनकी याद शक्ति बढ़ती है. 

लोगों के लिए मिसाल हैं यह शिक्षक

कहते हैं कि शिक्षक का कोई धर्म या जाति नही होती है और शाह मोहम्मद सईद इस्माइल इस बात को सच साबित कर रहे हैं. सम्भवतः यह गुजरात का पहला स्कूल होगा जहां एक मुस्लिम शिक्षक बच्चों मे गीता के ज्ञान के साथ साथ संस्कार का भी सिंचन कर रहा है.

बच्चों को दे रहे हैं संस्कार

शाह मोहम्मद सईद इस्माइल ने बताया कि वह इस प्राथमिक स्कूल में पिछले 12 साल से पढ़ा रहे हैं. स्कूल में बच्चों को संस्कार के साथ शिक्षा दी जाती है. हर एक बच्चे को भगवत गीता लाकर दी गई है. पिछले 12 साल से भगवत गीता पढ़ाई जा रही है. अब सरकार का भगवत गीता पढ़ाने का जो कंसेप्ट आया है वह भी इस्माइल को अच्छा लगा.

बेशक, इस्माइल अपने शिक्षक होने का धर्म बाखूबी निभा रहे हैं. 

(संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट)

 

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