NEET UG Exam: पेपर लीक रोकने से लेकर अटेंप्ट लिमिट तक... Dr. Radhakrishnan कमेटी ने की कई बदलाव की सिफारिश

मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाले नीट यूजी (NEET UG) का पेपर लीक से देशभर में हंगामा हो गया. इसके बाद केंद्र सरकार ने ISRO के पूर्व चेयरमैन डॉ. राधाकृष्णन की अगुवाई में सरकार ने 7 सदस्यों का पैनल बनाया. इस पैनल का मकसद परीक्षा को सुरक्षित तरीके से कराने के लिए सुझाव देना था. अब इस पैनल ने सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं. हालांकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इस इन सिफारिशों को पब्लिश नहीं किया है.

Medical Students (Photo/Meta AI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

NEET UG की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक बड़ी खबर है. केंद्र सरकार ने NEET UG की परीक्षा सिस्टम में बदलाव करने की तैयारी में है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) में सुधार के लिए बनाई गई ISRO के पूर्व प्रमुख डॉ. राधाकृष्णन (Dr. K. Radhakrishnan) की अगुवाई वाली 7 सदस्यों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है. इस कमेटी ने नीट यूजी परीक्षा में कई बदलाव की सिफारिश की है. इन बदलावों से मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली सबसे बड़ी परीक्षा को सुरक्षित संपन्न कराने में मदद मिलेगी. हालांकि एनटीए ने अभी तक अपनी सिफारिशों को पब्लिश नहीं किया है. लेकिन बताया जा रहा है कि इसमें कई बदलाव की सिफारिश की गई है.

कितनी बार होगी परीक्षा-
पैनल ने नीट यूजी परीक्षा में सबसे बड़ा सुधार ये किया है कि अब परीक्षा देने के अनगिनत मौके नहीं मिलेंगे. अब जेईई मेन की तर्ज पर छात्रों को अधिक से अधिक 4 मौके मिल सकते हैं. इससे छात्र गंभीरता के साथ एग्जाम की तैयारी करेंगे. लिमिट अटेंप्ट होने से परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में कमी भी आएगी.

डिजी एग्जाम प्लेटफॉर्म की शुरुआत-
रिपोर्ट के मुताबिक इस पैनल ने 'डिजी एग्जाम' नाम का एक प्लेटफॉर्म विकसित करने की सिफारिश की है. यह प्लेटफॉर्म भारतीय हवाई अड्डों पर चल रही सफल डिजी यात्रा योजना जैसी होगी. इसमें बायोमेट्रिक पहचान जैसी टेक्निक का इस्तेमाल होता है. डिजी एग्जाम प्लेटफॉर्म के तहत, छात्रों की पहचान और वेरिफिकेशन के लिए बायोमेट्रिक्स जैसे फेस रेकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल होगा. इसके अलावा इस प्लेटफॉर्म का मकसद परीक्षा रजिस्ट्रेशन, परीक्षा में प्रवेश और भविष्य में परीक्षा प्रक्रिया को और भी ज्यादा सुरक्षित और पेपरलेस बनाना है. 

सुरक्षा उपायों को मजबूत बनाना-
पैनल ने सुझाव दिया है कि परीक्षा लीक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को कई लेवल पर मजबूत करने की जरूरत है. इसके तहत परीक्षा के विभिन्न चरणों जैसे रजिस्ट्रेशन, टेस्ट सेंटर पर प्रवेश, काउंसलिंग और एडमिशन के दौरान मल्टी-लेवल बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की व्यवस्था की जाए. इस मल्टीलेवल वेरिफिकेशन  से एग्जाम सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा. इससे धोखाधड़ी पर लगाम लगाने में सहायता मिलेगी.

हाइब्रिड परीक्षा मॉडल का सुझाव-
पैनल ने एग्जाम मैनेजमेंट में एक हाइब्रिड मॉडल का प्रस्ताव रखा है. जिसमें कंप्यूटर आधारित टेस्ट (Computer Based Test) और पेन-एंड-पेपर टेस्ट (Pen and Paper Test) का कॉम्बिनेशन होगा. यह मॉडल उन क्षेत्रों में ज्यादा मददगार साबित होगा, जहां डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की लिमिटेशन है. हाइब्रिड मॉडल के तहत डिजिटल और पारंपरिक दोनों प्रकार के परीक्षा केंद्रों का इस्तेमाल किया जा सकेगा. जिससे छात्रों को अधिक ऑप्शन मिलेंगे और परीक्षा संचालन में भी आसानी होगी. इसके अलावा, पैनल ने केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के साथ मिलकर आधुनिक डिजिटल और फिजिकल परीक्षा केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया है. इससे छात्रों को बेहतर परीक्षा सुविधाएं मिल सकेंगी और परीक्षा प्रोसेस अधिक प्रभावी होगा.

शिकायत निवारण सिस्टम का सुझाव-
पैनल ने एक ऐसी व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया है. जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों की समस्याओं का हल जल्दी हो सके. इस व्यवस्था का मुख्य मकसद यह है कि छात्रों की शिकायतें जल्दी सुनी जाएं और उनका समाधान भी तुरंत किया जाए. इससे छात्रों को परीक्षा के दौरान और बाद में किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े. 

एनटीए का पुनर्गठन-
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के पुनर्गठन के लिए पैनल ने कुछ सुझाव दिए हैं. इसमें सबसे पहले एक मजबूत और जिम्मेदार गवर्निंग बॉडी बनाने की बात है. जिसमें एक्सपर्ट रहेंगे. इसके साथ ही ये बॉडी एग्जाम सिस्टम को पारदर्शी और सेफ बनाने के लिए काम करेगी. NTA में ज्यादा कर्मचारियों की भर्ती करने का भी सुझाव है. एजेंसी में रिसर्च, टेस्ट सिक्योरिटी, टेस्ट सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अलग-अलग कामों के लिए 10 स्पेसिफिक विभाग बनाने का सुझाव भी दिया गया है.

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