जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुरू हुआ स्पेस साइंस सेंटर, छात्र कर सकेंगे एविएशन एंड एरोनॉटिक्स में बी. टेक

अक्टूबर 2018 में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ भू-स्थानिक डेटा विश्लेषण (Geo-spatial Data Analysis) का केंद्र स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इस केंद्र का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और भूमि के उपयोग पैटर्न की योजना बनाने में मदद करेगा.

Central University of Jammu (Photo: Facebook)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 16 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST
  • जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुरू हुआ अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र
  • कर सकते हैं एविएशन एंड एरोनॉटिक्स में बी. टेक

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष विज्ञान (स्पेस साइंस) के लिए सतीश धवन केंद्र का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि इस केंद्र में पहला कोर्स, बी.टेक इन एविएशन एंड एरोनॉटिक्स इसी साल शुरू होगा. फिलहाल कोर्स में 60 सीट हैं.

अक्टूबर 2018 में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ भू-स्थानिक डेटा विश्लेषण (Geo-spatial Data Analysis) का केंद्र स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इस केंद्र का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और भूमि के उपयोग पैटर्न की योजना बनाने में मदद करेगा.

इस केंद्र में उत्तर भारत की नदियों, हिमनद के रूप में संग्रहित बड़ी मात्रा में पानी के बेहतर उपयोग के लिए वायुमंडलीय अध्ययन, खगोल भौतिकी पर अनुसंधान प्रयोगशाला, वायुमंडलीय संवेदन और हिमनद अध्ययन प्रयोगशाला के लिए जमीन आधारित अवलोकन की सुविधा है.

उत्तर भारत के लिए ऐतिहासिक:

केंद्रीय मंत्री का कहना है कि यह न केवल जम्मू के लिए बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक ऐतिहासिक है क्योंकि अब तक स्पेस टेक्नोलॉजी दक्षिण भारत तक ही सीमित थी. भारतीय अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम में है. 

हालांकि, अब कहा जा रहा है कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में जम्मू-कश्मीर में अंतरिक्ष केंद्र का उद्घाटन "मोदी के नेतृत्व में केरल से कश्मीर तक की अंतरिक्ष यात्रा" का प्रतीक है. यह भारत का अपनी तरह का दूसरा संस्थान है. केंद्र का नाम इसरो के पूर्व अध्यक्ष के नाम पर रखा गया, क्योंकि वह जम्मू कश्मीर के निवासी थे और डोगरा समुदाय के ‘‘वास्तविक गौरव’’ थे.
 

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