अब हिंदी में भी होगी मेडिकल की पढ़ाई, MBBS की इन तीन हिंदी किताबों का गृहमंत्री Amit Shah ने किया विमोचन

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने गया है जहां मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने जा रही है. आज गृह मंत्री अमित शाह एमबीबीएस की हिंदी किताबों का विमोचन करेंगे. शुरुआत में फर्स्ट ईयर की किताबों का अनुवाद किया गया है और अब सेकेंड ईयर की किताबों का अनुवाद भी हिंदी में किया जा रहा है.

MBBS की पढ़ाई अब हिंदी में
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST
  • शुरुआत में MBBS के फर्स्ट ईयर की तीन किताबों का किया गया अनुवाद
  • मध्यप्रदेश मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने वाला बना देश का पहला राज्य

भारत जहां बोलने, पढ़ने और समझने के लिए सबसे ज्यादा हिंदी का इस्तेमाल किया जाता है. 2011 की भाषाई जनगणना के अनुसार देश में करीब 52.8 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं और दिन पर दिन इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है. सोचिए अगर ऐसे में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने लगी तो छात्रों के लिए कितना आसान हो जाएगा. बता दें कि अब यह सपना साकार होने जा रहा है. चूंकि मेडिकल की पढ़ाई अबतक अंग्रेजी में ही होती रही है लेकिन अब मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहां एमबीबीएस (MBBS) और बीडीएस (BDS) की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने जा रही है.

शुरुआत में तीन विषयों को हिंदी में पढ़ाया जाएगा

आज देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में एमबीबीएस (MBBS) की हिंदी किताबों का विमोचन किया . इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी मौजूद रहे. ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. इसके बाद राज्य में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो जाएगी. बता दें कि शुरुआत में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री जैसे विषयों को हिंदी में पढ़ाया जाएगा.

सेकेंड ईयर की पुस्तकों का भी किया जा रहा अनुवाद 

मेडिकल का पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार करने के लिए राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की देख रेख में टास्क फोर्स का गठन किया गया और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में हिन्दी वाररूम "मंदार" तैयार किया गया. जहां विशेषज्ञों की टीम किताबें तैयार करने में जुटी है. इस काम की समीक्षा खुद विश्वास सारंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत में फर्स्ट ईयर की तीन पुस्तकों का अनुवाद किया गया है और अब दूसरे वर्ष के पाठ्यक्रमों का अनुवाद किया जा रहा है.  रूस, फ्रांस, जर्मनी और चीन जैसे देश पहले से ही अपनी क्षेत्रीय भाषा में मेडिकल की पढ़ाई करा रहे हैं. ऐसे में भारत भी उन देशों में अब शामिल हो गया है.

 

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