9 फरवरी को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दो वर्षों के दौरान विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में विभिन्न पाठ्यक्रमों में 10,000 से अधिक सीटें खाली रहीं. जबकि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (NIT) में 8,700 से अधिक सीटें खाली रहीं.
बताया जा रहा है कि प्रधान ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
IITs में साल 2020-21 से खाली हैं सीटें:
आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में आईआईटी में 5,484 सीटें खाली रहीं. इनमें से ग्रेजुएशन कोर्स (बीटेक) में 476 सीटें, पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज में 3,229 सीटें और पीएचडी कोर्सेज में 1,779 सीटें खाली थीं.
2021-22 में, IIT में रिक्त सीटों की संख्या 5,296 थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी कम हैं. इनमें से बीटेक कोर्सेज में 361, पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज में 3,083 और पीएचडी कोर्सेज में 1,852 सीटें खाली रहीं.
NITs में भी यही है हाल:
एनआईटी संस्थानों में 2020-21 में अलग-अलग कोर्सेज में 3,741 सीटें खाली थीं. 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 5,012 हो गई. इनमें पोस्टग्रेजुएशन कोर्सेज की अधिकतम सीटें खाली रहती हैं. आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज साइंस और टेक्नोलॉजी विषय में पढ़ाई और रिसर्च का मौका देते हैं.
इसलिए ये सिर्फ नेशनल नहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी जाने जाते हैं. इन संस्थानों में एडमिशन के लिए छात्रों को कम्पटीशन एग्जाम देने होते हैं और सिर्फ योग्य उम्मीदवारों को ही यहां पढ़ने का मौका मिलता है.